कोरबा: कोरबा में गुरु घासीदास जंयती को बड़े धूमधाम से मनाया गया. शहर में गुरु पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाने के लिए काफी लोग जुटे. सतनाम प्रांगण टीपी नगर में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. इससे पहले रविवार को सतनामी समाज की ओर से गुरु पर्व से पहले भव्य शोभायात्रा भी निकाली गई थी. 11 बजे से चौका पूजा आरती का आयोजन किया गया. कई जगहों पर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया.
पंथी नृत्य सहित कलाबाजियों का प्रदर्शन: कोरबा में सोमवार की दोपहर से ही पंथी नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. समिति की ओर से एक सर्वश्रेष्ठ पंथी नृत्य दल का चयन कर प्रदेश स्तर पर भेजा जाएगा. कोरबा सतनामी कल्याण समिति के द्वारा सीतामणी से सतनाम प्रांगण टीपी नगर तक गुरु के संदेश मनखे-मनखे एक समान का संदेश को लेकर शोभायात्रा के प्रभारी त्रिवेन्द्र आदिले और मनोज मनहर के नेतृत्व में शोभायात्रा निकाली गई. ये शोभायात्रा सीतामणी स्थित जैतखाम से पूजा-अर्चना के बाद निकाली गई. शोभायात्रा में कवर्धा जिले से आए अखाड़ा दल के लोगों के साथ ही समाज के लोगों की ओर से शौर्य प्रदर्शन किया गया.
दिन भर चलते रहे आयोजन: शोभायात्रा में मां शीतला डीजे के साथ धुमाल ग्रुप और राताखार पंथी पार्टी की ओर से पॉम मॉल के पास पंथी नृत्य की प्रस्तुति दी गई. सतनाम प्रांगण स्थित जैतखाम में गुरु की भव्य महाआरती की गई. आकर्षक झांकी में श्वेत ध्वज लहराते हुए कुतुबमीनार से भी ऊंचे जैतखाम का प्रतिरूप शोभायात्रा में आकर्षण का केन्द्र रहा. शोभायात्रा में लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
समानता के लिए जीवन भर किया संघर्ष: बता दें गुरु घासीदास बाबा ने भेदभाव और ऊंच-नीच को दूर करने के लिए मनखे-मनखे एक सामान का संदेश दिया था. जिसका मतलब है सभी इंसान एक सामान, बराबर हैं. जात-पात के आधार पर भेदभाव के विरुद्ध बाबा ने जीवन भर संघर्ष किया. सतनामी समाज में बाबा गुरु घासीदास के अनुयाई अच्छी खासी तादाद में आज भी मौजूद हैं. बिलासपुर में गुरु घासीदास के नाम पर केंद्रीय विश्वविद्यालय भी संचालित है. गुरु घासीदास के जन्म के ढाई सौ साल बाद भी लोग उन्हें, उनके संदेश के लिए याद करते हैं. प्रत्येक साल विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं.