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कोरबा: अफसरों का ये कारनामा जानकर सिर पीट लेंगे - ST

ये स्कूल और छात्रावास आदिवासी बच्चों के लिए है और इसमें सिर्फ आदिवासी बच्चे ही रह सकते हैं.

विद्यालय.
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Published : Jul 3, 2019, 8:03 PM IST

कोरबा: अधिकारियों के नये कारनामे की खबर कोरबा से आई है. जहां सरकार ने पहले आदिवासी बच्चों के लिए अंग्रेजी मीडियम के स्कूल बनवाये. जिसमें आदिवासी बच्चों को छात्रावास में रहकर पढ़ाई करनी थी, लेकिन जिले में आदिवासी बच्चों की संख्या कम पड़ गई तो स्कूल की सीट भरने के लिए तत्कालीन आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त ने सारे नियम कायदे ताक पर रख जनरल और ओबीसी बच्चों को एडमिशन करा दिया. बच्चों से कहा गया कि उन्हें छात्रावास में रहकर पढ़ाई करनी है.

अधिकारियों की लापरवाही से बच्चे हो रहे परेशान
जारी किया फरमानअब नये सहायक आयुक्त ने नया फरमान जारी कर दिया है. इनके मुताबिक ये स्कूल और छात्रावास आदिवासी बच्चों के लिए है और इसमें सिर्फ आदिवासी बच्चे ही रह सकते हैं. बाकी बच्चों को छात्रावास खाली करना होगा या छात्रावास में रहने के लिए अलग से फीस भरनी होगी.

ताक पर रख दिए नियम !
जब स्कूल खोला गया था तो इसके लिए कुछ नियम बनाये गए थे. नियम के मुताबिक स्कूल आदिवासी बच्चों के लिए है और इसमें पढ़ने वाले बच्चों को छात्रावास में रहकर पढ़ाई करनी है. इसके अलावा इसमें पढ़ने वाले बच्चे उसी ब्लॉक के होंगे, जिस ब्लॉक में ये स्कूल होगा. अब अधिकारियों का कारनामा देखिये, इस स्कूल में जनरल और ओबीसी के बच्चों का नामांकन दे दिया गया. इतना ही नहीं 70 किलोमीटर दूर के बच्चों को भी इसमें एडमिशन करा दिया गया. अब उसी विभाग के अधिकारी का फरमान है कि जनरल और ओबीसे के बच्चे या तो यहां से नाम कटवा लें या छात्रावास में रहने के अगल से पैसे भरें.

DEO ने क्या कहा
इधर, जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि जिन बच्चों ने इस विद्यालय में नामांकन करा लिया है, उन्हें इसी विद्यालय में पढ़ने दिया जाएगा. इसके लिए जिला खनिज न्यास निधि से कुछ फंड की मांग की गई है.

जिला शिक्षा अधिकारी ने फिलहाल तो जनरल और ओबीसी के बच्चों और उनके परिजनों को ये आश्वासन दे दिया है, लेकिन अगर जिला खनिज न्यास निधि ने पैसे देने से इनकार कर दिया तो क्या होगा. वैसे नियम तो ये भी है कि जिला खनिज न्यास निधि का पैसा खनन क्षेत्र के प्रभावित लोगों के विकास पर ही खर्च करना होता है.

कोरबा: अधिकारियों के नये कारनामे की खबर कोरबा से आई है. जहां सरकार ने पहले आदिवासी बच्चों के लिए अंग्रेजी मीडियम के स्कूल बनवाये. जिसमें आदिवासी बच्चों को छात्रावास में रहकर पढ़ाई करनी थी, लेकिन जिले में आदिवासी बच्चों की संख्या कम पड़ गई तो स्कूल की सीट भरने के लिए तत्कालीन आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त ने सारे नियम कायदे ताक पर रख जनरल और ओबीसी बच्चों को एडमिशन करा दिया. बच्चों से कहा गया कि उन्हें छात्रावास में रहकर पढ़ाई करनी है.

अधिकारियों की लापरवाही से बच्चे हो रहे परेशान
जारी किया फरमानअब नये सहायक आयुक्त ने नया फरमान जारी कर दिया है. इनके मुताबिक ये स्कूल और छात्रावास आदिवासी बच्चों के लिए है और इसमें सिर्फ आदिवासी बच्चे ही रह सकते हैं. बाकी बच्चों को छात्रावास खाली करना होगा या छात्रावास में रहने के लिए अलग से फीस भरनी होगी.

ताक पर रख दिए नियम !
जब स्कूल खोला गया था तो इसके लिए कुछ नियम बनाये गए थे. नियम के मुताबिक स्कूल आदिवासी बच्चों के लिए है और इसमें पढ़ने वाले बच्चों को छात्रावास में रहकर पढ़ाई करनी है. इसके अलावा इसमें पढ़ने वाले बच्चे उसी ब्लॉक के होंगे, जिस ब्लॉक में ये स्कूल होगा. अब अधिकारियों का कारनामा देखिये, इस स्कूल में जनरल और ओबीसी के बच्चों का नामांकन दे दिया गया. इतना ही नहीं 70 किलोमीटर दूर के बच्चों को भी इसमें एडमिशन करा दिया गया. अब उसी विभाग के अधिकारी का फरमान है कि जनरल और ओबीसे के बच्चे या तो यहां से नाम कटवा लें या छात्रावास में रहने के अगल से पैसे भरें.

DEO ने क्या कहा
इधर, जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि जिन बच्चों ने इस विद्यालय में नामांकन करा लिया है, उन्हें इसी विद्यालय में पढ़ने दिया जाएगा. इसके लिए जिला खनिज न्यास निधि से कुछ फंड की मांग की गई है.

जिला शिक्षा अधिकारी ने फिलहाल तो जनरल और ओबीसी के बच्चों और उनके परिजनों को ये आश्वासन दे दिया है, लेकिन अगर जिला खनिज न्यास निधि ने पैसे देने से इनकार कर दिया तो क्या होगा. वैसे नियम तो ये भी है कि जिला खनिज न्यास निधि का पैसा खनन क्षेत्र के प्रभावित लोगों के विकास पर ही खर्च करना होता है.

Intro:जिले के चाही मुड़ी एजुकेशन हब में पिछले वर्ष शुरू हुए इंग्लिश मीडियम मिडिल स्कूल को लेकर पेंच फंस गया है।
आदिवासी विकास विभाग ने एजुकेशन हब में जनरल, ओबीसी और एससी छात्र-छात्राओं को नए सत्र से छात्रावास सुविधा देने से इनकार कर दिया है।


Body:दरअसल, पिछले साल एजुकेशन हब को किसी तरह शुरू करने की जद्दोजहद में अभिभावकों और उनके बच्चों के साथ छल किया गया। तत्कालीन आदिवासी विभाग और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने सीट भरने के लिए जिले भर से बच्चों को दाखिला लेने को कहा, जिसमें सभी को छात्रावास में रहने की अनिवार्यता भी बताई गई। इस पूरे मामले में पूर्व के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की भूमिका अहम बताई जा रही है, जिसमें ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए बच्चों के साथ छल किया गया।
नियमानुसार, हर ब्लाक में संचालित एजुकेशन हब के इंग्लिश मीडियम स्कूल में सिर्फ उस ब्लॉक के रहने वाले बच्चे ही दाखिला ले सकते हैं और छात्रावास सिर्फ एसटी छात्राओं के लिए ही प्रावधान में है। विभाग के नए अधिकारी बच्चों के साथ हुए इस छल से चिंतित हैं। हालांकि प्रशासन नए सत्र से नियम अनुसार काम करेगी और DMF से अतिरिक्त फंड लेकर पिछले वर्ष दाखिला ले चुके बच्चे और छात्रावास में रह रहे बच्चों को सुविधा दी जाएगी।


Conclusion:बाइट- आशीष अग्रवाल, ग्रामीण
बाइट- मनोज दुबे, ग्रामीण
बाइट- बी आर बंजारे, सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास विभाग
बाइट- सतीश पाण्डेय, जिला शिक्षा अधिकारी
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