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हजारों करा रहे लाइफलाइन एक्सप्रेस में इलाज पर सुविधा और सुरक्षा को हैं मोहताज - rail

लाइफलाइन एक्सप्रेस में आने वाले मरीजों की तादाद बहुत ज्यादा है. ये जिले की लचर स्वास्थ्य सुविधाओं को आईना दिखाने वाली भीड़ है.

लाइफलाइन एक्सप्रेस.
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Published : Oct 19, 2019, 7:58 AM IST

कोरबा: चलता फिरता रेल अस्पताल लाइफलाइन एक्सप्रेस का बुरा हाल है. यहां मरीजों को इलाज तो मिल रहा है, लेकिन इसके बाद देखभाल के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है. लाइफलाइन एक्सप्रेस में हर दिन 500 से 1000 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. रोजाना किये जाने वाले ऑपरेशन का आंकड़ा भी लगभग 80 है.

देखें इलाज के बाद लोगों की समस्या.

ऑपरेशन के तुरंत बाद मरीजों को जिला अस्पताल भेजा जा रहा है. जहां उन्हें बिना बेड के अवस्था और भारी भीड़ के बीच रुकना पड़ रहा है. लाइफलाइन एक्सप्रेस कोरबा रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर-1 पर अगले 2 नवंबर तक लगी रहेगी.

क्या है लाइफ लाइन एक्सप्रेस
इंडिया इंपैक्ट फाउंडेशन और रेलवे के बीच एक MOU साइन किया गया. रेल में ही अस्पताल की पूरी सुविधा देने चलित अस्पताल सेवा लाइफलाइन एक्सप्रेस शुरू किया गया. जहां मरीजों को ओपीडी चेकअप के साथ ही ऑपरेशन का लाभ भी मिलता है.

24 सौ से ज्यादा पंजीयन
कोरबा में 12 अक्टूबर से ही लाइफलाइन एक्सप्रेस ने अपना काम शुरू कर दिया है. अब तक 2400 से ज्यादा मरीजों ने अपना पंजीयन कराया है और 400 सर्जरी पूरी की जा चुकी है. लाइफ लाइन एक्सप्रेस में आंख की बीमारियां जैसे मोतियाबिंद, नाक-कान-गला, कटे-फटे होंठ, हड्डी रोग, मुंह, स्तन व सर्वाइकल कैंसर के साथ ही बीपी, शुगर और मिर्गी जैसी बीमारियों का इलाज किया जा रहा है.

नहीं पहुंच पाए स्पेशलिस्ट
लाइफलाइन एक्सप्रेस में शुक्रवार से नाक-कान-गले से संबंधित बीमारियों का इलाज किया जाना था, लेकिन, इस दौरान कई बुलाए गए विशेषज्ञ डॉक्टर अपनी सेवाएं देने कोरबा नहीं पहुंच पाए. प्रबंधन ये जानकारी भी नहीं उपलब्ध करा हा है कि किसी बीमारी के लिए कौन से विशेषज्ञ कहां से आयेंगे. फिलहाल जिला स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर्स यहां अपने सेवाएं दे रहे हैं. लाइफलाइन एक्सप्रेस प्रबंधन ने बताया कि स्थानीय डॉक्टर केवल कागजी प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए यहां मौजूद हैं.

ऑपरेशन के बाद हो रही खानापूर्ति
लाइफलाइन एक्सप्रेस में आने वाले मरीजों की तादाद बहुत ज्यादा है. ये जिले की लचर स्वास्थ्य सुविधाओं को आईना दिखाने वाली भीड़ है. अच्छी स्वास्थ सुविधाओं की उम्मीद लिए लोग बड़ी तादाद में लाइफलाइन पहुंच रहे हैं. ऑपरेशन के बाद ज्यादातर मरीजों को तत्काल जिला अस्पताल भेजा जा रहा है. जिला अस्पताल में मरीजों को बिना बिस्तर के रखा गया है.

स्वयंसेवी व स्काउट संभाल रहे व्यवस्था
मौके पर पहुंची ETV भारत की टीम को लाइफलाइन एक्सप्रेस में पुलिस या RPF और GRP के जवान नजर नहीं आये. भीड़ को संभालने के लिए स्कॉउट और NSS के छात्रों को बतौर वालंटियर काम सौंपा गया है.

कोरबा: चलता फिरता रेल अस्पताल लाइफलाइन एक्सप्रेस का बुरा हाल है. यहां मरीजों को इलाज तो मिल रहा है, लेकिन इसके बाद देखभाल के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है. लाइफलाइन एक्सप्रेस में हर दिन 500 से 1000 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. रोजाना किये जाने वाले ऑपरेशन का आंकड़ा भी लगभग 80 है.

देखें इलाज के बाद लोगों की समस्या.

ऑपरेशन के तुरंत बाद मरीजों को जिला अस्पताल भेजा जा रहा है. जहां उन्हें बिना बेड के अवस्था और भारी भीड़ के बीच रुकना पड़ रहा है. लाइफलाइन एक्सप्रेस कोरबा रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर-1 पर अगले 2 नवंबर तक लगी रहेगी.

क्या है लाइफ लाइन एक्सप्रेस
इंडिया इंपैक्ट फाउंडेशन और रेलवे के बीच एक MOU साइन किया गया. रेल में ही अस्पताल की पूरी सुविधा देने चलित अस्पताल सेवा लाइफलाइन एक्सप्रेस शुरू किया गया. जहां मरीजों को ओपीडी चेकअप के साथ ही ऑपरेशन का लाभ भी मिलता है.

24 सौ से ज्यादा पंजीयन
कोरबा में 12 अक्टूबर से ही लाइफलाइन एक्सप्रेस ने अपना काम शुरू कर दिया है. अब तक 2400 से ज्यादा मरीजों ने अपना पंजीयन कराया है और 400 सर्जरी पूरी की जा चुकी है. लाइफ लाइन एक्सप्रेस में आंख की बीमारियां जैसे मोतियाबिंद, नाक-कान-गला, कटे-फटे होंठ, हड्डी रोग, मुंह, स्तन व सर्वाइकल कैंसर के साथ ही बीपी, शुगर और मिर्गी जैसी बीमारियों का इलाज किया जा रहा है.

नहीं पहुंच पाए स्पेशलिस्ट
लाइफलाइन एक्सप्रेस में शुक्रवार से नाक-कान-गले से संबंधित बीमारियों का इलाज किया जाना था, लेकिन, इस दौरान कई बुलाए गए विशेषज्ञ डॉक्टर अपनी सेवाएं देने कोरबा नहीं पहुंच पाए. प्रबंधन ये जानकारी भी नहीं उपलब्ध करा हा है कि किसी बीमारी के लिए कौन से विशेषज्ञ कहां से आयेंगे. फिलहाल जिला स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर्स यहां अपने सेवाएं दे रहे हैं. लाइफलाइन एक्सप्रेस प्रबंधन ने बताया कि स्थानीय डॉक्टर केवल कागजी प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए यहां मौजूद हैं.

ऑपरेशन के बाद हो रही खानापूर्ति
लाइफलाइन एक्सप्रेस में आने वाले मरीजों की तादाद बहुत ज्यादा है. ये जिले की लचर स्वास्थ्य सुविधाओं को आईना दिखाने वाली भीड़ है. अच्छी स्वास्थ सुविधाओं की उम्मीद लिए लोग बड़ी तादाद में लाइफलाइन पहुंच रहे हैं. ऑपरेशन के बाद ज्यादातर मरीजों को तत्काल जिला अस्पताल भेजा जा रहा है. जिला अस्पताल में मरीजों को बिना बिस्तर के रखा गया है.

स्वयंसेवी व स्काउट संभाल रहे व्यवस्था
मौके पर पहुंची ETV भारत की टीम को लाइफलाइन एक्सप्रेस में पुलिस या RPF और GRP के जवान नजर नहीं आये. भीड़ को संभालने के लिए स्कॉउट और NSS के छात्रों को बतौर वालंटियर काम सौंपा गया है.

Intro:कोरबा. विश्व का पहला चलता फिरता रेल अस्पताल लाइफलाइन एक्सप्रेस इन दिनों कोरबा में है। यहां मरीजों को इलाज तो मिल रहा है लेकिन इसके बाद देखभाल के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। लाइफलाइन एक्सप्रेस में हर दिन 500 से 1000 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।प्रतिदिन किये जाने वाले ऑपरेशन का आंकड़ा भी लगभग 80 है। ऑपरेशन के तुरंत बाद मरीजों को जिला अस्पताल भेजा जा रहा है। जहां उन्हें बिना बैड के अवस्थाओं के बीच रुकना पड़ रहा है। इससे प्रशासन के इंतजाम की पोल खुल रही है। भीड़ अधिक होने के कारण मरीजों को कई तरह की असुविधाओं का सामना भी करना पड़ रहा है। लाइफलाइन एक्सप्रेस रेलवे स्टेशन कोरबा के प्लेटफार्म नंबर एक पर लगी हुई है। मरीजों को 2 नवंबर तक इसका लाभ मिलता रहेगा।Body:इंडिया इंपैक्ट फाउंडेशन व रेलवे के बीच किए गए एमओयू के परिपालन में लाइफलाइन एक्सप्रेस जो कि एक चलित रेला अस्पताल है।
इसका लाभ लोगों को मिलता है। ट्रेन में ही अस्पताल की पूरी सुविधा दी जाती है। जहां मरीजों को ओपीडी चेकअप के साथ ही सर्जरी का लाभ भी मिलता है। ट्रेन में बने ऑपरेशन थिएटर के भीतर मरीजों के ऑपरेशन किए जाते हैं। कोरबा में 12 अक्टूबर से लाइफ लाइन ने अपना काम शुरू कर दिया है। अब तक 2400 मरीजों ने अपना पंजीयन कराया है, और 400 सर्जरी पूरी की जा चुकी है। लाइफ लाइन एक्सप्रेस में आंख की बीमारियां जैसे मोतियाबिंद, नाक कान गला, कटे फटे होंठ, हड्डी रोग, मुख, स्तन व सर्वाइकल कैंसर के साथ ही बीपी, शुगर और मिरगी जैसी बीमारियों का इलाज किया जा रहा है।

नहीं पहुंच पाए विशेषज्ञ चिकित्सक
लाइफ लाइन एक्सप्रेस में शुक्रवार से नाक कान गले से संबंधित बीमारियों का इलाज किया जाना था। लेकिन इस दौरान कई आमंत्रित विशेषज्ञ चिकित्सक अपनी सेवाएं देने कोरबा नहीं पहुंच पाए। प्रबंधन द्वारा यह भी नहीं बताया जा रहा है कि किस बीमारी के लिए कौन से विशेषज्ञ चिकित्सक कहां से आने वाले हैं, या आए हुए हैं।लोकल स्तर पर जिला स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक भी यहां अपनी सेवाएं दे रहे हैं। लाइफलाइन प्रबंधन द्वारा बताया गया कि लोकल चिकित्सक केवल कागजी प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए यहां मौजूद हैंConclusion:ऑपरेशन के बाद हो रही खानापूर्ति
लाइफ लाइन एक्सप्रेस में आने वाली मरीजों की तादाद बहुत ज्यादा है। यह जिले की लचर स्वास्थ्य सुविधाओं को आईना दिखाने वाली भीड़ है। अच्छी स्वास्थ सुविधाओं की उम्मीद लिए लोग बड़ी तादाद में लाइफलाइन पहुंच रहे हैं। इनमें से जांच के बाद जो मरीज ऑपरेशन के लिए उपयुक्त पाए जाते हैं। उनका ऑपरेशन भी किया जा रहा है। ऑपरेशन के बाद ज्यादातर मरीजों को तत्काल जिला अस्पताल भेजा जा रहा है, जिला अस्पताल भेजे गए मरीजों को ऑपरेशन के तुरंत बाद उपयुक्त स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रही है। उन्हें बिना बेड के ही एक कमरे में रखा गया ह। जिससे मरीजों को असुविधा का सामना भी करना पड़ रहा है।

स्वयंसेवी व स्काउट संभाल रहे व्यवस्था
भीड़ अधिक होने के बाद भी लाइफ लाइन एक्सप्रेस में पुलिस या आरपीएफ व जीआरपी के जवान नजर नहीं आये। भीड़ को संभालने के लिए स्काउट व एनएसएस के स्वयंसेवी छात्रों को को बतौर वालंटियर काम सौंपा गया है।

बाइट
1. अनिल प्रेम सागर, प्रभारी अधिकारी लाइफलाइन एक्सप्रेस
2. मोतियाबिंद के मरीज
विजुअल
-जिला अस्पताल के एक कमरे ऑपरेशन के तुरंत बाद लाये गए वनांचल क्षेत्र के मोतियाबिंद के मरीज
- लाइफलाइन एक्सप्रेस, पंजीयन स्थल, जांच करते डॉक्टर
फोटो- पंजीयन के लिए लगी कतार
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