कोरबा: चलता फिरता रेल अस्पताल लाइफलाइन एक्सप्रेस का बुरा हाल है. यहां मरीजों को इलाज तो मिल रहा है, लेकिन इसके बाद देखभाल के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है. लाइफलाइन एक्सप्रेस में हर दिन 500 से 1000 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. रोजाना किये जाने वाले ऑपरेशन का आंकड़ा भी लगभग 80 है.
ऑपरेशन के तुरंत बाद मरीजों को जिला अस्पताल भेजा जा रहा है. जहां उन्हें बिना बेड के अवस्था और भारी भीड़ के बीच रुकना पड़ रहा है. लाइफलाइन एक्सप्रेस कोरबा रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर-1 पर अगले 2 नवंबर तक लगी रहेगी.
क्या है लाइफ लाइन एक्सप्रेस
इंडिया इंपैक्ट फाउंडेशन और रेलवे के बीच एक MOU साइन किया गया. रेल में ही अस्पताल की पूरी सुविधा देने चलित अस्पताल सेवा लाइफलाइन एक्सप्रेस शुरू किया गया. जहां मरीजों को ओपीडी चेकअप के साथ ही ऑपरेशन का लाभ भी मिलता है.
24 सौ से ज्यादा पंजीयन
कोरबा में 12 अक्टूबर से ही लाइफलाइन एक्सप्रेस ने अपना काम शुरू कर दिया है. अब तक 2400 से ज्यादा मरीजों ने अपना पंजीयन कराया है और 400 सर्जरी पूरी की जा चुकी है. लाइफ लाइन एक्सप्रेस में आंख की बीमारियां जैसे मोतियाबिंद, नाक-कान-गला, कटे-फटे होंठ, हड्डी रोग, मुंह, स्तन व सर्वाइकल कैंसर के साथ ही बीपी, शुगर और मिर्गी जैसी बीमारियों का इलाज किया जा रहा है.
नहीं पहुंच पाए स्पेशलिस्ट
लाइफलाइन एक्सप्रेस में शुक्रवार से नाक-कान-गले से संबंधित बीमारियों का इलाज किया जाना था, लेकिन, इस दौरान कई बुलाए गए विशेषज्ञ डॉक्टर अपनी सेवाएं देने कोरबा नहीं पहुंच पाए. प्रबंधन ये जानकारी भी नहीं उपलब्ध करा हा है कि किसी बीमारी के लिए कौन से विशेषज्ञ कहां से आयेंगे. फिलहाल जिला स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर्स यहां अपने सेवाएं दे रहे हैं. लाइफलाइन एक्सप्रेस प्रबंधन ने बताया कि स्थानीय डॉक्टर केवल कागजी प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए यहां मौजूद हैं.
ऑपरेशन के बाद हो रही खानापूर्ति
लाइफलाइन एक्सप्रेस में आने वाले मरीजों की तादाद बहुत ज्यादा है. ये जिले की लचर स्वास्थ्य सुविधाओं को आईना दिखाने वाली भीड़ है. अच्छी स्वास्थ सुविधाओं की उम्मीद लिए लोग बड़ी तादाद में लाइफलाइन पहुंच रहे हैं. ऑपरेशन के बाद ज्यादातर मरीजों को तत्काल जिला अस्पताल भेजा जा रहा है. जिला अस्पताल में मरीजों को बिना बिस्तर के रखा गया है.
स्वयंसेवी व स्काउट संभाल रहे व्यवस्था
मौके पर पहुंची ETV भारत की टीम को लाइफलाइन एक्सप्रेस में पुलिस या RPF और GRP के जवान नजर नहीं आये. भीड़ को संभालने के लिए स्कॉउट और NSS के छात्रों को बतौर वालंटियर काम सौंपा गया है.