कोरबा: देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण देश भर में लॉकडाउन चल रहा है. ऐसी स्थिति में लोगों की रक्षा के लिए पुलिसकर्मी, डॉक्टर, सफाईकर्मी दूसरों की मदद करने में लगे हैं. इसी कड़ी में देश सेवा का भाव रखने वाले रेलवे के कर्मचारी 10 से 12 घंटे ड्यूटी करने के बाद अपने घरों में मास्क तैयार कर रहे हैं.
तैयार किया जा रहा मास्क सामान्य मास्क नहीं है इसे धोकर कई बार उपयोग किया जा सकता है. रेल कर्मचारी कहते हैं कि 'संकट की इस घड़ी में मास्क बनाकर वो देश की सेवा कर रहे हैं, ताकि रेल कर्मचारी परिवार के साथ ही गरीबों को भी मास्क आसानी से उपलब्ध हो सके.'
बाजार में मास्क की कमी
देश में कोरोना संकट आने के बाद सभी जगह मास्क की कमी हो गई है. मेडिकल दुकानों में भी लोगों को पर्याप्त मात्रा में मास्क नहीं मिल रहे हैं. जिसे देखते हुए केंद्रीय रेलवे मंत्रालय ने कर्मचारियों से मास्क बनाने का आदेश जारी किया है. यह मास्क एसी कोच में मिलने वाले बेड रोल से तैयार किए जा रहे हैं.
बेड रोल से तैयार कर रहे मास्क
इन बेड रोल को लॉकडाउन के पहले ट्रेनों में बैन कर दिया गया था. अब इन्हीं बेड रोल से स्वच्छ, सस्ता और टिकाऊ मास्क रेलवे कर्मचारी तैयार कर रहे हैं. जिसे देश के अलग-अलग हिस्सों में सप्लाई किया जाएगा ताकि गरीबों को भी यह आसानी से उपलब्ध हो सके.
ठान लें तो सब संभव है
रेलवे के स्टेशन मास्टर आनंद गुप्ता का कहना है 'कि हम सभी रेलवे के कर्मचारी इसे देश सेवा मान कर काम रहे हैं. हालांकि 12 घंटे ड्यूटी के बाद यह आसान नहीं होता,. लेकिन अगर हम ठान लें तो कुछ भी संभव है. हमारी रेलवे की ही एक हरित छत्तीसगढ़ के टीम है, यह सारे कर्मचारी मास्क बनाने में लगे हुए हैं. हमारा टारगेट है कि कोरबा एरिया से 10,000 मास्क बनाकर बिलासपुर जोन को प्रदान करें.'
नाइट ड्यूटी करने के बाद तैयार करते हैं मास्क
रेलवे के वरिष्ठ कर्मचारी शिव कुमार सिदार ने बताया कि 'वह 12 घंटे की नाइट ड्यूटी के बाद सुबह 8 बजे घर लौटते है. और 9 बजे से वह मास्क तैयार करने के काम में जुट जाते है. सिदार कहते हैं कि हमारी ओर से इन विपरीत परिस्थितियों में देश को एक छोटा सा कंट्रीब्यूशन है. कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए सभी को अपने-अपने हिस्से की जिम्मेदारी लेनी चाहिए.'