कोरबा: मुआवजा और नौकरी संबंधी मांग को लेकर बरकुटा गांव के ग्रामीणों ने कुसमुंडा खदान में विरोध किया. शुक्रवार की रात को ग्रामीण कुसमुंडा खदान पहुंच गए, जहां उन्होंने रोड सेल से होने वाले कोयले के डिस्पैच को पूरी तरह से बंद करा दिया. ग्रामीण नौकरी की मांग को लेकर अड़े हुए हैं. ग्रामीणों की माने तो SECL प्रबंधन की ओर से महिलाओं को नौकरी नहीं देने की बात कही है.
जिले के सर्वमंगला मंदिर के कुछ दूरी पर स्थित गांव बरकुटा के ग्रामीण लंबे समय से नौकरी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. वर्तमान में गांव के 11 लोग प्लांट प्रबंधन से नौकरी की मांग कर रहे हैं. ग्रामीणों ने कहा कि SECL प्रबंधन के अधिकारी उन्हें लगातार नियम में उलझाकर गुमराह कर रहे हैं, जिससे वह बेहद आहत हैं और कोई रास्ता न मिलने पर आखिर में धरने पर बैठने को मजबूर हो गए हैं. ग्रामीण पहले भी कई दफा आंदोलन कर चुके हैं, लेकिन इसका कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है. वर्तमान में गांव बरकुटा के 11 खातेदार नौकरी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.
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महिलाओं को नहीं मिलेगी नौकरी
शनिवार को SECL के अफसरों ने बिलासपुर से आए उच्चाधिकारियों की मौजूदगी में एक बैठक आयोजित हुई थी. लेकिन शुक्रवार की शाम को ही ग्रामीणों को बुलाकर बैठक की गई, जिसमें उन्हें बताया गया कि विवाहित महिलाओं को नौकरी नहीं मिलेगी. प्रबंधन ने बताया कि नियम अनुसार ये महिलाएं नौकरी के लिए पात्रता नहीं रखती. इस बात पर ग्रामीण भड़क गए और शुक्रवार की रात को ही आंदोलन शुरू कर दिया.
भु-अर्जन के बाद हुआ जन्म, इसलिए नहीं मिलेगी नौकरी
आंदोलन कर रहे कृष्ण कुमार ने बताया कि उनके पास 1 एकड़ से अधिक जमीन थी. SECL ने खदान के लिए अधिग्रहित कर लिया. उन्होंने कहा कि भू-अर्जन होने के बाद उनका जन्म हुआ है, इसलिए मैं नौकरी के लिए अपात्र हूं. हम सभी ग्रामीण आंदोलन कर रहे हैं और जब तक हमें नौकरी नहीं मिलेगी हम आंदोलन करते रहेंगे.
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खदान से कोयला परिवहन पूरी तरह से ठप
शनिवार को पूरे दिन कोयला खदान से रोड सेल के जरिए से होने वाला परिवहन पूरी तरह से ठप रहा. जैसे खदान के अंदर और सड़क पर ट्रकों की लंबी कतार लगी रही. खदान से एक भी ट्रक कोयला लेकर बाहर नहीं निकल सका. ग्रामीणों की संख्या कम जरूर है, लेकिन आंदोलन का कुसमुंडा खदान में जोरदार असर हुआ है. कोयला डिस्पैच पूरी तरह से बंद हैं. SECL को इससे काफी नुकसान भी उठाना पड़ा.
गुपचुप तरीके से बैठक
कुसमुंडा खदान के पास बने रेस्ट हाउस में अफसरों ने बैठक भी की है. शनिवार दोपहर को गुपचुप तरीके से हुई इस बैठक में क्या निर्णय लिए गए और SECL प्रबंधन का ग्रामीणों के प्रति किस तरह का रुझान होगा. इस विषय में कोई जानकारी नहीं मिल सकी है.