कोरबा: छत्तीसगढ़ के कोरबा(Korba) जिला में कश्मीर (kashmir)के नाम से विख्यात(famous) पाली ब्लॉक (Pali Block)स्थित धार्मिक पर्यटन स्थल चैतुरगढ़ में रैंप (Ramp in Chaiturgarh)में दरार (Crack)पड़ने से रैंप ढ़ह गया. बताया जा रहा है कि लगातार हो रही भारी बारिश (Heavy rain)के कारण रैंप में दरार पड़ गई, जिसके बाद कई स्थानों पर रैप ढ़ह गया. ऐसे में अब रैंप ढ़हने से दर्शनार्थियों (visitors)और पर्यटकों (tourists)को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ेगा.
इसके साथ ही ये रैंप मंदिर तक पहुंचने वाले मार्ग स्थित था. यहां भारी बारिश के कारण भूस्खलन की स्थिति बनी हुई है.बताया जा रहा है कि लगभग एक दशक पहले मंदिर तक पहुंचने वाली सीढ़ियों को तोड़कर यहां रैंप का निर्माण कराया गया था. इस रैंप के जरिए चार पहिया वाहन सीधे मंदिर परिसर तक पहुंच जाता था. वहीं अब रैंप के क्षतिग्रस्त होने से यह मार्ग अब असुरक्षित हो चुका है.
उत्तराखंड के चमोली में बादल फटने से मची तबाही, रेस्क्यू में जुटा प्रशासन
ऐतिहासिक स्मारक है चैतुरगढ़
दरअसल, चैतुरगढ़ कोरबा शहर से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित है. यह पाली से 25 किलोमीटर उत्तर की ओर 3060 मीटर की ऊंचाई पर पहाड़ी के शीर्ष पर स्थापित है. इसका निर्माण राजा पृथ्वीदेव प्रथम द्वारा कराया गया था.पुरातत्वविदों ने इसे मजबूत प्राकृतिक किलो में शामिल भी किया गया है.मंदिर का निर्माण 7वीं तो किले का निर्माण 14वीं शताब्दी में अलग-अलग राजाओं द्वारा बनाए जाने का भी उल्लेख मिलता है.
मजबूत प्राकृतिक दीवारों से संरक्षित
बताया जा रहा है कि यह चारों ओर से मजबूत प्राकृतिक दीवारों से संरक्षित है. केवल कुछ स्थानों पर उच्च दीवारों का निर्माण किया गया है. किले के तीन मुख्य प्रवेश द्वार हैं. जो मेनका, हुमकारा और सिम्हाद्वार नाम से जाने जाते हैं. इसके अलावा पहाड़ी के शीर्ष पर 5 वर्ग मीटर का एक समतल क्षेत्र है, जहां पांच तालाब है. इनमें से तीन तालाब में पानी भरा है.
प्रसिद्ध महिषासुर मर्दिनी मंदिर स्थित
यहां प्रसिद्ध महिषासुर मर्दिनी मंदिर स्थित है। महिषासुर मर्दिनी की मूर्ति, 12 हाथों की मूर्ति, गर्भगृह में स्थापित होती है. मंदिर से 3 किमी दूर भगवान शंकर की गुफा स्थित है. बताया जा रहा है कि ये गुफा एक सुरंग की तरह है.
प्रकृति का खजाना है ये पहाड़ी
चैतुरगढ़ की पहाड़ी अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है. यहां कई प्रकार के जंगली जानवर और पक्षी पाए जाते हैं. अपनी अनुपम छटा के कारण ही चैतुरगढ़ को छत्तीसगढ़ के कश्मीर की संज्ञा दी जाती है. इसके साथ ही एसईसीएल ने यहां देखने आने वाले पर्यटकों के लिए एक आराम घर का निर्माण किया है. मंदिर के ट्रस्ट ने पर्यटकों के लिए कुछ कमरे भी बनाये. नवरात्रि के दौरान यहां विशेष पूजा आयोजित की जाती है
पहले भी कई बार क्षतिग्रस्त हो चुका है रैंप
बताया जा रहा है कि ये रैंप पहले भी क्षतिग्रस्त हो चुका है. कई लोग इसे दैवीय प्रकोप का भी हवाला देते हैं. इस विषय में पुरातत्व विभाग के मार्गदर्शक हरि सिंह क्षत्री का कहना है कि लगभग एक दशक पहले चैतुरगढ़ के ऐतिहासिक मंदिर तक पहुंचने वाली मूल सीढ़ियों को तोड़कर रैंप का निर्माण करा दिया गया था. जबकि यह संरक्षित क्षेत्र है, जहां 300 मीटर की परिधि में मूल स्वरूप में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ये काम नियम विरुद्ध हुए थे तत्कालीन डीएफओ के साथ ही जनप्रतिनिधियों के खिलाफ भी एफआईआर हुआ था. फिलहाल ये मामला हाईकोर्ट में लंबित है.
देवी के प्रकोप के कारण टूटा है रैंप
यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि सीढ़ियों के मूल स्वरूप को बदलकर रैंप का निर्माण कराए जाने से महिषासुर मर्दिनी मंदिर की देवी भी नाखुश है, जिसके कारण निर्माण से लेकर अब तक कई बार रैंप क्षतिग्रस्त हो चुका है. इसके आलावा भी यहां कई हादसे हो चुके हैं, जिसमें लोगों की मौत भी हुई है. यानी कि कई लोग इसे देवी का प्रकोप भी मानते हैं.