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किसानों के प्रिय नेता स्वर्गीय बिसाहू दास महंत की पुण्यतिथि आज

किसानों के प्रिय नेता स्वर्गीय बिसाहू दास महंत की आज 44वीं पुण्यतिथि (death anniversary of late Bisahu Das Mahant) है.इस मौके पर कोरबा जिले में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं.

Program in memory of Late Bisahu Das Mahant in Korba
किसानों के प्रिय स्वर्गीय बिसाहू दास महंत की पुण्यतिथि आज
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Published : Jul 23, 2022, 12:07 PM IST

कोरबा : गांधीवादी विचारधारा, सादा जीवन उच्च विचार जैसी बातों को अपने जीवन में उतारने वाले स्वर्गीय बिसाहू दास महंत की आज 44वीं पुण्यतिथि (death anniversary of late Bisahu Das Mahant) है. प्रदेश के सबसे ऊंचे मिनीमाता बांगो बांध के स्वप्न दृष्टा के तौर पर भी स्व. बिसाहूदास को याद किया जाता (Program in memory of Late Bisahu Das Mahant in Korba) है. जो अविभाजित मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस के सबसे सफल विधायकों में से एक थे. उनकी मौत के बाद उनकी राजनीतिक विरासत को पुत्र डॉ चरणदास महंत ने आगे बढ़ाया. जो छत्तीसगढ़ में विधानसभा अध्यक्ष हैं.

दिन भर होंगे कार्यक्रम : स्व. महंत की 44 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर 23 जुलाई को दोपहर 12.15 बजे घंटाघर के पास स्थित स्व. बिसाहूदास महंत स्मृति उद्यान में कार्यक्रम आयोजित किया गया है. जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुरेन्द्र प्रताप जायसवाल ने बताया कि ''कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत (CG Assembly Speaker Charandas Mahant) एवं कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत (Korba MP Jyotsna Mahant) विशेष रूप से उपस्थित होंगी. कोरबा में जनप्रिय राजनेता स्व. बिसाहूदास महंत जी की प्रतिमा का अनावरण 23 जुलाई 2011 को ओपन थियेटर के सामने मिनीमाता कन्या कॉलेज के पास हुआ था.

सबसे सफल विधायकों में शुमार होने का रिकॉर्ड : बिसाहू दास महंत (1 अप्रैल 1924 - 23 जुलाई 1978) मध्य प्रदेश के एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे. वह राज्य में कांग्रेस द्वारा निर्मित अब तक के सबसे सफल विधायकों में से एक थे. उन्होंने निर्वाचन क्षेत्रों के लिए क्रमशः एक, दो और तीन कार्यकालों के लिए बाराडुवर का प्रतिनिधित्व किया, जिसे अब नया बरद्वार, नवागढ़ और चांपा के नाम से जाना जाता है. उन्होंने 1952 में बाराडुवर से 1957 और 1962 में नवागढ़ और वर्ष 1967, 1972 और 1977 में चांपा से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता. 1952 में जीतना शुरू करने के बाद से वह कभी चुनाव नहीं हारे, वे लगातार छह बार चुने गए. जब तक उनकी मृत्यु नहीं हुई, वे बहुत लंबे समय तक बिस्तर पर पड़े रहे. अंत में कार्डियक अरेस्ट के कारण उनकी मृत्यु हो गई.

किसान थे दिल के करीब :1942 और 1947 के बीच स्व. महंत ने अपने कॉलेज जीवन में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. इस वजह से सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई की और उनकी छात्रवृत्ति को भी खारिज कर दिया था. आगे चलकर वह राजनीति में ऊंचे पदों पर रहे. अविभाजित मध्यप्रदेश में मंत्री जैसे पदों पर काम करते हुए उन्होंने किसानों की पीड़ा को समझा और उनके लिए सिंचाई का प्रबंध करने की ठानी. कोरबा जिले में निर्मित प्रदेश के सबसे ऊंचे मिनीमाता बांगो बांध के शिलान्यास का श्रेय उन्हें दिया जाता है. जिससे आज लाखों हेक्टेयर खेतों की प्यास बुझती है. किसानों अपने खेत की सिंचाई कर पाते हैं.

पुत्र और बहू आगे बढ़ा रहे विरासत :स्वर्गीय बिसाहू दास महंत के दो पुत्रों में डॉ चरणदास महंत भी राजनीति में उतने ही सफल हैं. जितने कभी बिसाहू दास महंत थे. डॉ चरणदास महंत भी अविभाजित मध्यप्रदेश में मंत्री जैसे पदों पर रहे. केंद्र में भी सांसद रहे, वर्तमान में वह छत्तीसगढ़ के विधानसभा अध्यक्ष हैं. जबकि चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत कोरबा लोकसभा सीट से सांसद हैं.

कोरबा : गांधीवादी विचारधारा, सादा जीवन उच्च विचार जैसी बातों को अपने जीवन में उतारने वाले स्वर्गीय बिसाहू दास महंत की आज 44वीं पुण्यतिथि (death anniversary of late Bisahu Das Mahant) है. प्रदेश के सबसे ऊंचे मिनीमाता बांगो बांध के स्वप्न दृष्टा के तौर पर भी स्व. बिसाहूदास को याद किया जाता (Program in memory of Late Bisahu Das Mahant in Korba) है. जो अविभाजित मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस के सबसे सफल विधायकों में से एक थे. उनकी मौत के बाद उनकी राजनीतिक विरासत को पुत्र डॉ चरणदास महंत ने आगे बढ़ाया. जो छत्तीसगढ़ में विधानसभा अध्यक्ष हैं.

दिन भर होंगे कार्यक्रम : स्व. महंत की 44 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर 23 जुलाई को दोपहर 12.15 बजे घंटाघर के पास स्थित स्व. बिसाहूदास महंत स्मृति उद्यान में कार्यक्रम आयोजित किया गया है. जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुरेन्द्र प्रताप जायसवाल ने बताया कि ''कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत (CG Assembly Speaker Charandas Mahant) एवं कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत (Korba MP Jyotsna Mahant) विशेष रूप से उपस्थित होंगी. कोरबा में जनप्रिय राजनेता स्व. बिसाहूदास महंत जी की प्रतिमा का अनावरण 23 जुलाई 2011 को ओपन थियेटर के सामने मिनीमाता कन्या कॉलेज के पास हुआ था.

सबसे सफल विधायकों में शुमार होने का रिकॉर्ड : बिसाहू दास महंत (1 अप्रैल 1924 - 23 जुलाई 1978) मध्य प्रदेश के एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे. वह राज्य में कांग्रेस द्वारा निर्मित अब तक के सबसे सफल विधायकों में से एक थे. उन्होंने निर्वाचन क्षेत्रों के लिए क्रमशः एक, दो और तीन कार्यकालों के लिए बाराडुवर का प्रतिनिधित्व किया, जिसे अब नया बरद्वार, नवागढ़ और चांपा के नाम से जाना जाता है. उन्होंने 1952 में बाराडुवर से 1957 और 1962 में नवागढ़ और वर्ष 1967, 1972 और 1977 में चांपा से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता. 1952 में जीतना शुरू करने के बाद से वह कभी चुनाव नहीं हारे, वे लगातार छह बार चुने गए. जब तक उनकी मृत्यु नहीं हुई, वे बहुत लंबे समय तक बिस्तर पर पड़े रहे. अंत में कार्डियक अरेस्ट के कारण उनकी मृत्यु हो गई.

किसान थे दिल के करीब :1942 और 1947 के बीच स्व. महंत ने अपने कॉलेज जीवन में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. इस वजह से सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई की और उनकी छात्रवृत्ति को भी खारिज कर दिया था. आगे चलकर वह राजनीति में ऊंचे पदों पर रहे. अविभाजित मध्यप्रदेश में मंत्री जैसे पदों पर काम करते हुए उन्होंने किसानों की पीड़ा को समझा और उनके लिए सिंचाई का प्रबंध करने की ठानी. कोरबा जिले में निर्मित प्रदेश के सबसे ऊंचे मिनीमाता बांगो बांध के शिलान्यास का श्रेय उन्हें दिया जाता है. जिससे आज लाखों हेक्टेयर खेतों की प्यास बुझती है. किसानों अपने खेत की सिंचाई कर पाते हैं.

पुत्र और बहू आगे बढ़ा रहे विरासत :स्वर्गीय बिसाहू दास महंत के दो पुत्रों में डॉ चरणदास महंत भी राजनीति में उतने ही सफल हैं. जितने कभी बिसाहू दास महंत थे. डॉ चरणदास महंत भी अविभाजित मध्यप्रदेश में मंत्री जैसे पदों पर रहे. केंद्र में भी सांसद रहे, वर्तमान में वह छत्तीसगढ़ के विधानसभा अध्यक्ष हैं. जबकि चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत कोरबा लोकसभा सीट से सांसद हैं.

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