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कोरबा जिला अस्पताल में मौत पर परिजनों का हंगामा: रेफरल रैकेट का संदेह, डीन ने कहा होगी जांच

कोरबा में रेफरल रैकेट के जरिए पहाड़ी कोरवा महिला की निजी अस्पताल में मौत हो गई. इस मामले में रेफरल रैकेट से जुड़े होने का संदेह है. जिस पर डीन ने कहा है कि जांच होगी.

ruckus of family members
कोरबा अस्पताल में परिजनों का हंगामा
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Published : Feb 16, 2022, 9:54 PM IST

Updated : Feb 16, 2022, 11:27 PM IST

कोरबा: पिछले कुछ दिनों से कोरबा स्वास्थ्य विभाग के दिन ठीक नहीं चल रहे हैं. रेफरल रैकेट के जरिए पहाड़ी कोरवा महिला की निजी अस्पताल में मौत हो गई. किडनी चोरी का मामला और अब सरकारी डॉक्टर कुजूर के निजी अस्पताल से मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंची. करतला ब्लॉक के गांव कलगामार की 36 वर्षीय महिला मरीज राजकुमारी महंत की मौत लापरवाही पूर्वक इलाज से हुई है. जिसके बाद मरीज के परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया. इस मामले के तार भी रेफरल रैकेट से जुड़े होने का संदेह है. जब मरीज की तबीयत बिगड़ी तब उसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेज दिया गया. यहां का वार्ड बॉय मरीज को बिना ऑक्सीजन के ही आईसीयू में शिफ्ट कर रहा था. इसी दौरान महिला मरीज की मौत हो गई.

कोरबा अस्पताल में परिजनों का हंगामा

यह भी पढ़ें: ETV Bharat news impact: कोरबा में आरक्षक की शिकायत पर पुलिस ने किया मामला दर्ज

श्वेता हॉस्पिटल से मृतका पहुंची थी जिला अस्पताल
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पदस्थ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. कुजूर का रजगामार रोड पर जिला जेल के समक्ष तीन मंजिला श्वेता हॉस्पिटल संचालित है. कलगामार निवासी राजकुमारी महंत को 3 से 4 दिन पहले एडमिट किया गया था. जब महिला के परिजनों के पास पैसे खत्म हो गए और हालत गंभीर हो गई. तब उन्हें कहा गया कि निजी अस्पताल में मुफ्त का इलाज नहीं मिलेगा. इसके बाद उसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती करा दिया गया, जहां महिला की मौत हो गई.

बिना ऑक्सीजन के शिफ्ट किया आईसीयू में
तुलादास महंत ने बताया कि पत्नी राजकुमारी महंत अस्पताल के महिला वार्ड से आईसीयू यूनिट में शिफ्ट करने के दौरान मौत हुई है. गरीब परिवार होने के कारण उनके पास पैसों की तंगी भी थी. जिसको देखते हुए उन्हें जिला अस्पताल में रेफर कर दिया गया. तुलादास ने अस्पताल के स्टाफ पर आरोप लगाया गया. आईसीयू में शिफ्ट करने के दौरान कर्मचारियों को परिजनों ने कहा था कि मरीज को ऑक्सीजन लगाया जाए, लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया. नर्स ने मरीज को बिना ऑक्सीजन के ले जाने की अनुमति दे दी. वार्ड बॉय भी गंभीर अवस्था में बिना ऑक्सीजन के महिला मरीज को आईसीयू में शिफ्ट करने लगा. इसी दौरान रास्ते में ही मरीज ने दम तोड़ दिया. जबकि डॉक्टर की देखरेख में उसका इलाज चल रहा था. तुलादास ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल की कार्यशैली पर सवाल खड़े किये हैं.



निजी अस्पताल चलाने वाली डॉक्टर को जारी होगा नोटिस
कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डीन ने इसे गंभीरता से लिया है. हालांकि वह कोरोना वायरस से ग्रसित होने के कारण छुट्टी पर हैं. लेकिन मामले से अवगत कराने के बाद उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर कुजूर को नोटिस जारी कर पूछा जाएगा कि वह निजी अस्पताल का संचालन कैसे कर रही है? जबकि यह नियम के खिलाफ है. मरीज को उन्हीं के निजी अस्पताल से मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भेजा गया था. इस बात की जांच की जाएगी, रेफरल रैकेट की पुष्टि होने पर ठोस कार्रवाई की जाएगी.



जीवनदीप समिति के कर्मचारी कर रहे गड़बड़ी, सिविल सर्जन को भी नोटिस
डीन वाईडी बड़गइया ने कहा है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में नियम विरुद्ध तरीके से 75 कर्मचारियों को नियुक्ति जीवनदीप समिति ने की है. यह नियुक्तियां किस आधार पर की गई. इसकी जानकारी के लिए सिविल सर्जन को भी नोटिस जारी करेंगे. मौजूदा मामले में भी जिस कर्मचारी ने बिना ऑक्सीजन के मरीज को आईसीयू में शिफ्ट किया. वह भी जीवनदीप समिति के अधीन कार्यरत है. पूरे मामले की गंभीरता से जांच की जाएगी.

डॉक्टर कुजूर से ईटीवी भारत ने ली जानकारी
वहीं निजी अस्पताल का संचालन करने वाली मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर कुजूर से ईटीवी भारत ने जानकारी ली है. जिनका कहना था कि मरीज पहले मेरे अस्पताल आए थे. लेकिन निजी अस्पताल में ऑक्सीजन और दवा मुफ्त में नहीं दी जा सकती थी. इसलिए मैंने उन्हें जिला अस्पताल भेजा था. जहां, हालत बिगड़ने पर उसकी मौत हुई है. महिला मरीज 6 महीने से टीबी से पीड़ित थी. फेफड़ों में इंफेक्शन बुरी तरह से फैल चुका था.

कोरबा: पिछले कुछ दिनों से कोरबा स्वास्थ्य विभाग के दिन ठीक नहीं चल रहे हैं. रेफरल रैकेट के जरिए पहाड़ी कोरवा महिला की निजी अस्पताल में मौत हो गई. किडनी चोरी का मामला और अब सरकारी डॉक्टर कुजूर के निजी अस्पताल से मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंची. करतला ब्लॉक के गांव कलगामार की 36 वर्षीय महिला मरीज राजकुमारी महंत की मौत लापरवाही पूर्वक इलाज से हुई है. जिसके बाद मरीज के परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया. इस मामले के तार भी रेफरल रैकेट से जुड़े होने का संदेह है. जब मरीज की तबीयत बिगड़ी तब उसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेज दिया गया. यहां का वार्ड बॉय मरीज को बिना ऑक्सीजन के ही आईसीयू में शिफ्ट कर रहा था. इसी दौरान महिला मरीज की मौत हो गई.

कोरबा अस्पताल में परिजनों का हंगामा

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श्वेता हॉस्पिटल से मृतका पहुंची थी जिला अस्पताल
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पदस्थ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. कुजूर का रजगामार रोड पर जिला जेल के समक्ष तीन मंजिला श्वेता हॉस्पिटल संचालित है. कलगामार निवासी राजकुमारी महंत को 3 से 4 दिन पहले एडमिट किया गया था. जब महिला के परिजनों के पास पैसे खत्म हो गए और हालत गंभीर हो गई. तब उन्हें कहा गया कि निजी अस्पताल में मुफ्त का इलाज नहीं मिलेगा. इसके बाद उसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती करा दिया गया, जहां महिला की मौत हो गई.

बिना ऑक्सीजन के शिफ्ट किया आईसीयू में
तुलादास महंत ने बताया कि पत्नी राजकुमारी महंत अस्पताल के महिला वार्ड से आईसीयू यूनिट में शिफ्ट करने के दौरान मौत हुई है. गरीब परिवार होने के कारण उनके पास पैसों की तंगी भी थी. जिसको देखते हुए उन्हें जिला अस्पताल में रेफर कर दिया गया. तुलादास ने अस्पताल के स्टाफ पर आरोप लगाया गया. आईसीयू में शिफ्ट करने के दौरान कर्मचारियों को परिजनों ने कहा था कि मरीज को ऑक्सीजन लगाया जाए, लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया. नर्स ने मरीज को बिना ऑक्सीजन के ले जाने की अनुमति दे दी. वार्ड बॉय भी गंभीर अवस्था में बिना ऑक्सीजन के महिला मरीज को आईसीयू में शिफ्ट करने लगा. इसी दौरान रास्ते में ही मरीज ने दम तोड़ दिया. जबकि डॉक्टर की देखरेख में उसका इलाज चल रहा था. तुलादास ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल की कार्यशैली पर सवाल खड़े किये हैं.



निजी अस्पताल चलाने वाली डॉक्टर को जारी होगा नोटिस
कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डीन ने इसे गंभीरता से लिया है. हालांकि वह कोरोना वायरस से ग्रसित होने के कारण छुट्टी पर हैं. लेकिन मामले से अवगत कराने के बाद उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर कुजूर को नोटिस जारी कर पूछा जाएगा कि वह निजी अस्पताल का संचालन कैसे कर रही है? जबकि यह नियम के खिलाफ है. मरीज को उन्हीं के निजी अस्पताल से मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भेजा गया था. इस बात की जांच की जाएगी, रेफरल रैकेट की पुष्टि होने पर ठोस कार्रवाई की जाएगी.



जीवनदीप समिति के कर्मचारी कर रहे गड़बड़ी, सिविल सर्जन को भी नोटिस
डीन वाईडी बड़गइया ने कहा है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में नियम विरुद्ध तरीके से 75 कर्मचारियों को नियुक्ति जीवनदीप समिति ने की है. यह नियुक्तियां किस आधार पर की गई. इसकी जानकारी के लिए सिविल सर्जन को भी नोटिस जारी करेंगे. मौजूदा मामले में भी जिस कर्मचारी ने बिना ऑक्सीजन के मरीज को आईसीयू में शिफ्ट किया. वह भी जीवनदीप समिति के अधीन कार्यरत है. पूरे मामले की गंभीरता से जांच की जाएगी.

डॉक्टर कुजूर से ईटीवी भारत ने ली जानकारी
वहीं निजी अस्पताल का संचालन करने वाली मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर कुजूर से ईटीवी भारत ने जानकारी ली है. जिनका कहना था कि मरीज पहले मेरे अस्पताल आए थे. लेकिन निजी अस्पताल में ऑक्सीजन और दवा मुफ्त में नहीं दी जा सकती थी. इसलिए मैंने उन्हें जिला अस्पताल भेजा था. जहां, हालत बिगड़ने पर उसकी मौत हुई है. महिला मरीज 6 महीने से टीबी से पीड़ित थी. फेफड़ों में इंफेक्शन बुरी तरह से फैल चुका था.

Last Updated : Feb 16, 2022, 11:27 PM IST
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