कोरबा: कोरबा जिले में पेसा कानून के उल्लंघन से सरपंच आक्रोशित है. सरपंच संघ के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री के नाम 7 बिंदुओं वाला ज्ञापन सौंपा. उन्होंने सरपंचों की समस्याओं के निराकरण करने की मांग की.
सरपंच संघ का कहना है कि कोरबा जिला संविधान की पांचवी अनुसूची में शामिल है. यहां पेसा कानून लागू है. इस विषय में सोमवार को प्रेस क्लब तिलक भवन में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया. जिसमें सरपंच संघ और सर्व आदिवासी समाज के लोग शामिल हुए. जिला अध्यक्ष सेवक राम मरावी ने कहा कि उनकी मांग पूरी नहीं होने पर वे करीब 50 हजार आदिवासियों के साथ मिलकर कोरबा से रायपुर तक की पदयात्रा निकालेंगे.
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पांचवी अनुसूची के नियमों का नहीं हो रहा पालन
सर्व आदिवासी समाज की ओर से कलेक्टर को संबोधित करते हुए पांचवी अनुसूची क्षेत्र में नियमों का पालन नहीं किए जाने का उल्लेख किया गया है. मरावी ने बताया कि शासन-प्रशासन की तरफ से नियमों का पालन नहीं कराया जा रहा है. यदि इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया गया तो 19 फरवरी को सभी सरपंच और सर्व आदिवासी समाज कलेक्टर कार्यालय का घेराव करेंगे.
कोरबा से रायपुर पदयात्रा की चेतावनी
सरपंच संघ ने 7 बिंदुओं का ज्ञापन सौंपा. जिसमें मूलभूत और 15वें वित्त की राशि जनसंख्या के आधार पर विभाजन करके देने की मांग की. सरपंच निधि के रूप में हर साल 10 लाख रुपये देने की मांग की. पंच का मानदेय 2 हजार और सरपंच का मानदेय बढ़ाकर 20 हजार रुपये देने की मांग की. कोविड-19 के प्रकोप में विभिन्न पंचायतों में मूलभूत या 14वें वित्त की राशि खर्च की गई है. उसे पंचायत को वापस किया जाए ताकि विकास कार्य कराए जा सकें. ग्राम पंचायत वर्तमान में 20 लाख रुपये तक के काम करने का अधिकार रखते हैं. इस सीमा को बढ़ाकर 40 लाख रुपये करने की मांग सरपंच संघ ने की.