कोरबा: विश्व में फैले कोरोना महामारी के कारण हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. इस बीच सबसे ज्यादा परेशानी अगर कोई झेल रहा है, तो वो हैं प्रवासी मजदूर. कोरबा जिले के 10 हजार मजदूर दूसरे प्रदेशों में फंसे हैं, जिसकी जानकारी प्रशासन ने जुटा ली है.अब बस इंतजार है तो इनके लौटने का. सरकार प्रयास कर रही है कि सभी को अन्य प्रदेशों से लाकर उनके घरों तक पहुंचाया जाए और उन्हें 14 दिनों तक के लिए क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा जाए. प्रशासन ने इसके लिए अलग-अलग क्षेत्रों में 77 क्वॉरेंटाइन सेंटर भी तैयार किए हैं.
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कलेक्टर किरण कौशल ने जिले के सभी निवासियों से अपील की है कि, उनके गांव, मोहल्ले या पड़ोस में बाहर से आने वाले लोगों की जानकारी प्रशासन को दें. जिला प्रशासन ने अपनी जानकारी के हिसाब से लगभग 10 हजार ऐसे श्रमिकों के कोरबा वापस लौटने की संभावना जताई है. कलेक्टर ने बताया कि घर वापसी पर क्वॉरेंटाइन करने के लिए जरूरी तैयारियां की जा रही हैं. इसके लिए अभी तक जिले में 77 क्वॉरेंटाइन सेंटर चिन्हांकित किए गए हैं और इन सेंटरों में बिजली, पानी, शौचालय, आवास व्यवस्था, भोजन व्यवस्था सहित सुरक्षा के इंतजाम तेजी से किए जा रहे हैं.
सूचनातंत्र को मजबूत करने के निर्देश कलेक्टर ने दिए है
कलेक्टर ने बताया कि गांवों और शहरों में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए बाहर से आने वाले सभी श्रमिकों को शासन की ओर से निर्धारित कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन कराया जाएगा. वहीं अन्य प्रांतों से आने वाले सभी लोगों की सूचना और जानकारी नियंत्रण कक्ष के फोन नंबर 07759-228548 पर दी जा सकती है. जिले के सभी अनुविभागीय राजस्व अधिकारियों को ऐसे सभी लोगों की जानकारी लेने के लिये अपने सूचना तंत्र को मजबूत करने के निर्देश कलेक्टर ने दिए हैं.
स्वास्थ्य परीक्षण विशेषज्ञ डाॅक्टरों द्वारा किया जाएगा
वहीं पटवारियों, कोटवारों, मितानिनों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहित जनसामान्य से भी इस प्रकार की जानकारी लगातार लेते रहने के निर्देश कलेक्टर ने दिए हैं. जिले की सीमा में दाखिल हुए मजदूरों को 14 दिन तक क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखकर उनकी निगरानी की जाएगी.निगरानी के दौरान व्यक्ति का लगातार स्वास्थ्य परीक्षण विशेषज्ञ डाॅक्टरों की ओर से किया जाता है. ऐसे व्यक्तियों में कोरोना वायरस के लक्षण दिखने पर तत्काल उसका सैम्पल लेकर रायपुर या अन्य जगहों पर स्थित अधिकृत लैब में जांच के लिये भेजा जाएगा. व्यक्ति के सैम्पल जांच रिपोर्ट निगेटिव आने पर 14 दिन की अवधि के बाद उसे घर जाने दिया जाएगा और यदि रिपोर्ट पाॅजीटिव आती है तो मरीज का जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराकर समुचित इलाज किया जाएगा.