कोरबा: अधिकारियों के नये कारनामे की खबर कोरबा से आई है. जहां सरकार ने पहले आदिवासी बच्चों के लिए अंग्रेजी मीडियम के स्कूल बनवाये. जिसमें आदिवासी बच्चों को छात्रावास में रहकर पढ़ाई करनी थी, लेकिन जिले में आदिवासी बच्चों की संख्या कम पड़ गई तो स्कूल की सीट भरने के लिए तत्कालीन आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त ने सारे नियम कायदे ताक पर रख जनरल और ओबीसी बच्चों को एडमिशन करा दिया. बच्चों से कहा गया कि उन्हें छात्रावास में रहकर पढ़ाई करनी है.
ताक पर रख दिए नियम !
जब स्कूल खोला गया था तो इसके लिए कुछ नियम बनाये गए थे. नियम के मुताबिक स्कूल आदिवासी बच्चों के लिए है और इसमें पढ़ने वाले बच्चों को छात्रावास में रहकर पढ़ाई करनी है. इसके अलावा इसमें पढ़ने वाले बच्चे उसी ब्लॉक के होंगे, जिस ब्लॉक में ये स्कूल होगा. अब अधिकारियों का कारनामा देखिये, इस स्कूल में जनरल और ओबीसी के बच्चों का नामांकन दे दिया गया. इतना ही नहीं 70 किलोमीटर दूर के बच्चों को भी इसमें एडमिशन करा दिया गया. अब उसी विभाग के अधिकारी का फरमान है कि जनरल और ओबीसे के बच्चे या तो यहां से नाम कटवा लें या छात्रावास में रहने के अगल से पैसे भरें.
DEO ने क्या कहा
इधर, जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि जिन बच्चों ने इस विद्यालय में नामांकन करा लिया है, उन्हें इसी विद्यालय में पढ़ने दिया जाएगा. इसके लिए जिला खनिज न्यास निधि से कुछ फंड की मांग की गई है.
जिला शिक्षा अधिकारी ने फिलहाल तो जनरल और ओबीसी के बच्चों और उनके परिजनों को ये आश्वासन दे दिया है, लेकिन अगर जिला खनिज न्यास निधि ने पैसे देने से इनकार कर दिया तो क्या होगा. वैसे नियम तो ये भी है कि जिला खनिज न्यास निधि का पैसा खनन क्षेत्र के प्रभावित लोगों के विकास पर ही खर्च करना होता है.