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कोरबा में कम कोल खनन से घटी खनिज न्यास की राशि, 100 करोड़ से ज्यादा की गिरावट

कोरबा में कोरोना और आंदोलन के कारण राजस्व आय पर बड़ा असर पड़ा है. उत्पादन कम होने से खनिज न्यास की राशि भी कम प्राप्त (Reduction in coal mining in Korba)हुई है.

कोल खनन कम होने खनिज न्यास की राशि बड़ा असर
कोल खनन कम होने खनिज न्यास की राशि बड़ा असर
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Published : Mar 30, 2022, 7:14 PM IST

Updated : Mar 30, 2022, 9:15 PM IST

कोरबा : SECL की कोयला खदानों से कोयले का उत्पादन कम होने का असर जिले को मिलने वाले खनिज न्यास की राशि पर पड़ा (amount of mineral trust has a big impact) है. कोरबा जिले में SECL के तीन मेगा प्रोजेक्ट संचालित हैं. जिनमें से गेवरा को छोड़कर दीपका और कुसमुंडा का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में SECL से खनिज न्यास के तौर पर जिले को 784 करोड़ रुपए की आय का अनुमान था. लेकिन कम उत्पादन के कारण अब जिले को 627 करोड़ रुपए की राशि से ही संतोष करना होगा.

कम उत्खनन के लिए जिम्मेदार : दरअसल बीते वर्ष कोरोना काल की वजह से उत्खनन करने वाले मजदूरों के खदान के भीतर जाने पर प्रतिबंध लगाना पड़ा था. आपदा के दौरान उत्खनन कम रहा, तो नियमित अंतराल पर बेमौसम बरसात के कारण भी कोयला उत्खनन ठीक तरह से नहीं हो (Low production in Korba SECL) पाया. इसके अलावा खास तौर पर कुसमुंडा खदान में भू-विस्थापितों ने 3 महीने से भी ज्यादा का आंदोलन किया, कुछ दिन पहले भी सैकड़ों की तादाद में भू-विस्थापित खदान में प्रवेश कर गए थे और कोयला उत्खनन को पूरी तरह से ठप कर दिया था. खदानों से उम्मीद के मुताबिक उत्खनन नहीं हो पाया.

प्रभावित क्षेत्र को मिलती है 36 फ़ीसदी राशि : कुल उत्खनन के अनुपात में जितने राजस्व की प्राप्ति सरकार को होती है. उसमें से 36 फ़ीसदी राशि प्रभावित क्षेत्र के विकास के लिए दिया जाता है. वर्तमान वित्तीय वर्ष में कुल आय 2180 करोड़ रुपए प्रस्तावित थी. जबकि कुल उत्खनन उत्खनन होने के कारण आय सिमटकर 1744 करोड़ रुपए ही रह गई है. जिसका निर्धारित लक्ष्य के अनुसार जिले को 784 करोड़ रुपए के तौर पर मिलना चाहिए था. लेकिन कम उत्खनन के कारण (Reduction in coal mining in Korba ) वर्तमान प्राप्त राजस्व के अनुसार यह राशि घटकर 627 करोड़ ही रह गयी है. मौजूदा वित्तीय वर्ष में SECL को 1720 लाख टन कोयला उत्पादन कर लेना चाहिए था. कोरोना और अन्य कारणों से उत्पादन उम्मीदों के मुताबिक नहीं हुआ. अब तक की स्थिति में 1384 लाख टन उत्पादन ही हो सका है.

गौण खनिज में भी जिले का हुआ नुकसान : खनिज से होने वाले मुख्य आय के स्त्रोत कोयला खदानें हैं. इसके अलावा गौण खनिज से भी जिले को राजस्व प्राप्त होता है. लेकिन कोरोना वायरस और नियमित अंतराल पर बरसात के साथ ही रेत अवैध उत्खनन के कारण रेत और मिट्टी से होने वाली आय भी कम हो गई है. सामान्य वर्षों में जिले में गौण खनिज से 3 करोड़ रुपए की आय प्राप्त होती है. लेकिन इस वर्ष कोरोना काल के कारण खनिज विभाग को गौण खनिज से भी महज 42 लाख रुपए की आय हुई है. यहां भी ढाई करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान (Loss of revenue of 2.5 crore rupees) हुआ है.

ये भी पढ़ें - ईस्ट रेल कोरिडोर के धरमजयगढ़ स्टेशन से इतिहास में पहली बार भेजा गया कोयला

80 फीसदी ही टारगेट अचीव : इस विषय में जिला खनिज विभाग के उप संचालक एसएस नाग ने बताया कि जिले के मुख्य गौण खनिज से 2180 करोड़ रुपए वार्षिक राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. लेकिन अलग-अलग कारणों से इस टारगेट को प्राप्त नहीं किया जा सका (Target could not be achieved) है. निर्धारित टारगेट की तुलना में हम 80 फ़ीसदी ही हासिल कर पाए हैं.

कोरबा : SECL की कोयला खदानों से कोयले का उत्पादन कम होने का असर जिले को मिलने वाले खनिज न्यास की राशि पर पड़ा (amount of mineral trust has a big impact) है. कोरबा जिले में SECL के तीन मेगा प्रोजेक्ट संचालित हैं. जिनमें से गेवरा को छोड़कर दीपका और कुसमुंडा का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में SECL से खनिज न्यास के तौर पर जिले को 784 करोड़ रुपए की आय का अनुमान था. लेकिन कम उत्पादन के कारण अब जिले को 627 करोड़ रुपए की राशि से ही संतोष करना होगा.

कम उत्खनन के लिए जिम्मेदार : दरअसल बीते वर्ष कोरोना काल की वजह से उत्खनन करने वाले मजदूरों के खदान के भीतर जाने पर प्रतिबंध लगाना पड़ा था. आपदा के दौरान उत्खनन कम रहा, तो नियमित अंतराल पर बेमौसम बरसात के कारण भी कोयला उत्खनन ठीक तरह से नहीं हो (Low production in Korba SECL) पाया. इसके अलावा खास तौर पर कुसमुंडा खदान में भू-विस्थापितों ने 3 महीने से भी ज्यादा का आंदोलन किया, कुछ दिन पहले भी सैकड़ों की तादाद में भू-विस्थापित खदान में प्रवेश कर गए थे और कोयला उत्खनन को पूरी तरह से ठप कर दिया था. खदानों से उम्मीद के मुताबिक उत्खनन नहीं हो पाया.

प्रभावित क्षेत्र को मिलती है 36 फ़ीसदी राशि : कुल उत्खनन के अनुपात में जितने राजस्व की प्राप्ति सरकार को होती है. उसमें से 36 फ़ीसदी राशि प्रभावित क्षेत्र के विकास के लिए दिया जाता है. वर्तमान वित्तीय वर्ष में कुल आय 2180 करोड़ रुपए प्रस्तावित थी. जबकि कुल उत्खनन उत्खनन होने के कारण आय सिमटकर 1744 करोड़ रुपए ही रह गई है. जिसका निर्धारित लक्ष्य के अनुसार जिले को 784 करोड़ रुपए के तौर पर मिलना चाहिए था. लेकिन कम उत्खनन के कारण (Reduction in coal mining in Korba ) वर्तमान प्राप्त राजस्व के अनुसार यह राशि घटकर 627 करोड़ ही रह गयी है. मौजूदा वित्तीय वर्ष में SECL को 1720 लाख टन कोयला उत्पादन कर लेना चाहिए था. कोरोना और अन्य कारणों से उत्पादन उम्मीदों के मुताबिक नहीं हुआ. अब तक की स्थिति में 1384 लाख टन उत्पादन ही हो सका है.

गौण खनिज में भी जिले का हुआ नुकसान : खनिज से होने वाले मुख्य आय के स्त्रोत कोयला खदानें हैं. इसके अलावा गौण खनिज से भी जिले को राजस्व प्राप्त होता है. लेकिन कोरोना वायरस और नियमित अंतराल पर बरसात के साथ ही रेत अवैध उत्खनन के कारण रेत और मिट्टी से होने वाली आय भी कम हो गई है. सामान्य वर्षों में जिले में गौण खनिज से 3 करोड़ रुपए की आय प्राप्त होती है. लेकिन इस वर्ष कोरोना काल के कारण खनिज विभाग को गौण खनिज से भी महज 42 लाख रुपए की आय हुई है. यहां भी ढाई करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान (Loss of revenue of 2.5 crore rupees) हुआ है.

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80 फीसदी ही टारगेट अचीव : इस विषय में जिला खनिज विभाग के उप संचालक एसएस नाग ने बताया कि जिले के मुख्य गौण खनिज से 2180 करोड़ रुपए वार्षिक राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. लेकिन अलग-अलग कारणों से इस टारगेट को प्राप्त नहीं किया जा सका (Target could not be achieved) है. निर्धारित टारगेट की तुलना में हम 80 फ़ीसदी ही हासिल कर पाए हैं.

Last Updated : Mar 30, 2022, 9:15 PM IST
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