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EXCLUSIVE: किसे परमिशन, कौन बना टेंशन, कोरोना काल में ऐसे काम कर रहा कोरबा प्रशासन

कोरबा प्रशासन ने कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने के बाद चौकसी बढ़ाने का दावा किया था. ETV भारत जिले के कई क्षेत्रों में पहुंचा और क्या देखा, आप भी देखिए इस खबर में...

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कोरबा प्रशासन के दावों की रियलिटी चेक
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Published : May 25, 2020, 11:33 PM IST

कोरबा: कोरबा में कोरोना वायरस के बढ़ते मरीजों ने एक बार फिर प्रशासन को परेशान कर दिया है. ताजा मामला कुदुरमाल में सामने आया था. जहां एक साथ 12 पॉजिटिव मरीज मिले थे. प्रशासन ने दावा किया था कि इन संक्रमितों का किसी भी बाहरी व्यक्ति से कोई संपर्क नहीं हुआ था. लेकिन बाद में ये दावा धरा का धरा रह गया था. ETV भारत ने इस बात का खुलासा भी किया था कि इन संक्रमितों में से एक ने एक रात अपने घर गुजारी थी.

कोरबा प्रशासन के दावों की रियलिटी चेक

कोरबा लगातार मरीज मिलने के बाद छत्तीसगढ़ का हॉट स्पॉट बन चुका था. हालांकि फिर सभी मरीज ठीक होकर घर लौट गए. एक बार फिर मरीजों की संख्या बढ़ने पर प्रशासन की चौकसी कैसी है, इस देखने के लिए ETV भारत ने कई क्षेत्रों का जायजा लिया.

जांजगीर और कोरबा जिले के बॉर्डर का लिया जायजा
जांजगीर और कोरबा जिले का बॉर्डर कनकी गांव में स्थित है. बता दें यहां से ही कुदुरमाल क्वॉरेंटाइन सेंटर का पॉजिटिव मरीज जिले की सीमा में दाखिल हुआ था. बॉर्डर पर हमने देखा की यहां सघन जांच की जा रही है. जांजगीर और कोरबा दोनों जिले के पुलिस जवान मिलकर जांच कर रहे हैं. इसके अलावा कृषि विभाग के राजपत्रित अधिकारी आईपीएस साहू को यहां का प्रभारी बनाया गया है.

आईपीएस साहू ने बताया कि बॉर्डर पर पूरी व्यवस्था है. कोरबा और जांजगीर जिले के पुलिस के जवान संयुक्त तौर पर ड्यूटी दे रहे हैं. इसके अलावा एक पटवारी की भी ड्यूटी लगाई गई है. जो कि दिन-रात,अलग-अलग 3 शिफ्ट में अपनी सेवा दे रहे हैं. एंट्री प्वॉइंट पर दो वाहनों का भी इंतजाम है. वाहनों से प्रवासी मजदूरों को या तो जिले के बॉर्डर पर छोड़ा जाता है, या फिर कोरबा जिले के ही क्वॉरेंटाइन सेंटर में भेजा जाता है.

पास के बिना नो एंट्री

बॉर्डर पर लोगों के पास चेक किए जा रहे हैं. ई-पास के साथ आने वाले लोगों को ही जिले से बाहर या जिले के अंदर आने की अनुमति है. इसके बिना पहुंच रहे वाहनों को वापस भेजा जा रहा है. ऐहतियात के तौर पर मजदूरों को सीधे जिले के बॉर्डर पर छोड़ा जा रहा है.

मजदूरों का ध्यान रखा जा रहा

कोरबा में 21 एंट्री प्वॉइंट हैं. यहीं पर दूसरों जिलों या राज्यों से लोग आ सकते हैं. प्रशासन की नजरों से बचकर एंट्री प्वॉइंट से होते हुए अपने गांव और घर पहुंचने वाले लोग प्रशासन के लिए चिंता का कारण बन गए हैं. ऐसे में प्रशासन खुद उन्हें जिले के बाहर या फिर क्वॉरेंटाइन सेंटर भेज रहा है. इसके लिए अपनी गाड़ी की सुविधा भी दे रहा है.

कहां कितने लोग क्वॉरेंटाइन में

  • कोरबा के 12 क्वॉरेंटाइन सेंटर में 397 लोग.
  • करतला के 13 क्वॉरेंटाइन सेंटर में 668 लोग.
  • कटघोरा के 30 क्वॉरेंटाइन सेंटर में 276 लोग.
  • पाली के 31 क्वॉरेंटाइन सेंटर में 662 लोग.
  • पोड़ी उपरोड़ा के 22 क्वॉरेंटाइन सेंटर में 310 लोग.
  • कोरबा शहर 23 क्वॉरेंटाइन सेंटर में 943 लोग.
  • सार्वजनिक उपक्रम 16 क्वॉरेंटाइन सेंटर में 230 लोग.

कोरबा: कोरबा में कोरोना वायरस के बढ़ते मरीजों ने एक बार फिर प्रशासन को परेशान कर दिया है. ताजा मामला कुदुरमाल में सामने आया था. जहां एक साथ 12 पॉजिटिव मरीज मिले थे. प्रशासन ने दावा किया था कि इन संक्रमितों का किसी भी बाहरी व्यक्ति से कोई संपर्क नहीं हुआ था. लेकिन बाद में ये दावा धरा का धरा रह गया था. ETV भारत ने इस बात का खुलासा भी किया था कि इन संक्रमितों में से एक ने एक रात अपने घर गुजारी थी.

कोरबा प्रशासन के दावों की रियलिटी चेक

कोरबा लगातार मरीज मिलने के बाद छत्तीसगढ़ का हॉट स्पॉट बन चुका था. हालांकि फिर सभी मरीज ठीक होकर घर लौट गए. एक बार फिर मरीजों की संख्या बढ़ने पर प्रशासन की चौकसी कैसी है, इस देखने के लिए ETV भारत ने कई क्षेत्रों का जायजा लिया.

जांजगीर और कोरबा जिले के बॉर्डर का लिया जायजा
जांजगीर और कोरबा जिले का बॉर्डर कनकी गांव में स्थित है. बता दें यहां से ही कुदुरमाल क्वॉरेंटाइन सेंटर का पॉजिटिव मरीज जिले की सीमा में दाखिल हुआ था. बॉर्डर पर हमने देखा की यहां सघन जांच की जा रही है. जांजगीर और कोरबा दोनों जिले के पुलिस जवान मिलकर जांच कर रहे हैं. इसके अलावा कृषि विभाग के राजपत्रित अधिकारी आईपीएस साहू को यहां का प्रभारी बनाया गया है.

आईपीएस साहू ने बताया कि बॉर्डर पर पूरी व्यवस्था है. कोरबा और जांजगीर जिले के पुलिस के जवान संयुक्त तौर पर ड्यूटी दे रहे हैं. इसके अलावा एक पटवारी की भी ड्यूटी लगाई गई है. जो कि दिन-रात,अलग-अलग 3 शिफ्ट में अपनी सेवा दे रहे हैं. एंट्री प्वॉइंट पर दो वाहनों का भी इंतजाम है. वाहनों से प्रवासी मजदूरों को या तो जिले के बॉर्डर पर छोड़ा जाता है, या फिर कोरबा जिले के ही क्वॉरेंटाइन सेंटर में भेजा जाता है.

पास के बिना नो एंट्री

बॉर्डर पर लोगों के पास चेक किए जा रहे हैं. ई-पास के साथ आने वाले लोगों को ही जिले से बाहर या जिले के अंदर आने की अनुमति है. इसके बिना पहुंच रहे वाहनों को वापस भेजा जा रहा है. ऐहतियात के तौर पर मजदूरों को सीधे जिले के बॉर्डर पर छोड़ा जा रहा है.

मजदूरों का ध्यान रखा जा रहा

कोरबा में 21 एंट्री प्वॉइंट हैं. यहीं पर दूसरों जिलों या राज्यों से लोग आ सकते हैं. प्रशासन की नजरों से बचकर एंट्री प्वॉइंट से होते हुए अपने गांव और घर पहुंचने वाले लोग प्रशासन के लिए चिंता का कारण बन गए हैं. ऐसे में प्रशासन खुद उन्हें जिले के बाहर या फिर क्वॉरेंटाइन सेंटर भेज रहा है. इसके लिए अपनी गाड़ी की सुविधा भी दे रहा है.

कहां कितने लोग क्वॉरेंटाइन में

  • कोरबा के 12 क्वॉरेंटाइन सेंटर में 397 लोग.
  • करतला के 13 क्वॉरेंटाइन सेंटर में 668 लोग.
  • कटघोरा के 30 क्वॉरेंटाइन सेंटर में 276 लोग.
  • पाली के 31 क्वॉरेंटाइन सेंटर में 662 लोग.
  • पोड़ी उपरोड़ा के 22 क्वॉरेंटाइन सेंटर में 310 लोग.
  • कोरबा शहर 23 क्वॉरेंटाइन सेंटर में 943 लोग.
  • सार्वजनिक उपक्रम 16 क्वॉरेंटाइन सेंटर में 230 लोग.

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