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कोरबा: कोयलाकर्मियों ने हड़ताल से बनाई दूरी, SECL को महज 7 फीसदी का हुआ नुकसान

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Published : Nov 28, 2020, 4:25 PM IST

SECL ने हड़ताल के दिन का आंकड़ा जारी किया है. देशव्यापी एक दिवसीय हड़ताल से ज्यादातर कोयलाकर्मियों ने दूरी बनाकर रखी थी, जिससे यह साफ हो गया है कि कोयला उद्योग को ज्यादा नुकसान नहीं उठाना पड़ा है. ऐसे में मजदूर नेताओं ने जो सोचकर समर्थन दिया था, उसपर मजदूरों ने पानी फेर दिया. हड़ताल से महज 7 फ़ीसदी उत्पादन पर ही प्रभाव पड़ा है. इसकी वजह कोयलाकर्मियों की हड़ताल से दूरी बताई गई.

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SECL को महज 7 फीसदी का हुआ नुकसान

कोरबा: छत्तीसगढ़ में ट्रेड यूनियन के संयुक्त आह्वान पर 26 नवंबर को देशभर में हड़ताल का आह्वान किया गया था. इस आंदोलन में छत्तीसगढ़ के ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच ने भी अपना समर्थन दिया है, लेकिन देशव्यापी एक दिवसीय हड़ताल से ज्यादातर कोयलाकर्मियों ने दूरी बनाकर रखी. कोल इंडिया लिमिटेड ने हड़ताल के दिन का आंकड़ा जारी किया है, जिसमें हड़ताल वाले दिन केवल 7 फीसदी कोयले का उत्पादन प्रभावित रहा, जबकि सिर्फ 20 फीसदी कर्मचारी हड़ताल की वजह से काम पर नहीं गए. इससे प्रबंधन को ज्यादातर प्रभाव नहीं पड़ा, लेकिन दूसरी ओर मजदूर नेताओं की चिंता बढ़ गई है.

हड़ताल से कोयलाकर्मियों ने बनाई दूरी

कोल इंडिया लिमिटेड के SECL अंतर्गत आने वाले 13 एरिया में केंद्र सरकार की श्रमिक और जन विरोधी नीतियों का विरोध किया गया. इसमें हड़ताल में केंद्रीय मान्यता प्राप्त यूनियन के प्रतिनिधियों ने हड़ताल की अगुवाई की. औद्योगिक नगरी होने की वजह से हड़ताल का असर जिले में रहा, लेकिन अपेक्षाकृत यह उतना नहीं रहा, जितना कि मजदूर नेताओं ने उम्मीद की थी. कोयला खदान में एटक, सीटू, एसईकेएमसी इंटक, एचएमएस और इंटक रेड्डी गुट ने हड़ताल में हिस्सा लिया था, तो दूसरी तरफ बीएमएस और एनईएफटीयू ने हड़ताल से दूरी बनाकर रखी थी.

पढ़ें: दंतेवाड़ा: राष्ट्रव्यापी हड़ताल को NMDC किरंदुल के श्रम संगठनों का समर्थन, उत्पादन ठप

सिर्फ 7 फीसदी उत्पादन हुआ प्रभावित

एसईसीएल से प्रतिदिन औसतन 4.50 लाख टन कोयले का उत्पादन हो रहा है. हड़ताल के ठीक 1 दिन पहले SECL के सभी एरिया ने मिलकर 4.63 लाख टन से ज्यादा कोयले का उत्पादन किया था. हड़ताल के दिन तीनों शिफ्ट को मिलाकर 3.92 लाख टन कोयला निकाला गया, जो कि बुधवार की अपेक्षा केवल 70 हजार टन कम था. प्रबंधन का कहना है कि 7 भूमिगत और 1 ओपन कास्ट खदान ही ज्यादा प्रभावित रहें हैं, जबकि अन्य खदानों में अच्छी स्थिति रही. 1 सप्ताह के भीतर नुकसान की भरपाई करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसे आसानी से पूरा भी कर लिया जाएगा.

बारिश ने भी दिया आंदोलन का साथ
देशव्यापी हड़ताल में बड़े मजदूर नेता आंदोलन की सफलता को लेकर पहले ही आशंकित थे. इस बार भले ही कर्मचारी नेता केंद्र सरकार का पुरजोर विरोध कर रहें हैं. उसे वह मजदूर विरोधी, जन विरोधी और किसान विरोधी करार दे रहें हैं. कमर्शियल माइनिंग से लेकर कोयला खदानों में लगातार आउटसोर्सिंग और मैनपावर घटाने के साथ ही कोरोना काल मे श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधनों को लेकर मजदूर नेता मुखर दिखाई दे रहे हैं.

पढ़ें: रायपुर: छत्तीसगढ़ के ट्रेड यूनियन ने भी दिया देशव्यापी हड़ताल को समर्थन

ओवरटाइम के नुकसान के कारण श्रमिक हड़ताल में नहीं हुए शामिल

कोल इंडिया लिमिटेड में काम करने वाले ज्यादातर मजदूर 1 दिन की रोजी और ओवरटाइम के नुकसान को लेकर हड़ताल पर नहीं गए. ओवरटाइम के नुकसान के कारण अधिकांश मजदूर हड़ताल में शामिल होने को तैयार नहीं थे. वह लगातार ड्यूटी पर जा रहे थे. मजदूर नेताओं की बातों को दरकिनार कर आम मजदूर ड्यूटी पर पहुंच रहे थे. निजी कंपनी के वाहन भी खदानों में दौड़ते रहे.

मजदूरों नेताओं की मजदूरों ने बढ़ाई चिंता

SECL इलाके में दोपहर के बाद हुई बारिश ने आंदोलनकारियों के चेहरे पर खुशी ला दी. दूसरे पाली में बारिश की वजह से 3 घंटे तक काम बंद रहा. इसके बाद काम शुरू हुआ, लेकिन काम ने गति नहीं पकड़ी और मजदूरों की छुट्टी करनी पड़ी. रात में फिर से एक बार बारिश हुई. नाइट शिफ्ट में भी बारिश के कारण उत्पादन कम दर्ज हुआ, जिससे मजदूर नेताओं को आंदोलन के दिन बारिश का साथ मिला. अब ऐसे में मजदूर नेताओं की थोड़ी चिंता जरूर बढ़ गई है, क्योंकि हड़ताल में आने से ज्यादातर मजदूरों की मनाही थी, ऐसे में कोल इंडिया लिमिटेड को भी ज्यादा नुकसान का सामना नहीं करना पड़ा.

कोरबा: छत्तीसगढ़ में ट्रेड यूनियन के संयुक्त आह्वान पर 26 नवंबर को देशभर में हड़ताल का आह्वान किया गया था. इस आंदोलन में छत्तीसगढ़ के ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच ने भी अपना समर्थन दिया है, लेकिन देशव्यापी एक दिवसीय हड़ताल से ज्यादातर कोयलाकर्मियों ने दूरी बनाकर रखी. कोल इंडिया लिमिटेड ने हड़ताल के दिन का आंकड़ा जारी किया है, जिसमें हड़ताल वाले दिन केवल 7 फीसदी कोयले का उत्पादन प्रभावित रहा, जबकि सिर्फ 20 फीसदी कर्मचारी हड़ताल की वजह से काम पर नहीं गए. इससे प्रबंधन को ज्यादातर प्रभाव नहीं पड़ा, लेकिन दूसरी ओर मजदूर नेताओं की चिंता बढ़ गई है.

हड़ताल से कोयलाकर्मियों ने बनाई दूरी

कोल इंडिया लिमिटेड के SECL अंतर्गत आने वाले 13 एरिया में केंद्र सरकार की श्रमिक और जन विरोधी नीतियों का विरोध किया गया. इसमें हड़ताल में केंद्रीय मान्यता प्राप्त यूनियन के प्रतिनिधियों ने हड़ताल की अगुवाई की. औद्योगिक नगरी होने की वजह से हड़ताल का असर जिले में रहा, लेकिन अपेक्षाकृत यह उतना नहीं रहा, जितना कि मजदूर नेताओं ने उम्मीद की थी. कोयला खदान में एटक, सीटू, एसईकेएमसी इंटक, एचएमएस और इंटक रेड्डी गुट ने हड़ताल में हिस्सा लिया था, तो दूसरी तरफ बीएमएस और एनईएफटीयू ने हड़ताल से दूरी बनाकर रखी थी.

पढ़ें: दंतेवाड़ा: राष्ट्रव्यापी हड़ताल को NMDC किरंदुल के श्रम संगठनों का समर्थन, उत्पादन ठप

सिर्फ 7 फीसदी उत्पादन हुआ प्रभावित

एसईसीएल से प्रतिदिन औसतन 4.50 लाख टन कोयले का उत्पादन हो रहा है. हड़ताल के ठीक 1 दिन पहले SECL के सभी एरिया ने मिलकर 4.63 लाख टन से ज्यादा कोयले का उत्पादन किया था. हड़ताल के दिन तीनों शिफ्ट को मिलाकर 3.92 लाख टन कोयला निकाला गया, जो कि बुधवार की अपेक्षा केवल 70 हजार टन कम था. प्रबंधन का कहना है कि 7 भूमिगत और 1 ओपन कास्ट खदान ही ज्यादा प्रभावित रहें हैं, जबकि अन्य खदानों में अच्छी स्थिति रही. 1 सप्ताह के भीतर नुकसान की भरपाई करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसे आसानी से पूरा भी कर लिया जाएगा.

बारिश ने भी दिया आंदोलन का साथ
देशव्यापी हड़ताल में बड़े मजदूर नेता आंदोलन की सफलता को लेकर पहले ही आशंकित थे. इस बार भले ही कर्मचारी नेता केंद्र सरकार का पुरजोर विरोध कर रहें हैं. उसे वह मजदूर विरोधी, जन विरोधी और किसान विरोधी करार दे रहें हैं. कमर्शियल माइनिंग से लेकर कोयला खदानों में लगातार आउटसोर्सिंग और मैनपावर घटाने के साथ ही कोरोना काल मे श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधनों को लेकर मजदूर नेता मुखर दिखाई दे रहे हैं.

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ओवरटाइम के नुकसान के कारण श्रमिक हड़ताल में नहीं हुए शामिल

कोल इंडिया लिमिटेड में काम करने वाले ज्यादातर मजदूर 1 दिन की रोजी और ओवरटाइम के नुकसान को लेकर हड़ताल पर नहीं गए. ओवरटाइम के नुकसान के कारण अधिकांश मजदूर हड़ताल में शामिल होने को तैयार नहीं थे. वह लगातार ड्यूटी पर जा रहे थे. मजदूर नेताओं की बातों को दरकिनार कर आम मजदूर ड्यूटी पर पहुंच रहे थे. निजी कंपनी के वाहन भी खदानों में दौड़ते रहे.

मजदूरों नेताओं की मजदूरों ने बढ़ाई चिंता

SECL इलाके में दोपहर के बाद हुई बारिश ने आंदोलनकारियों के चेहरे पर खुशी ला दी. दूसरे पाली में बारिश की वजह से 3 घंटे तक काम बंद रहा. इसके बाद काम शुरू हुआ, लेकिन काम ने गति नहीं पकड़ी और मजदूरों की छुट्टी करनी पड़ी. रात में फिर से एक बार बारिश हुई. नाइट शिफ्ट में भी बारिश के कारण उत्पादन कम दर्ज हुआ, जिससे मजदूर नेताओं को आंदोलन के दिन बारिश का साथ मिला. अब ऐसे में मजदूर नेताओं की थोड़ी चिंता जरूर बढ़ गई है, क्योंकि हड़ताल में आने से ज्यादातर मजदूरों की मनाही थी, ऐसे में कोल इंडिया लिमिटेड को भी ज्यादा नुकसान का सामना नहीं करना पड़ा.

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