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कोरबा में सुरक्षा के साथ निष्पक्ष चुनाव कराना ही पुलिस की चुनौती और एकमात्र उद्देश्य: एसपी जितेंद्र शुक्ल - अवैध कैश फ्लो

चुनाव में पुलिसिंग एक बड़ी चुनौती रहती है. मतदान के दिन पोलिंग बूथ पर सुरक्षा देना, पक्ष और विपक्ष के नेताओं का चुनाव प्रचार या फिर स्टार प्रचारकों का दौरा. इन सभी में ग्राउंड पर पुलिस मौजूद रहती है. वह सुरक्षा के इंतजामों को सुनिश्चित करती है. कई बार पुलिस के दामन पर भी दाग लगते हैं. शिकायतें होती हैं. इन सबमें जिले के एसपी परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लेते हैं. उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाती है.

preparation of Korba Police for assembly elections
कोरबा एसपी से खास बातचीत
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 10, 2023, 11:32 PM IST

कोरबा एसपी से खास बातचीत

कोरबा: ऊर्जाधानी कोरबा में विधानसभा की चार सीटें हैं रामपुर, कोरबा, कटघोरा और पाली तानाखार. चारों सीटों पर निष्पक्ष चुनाव कराना प्रशासन के लिए बड़ी जिम्मेदारी है. चारों विधानसभा सीटों पर सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम करने के साथ साथ चुनावी चुनौतियों से निपटने के लिए पुलिस कितनी मुस्तैद और तैयार है. इस पर बात की ईटीवी भारत की टीम ने नवनियुक्त एसपी जितेंद्र शुक्ला से.


सवाल: चुनाव के दौरान पुलिसिंग में आने वाली सबसे बड़ी चुनौतियां क्या होती हैं?
जवाब: चुनाव के दौरान पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती या एकमात्र उद्देश्य भी कह सकते हैं. वो चुनाव को निष्पक्ष, सुरक्षित और शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराना, यही हमारे लिए एक सबसे बड़ी चुनौती है. यही हमारा लक्ष्य भी रहता है. बाकी सारी चुनौतियां एक-एक करके आती हैं. लेकिन हमारा मूल उद्देश्य यही रहता है कि किस तरह से जनता को सुरक्षित माहौल प्रदान करें. ताकि वह वोट देने और निष्पक्ष तौर पर अपने प्रत्याशी का चयन कर सकें. कोई भी ऐसा काम जो चुनाव प्रभावित करे उसे हम रोकने का काम करेंगे.

सवाल: चुनाव में सत्तापक्ष के साथ और विपक्षी नेता एक दूसरे के आमने-सामने रहते हैं, तो उनमें कैसे तालमेल बिठाते हैं?
जवाब: चुनाव में इसलिए यही एक उद्देश्य रखा गया है कि सभी को एक समान मैदान मिलना चाहिए. लोकतंत्र में यह उद्देश्य है कि सभी को एक लेवल का प्लेइंग फील्ड मिले. चाहे वह जीता हुआ विधायक हो, फिर चाहे वह अपोजिशन में हो या कोई भी प्रत्याशी हो या फिर मंत्री हो. जिस दिन चुनाव की घोषणा हो जाए, उसे दिन से लेकर जब तक मतगणना नहीं हो जाती. तब तक सभी को एक समान मैदान मिलना चाहिए. खेल के नियम एक समान होंगे. ताकि पूर्व का फायदा और आगे का फायदा किसी को ना मिले.कोई ज्यादा पावरफुल व्यक्ति है, तो अपने प्रभाव का इस्तेमाल न करें. कोई ज्यादा पैसे का इस्तेमाल न करे. इन सबके के लिए नियम बने हए हैं. फिर जनता तय करें कि जितने भी प्रत्याशी चुनाव में खड़े हैं. उनमें से कौन बेहतर है. यह तभी संभव होगा, जब सभी को एक समान परिस्थितियां मिलेंगी. कम या ज्यादा वाली बात नहीं होगी. सभी कैंडिडेट के लिए प्रचार करने वाले वाहनों से लेकर के खर्च की सीमा को लेकर एक समान नियम बने हैं. तो हम भी कोशिश करते हैं कि सारे प्रत्याशियों को एक बराबर अवसर मिले.

सवाल: राजनीतिक दलों के स्टार प्रचारकों का दौरा भी बढ़ गया है, एक दिन पहले ही स्मृति ईरानी आने वाली थीं, फिर दौरा कैंसिल हुआ. व्यवस्था कैसे संभालते हैं, क्या निर्देश रहते हैं?
जवाब: चुनाव में पुलिस की जिम्मेदारी सबसे ज्यादा बढ़ जाती है. टाइम मैनेजमेंट और बल मैनेजमेंट का प्रेशर भी ज्यादा रहता है. हर दिन सभी प्रत्याशियों के कोई न कोई स्टार प्रचारक और प्रचार का कुछ ना कुछ कार्यक्रम चलता ही रहता है. इसमें सुरक्षा देना बेहद महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है. ताकि सभी प्रत्याशी अपना प्रचार कार्यक्रम आराम से कर सकें. जनता तक पहुंच सकें, हमारी कोशिश यही रहती है कि छोटा प्रत्याशी हो या फिर कोई राष्ट्रीय दल का बड़ा प्रत्याशी. सभी को एक समान सुरक्षा मिले, उनकी सभा, प्रचार आराम से चले. जिससे उनको भी कोई दिक्कत ना हो और उनके प्रचार से जनता को भी कोई परेशानी ना हो. वह जहां तक जाना चाहते हैं. वहां तक पहुंच सकें.

सवाल: विदेशों से तुलना करें तो पुलिस का जनता के हिसाब से रेशियो भारत में वैसे ही कम है, तो क्या पर्याप्त बल नहीं होने से दिक्कत होती है?
जवाब: हां, चुनाव में मुश्किल तो बढ़ती है. जैसे कोरबा जिले में ही मैं बात करूं तो जितना बल होना था. उतना नहीं है. जो सैंक्शन स्ट्रैंथ है, उतना बल हमारे पास नहीं है. चुनाव में यहां चार विधानसभा में 1080 बूथ हैं. इलेक्शन कमीशन के गाइडलाइन के अनुसार हमें सुरक्षा देनी होती है. जिसमे बल काफी ज्यादा लगता है. उसके लिए इलेक्शन कमीशन ने व्यवस्था भी लगाई है. लेकिन वह चुनाव के दिन के लिए होता है. मतदान के दिन से पहले तक स्थानीय पुलिस को ही सारी व्यवस्थाओं को खुद संभालना होता है। चुनाव प्रचार, नामांकन और नामांकन से लेकर मतदान के दिन के बीच तक की पूरी व्यवस्था पुलिस को खुद ही हैंडल करना पड़ता है. वह करने में चुनौतियां तो रहती हैं. टाइम मैनेजमेंट और प्लानिंग के जरिए, अभी तक हमने बढ़िया काम किया है. आगे भी हमारा प्रयास रहेगा कि अच्छा काम किया जाए.

सवाल: चुनाव के दौरान पुलिसकर्मियों पर भी आरोप लगाते हैं, चुनाव प्रभावित करने के आरोप, कई बार दुर्भावनावाश भी आरोप लगते हैं, आप कैसे निर्णय लेते हैं?
जवाब: चुनाव का टाइम है तो पुलिस निशाने पर तो रहती ही रहती है. दोनों तरफ के लोग अपने अलग-अलग शिकायत लेकर के आते हैं. सभी शिकायतों पर और जहां पर भी ऐसा लगता है की सच्चाई मिलती है. उसपर हम पूरी संवेदनशीलता के साथ और निष्पक्षता के साथ कार्यवाही करने की कोशिश करते हैं. जिसकी शिकायत में थोड़ा भी दम हो और तथ्य हो. तो उसपर हम ठोस कार्रवाई करते हैं. मतदान प्रभावित करने की कोई शिकायत हो, तो ऐसा व्यक्ति को हम चुनाव कार्य से पृथक कर देते हैं. उन्हें चुनाव के कार्यों से हटा देते हैं और दूसरा काम दे देते हैं. सभी शिकायत को हम सुन रहे हैं. फिर चाहे वह पब्लिक से मिली हो या चुनाव आयोग से मिली हो. हम सभी को निराकृत कर रहे हैं. ऐसा कोई भी व्यक्ति, जिसके खिलाफ कोई शिकायत हो या थोड़ा सा भी ऐसा हमें संदेह है कि वह मतदान को प्रभावित करेगा. तो उसे हमने चुनाव ड्यूटी से अलग रखकर दूसरे काम में लगा दिया है. उसे ऑफिस के काम में लगाया है. इस तरह से कई रोल रहते हैं उसे फील्ड जॉब से हटा दिया जाता है और किसी और तरह का काम उससे लिया जाता है. इसी तरह जिसके खिलाफ बड़ी शिकायत है. उसके खिलाफ बड़ी कार्रवाई भी करते हैं.

सवाल: जिस तरह से अवैध कैश फ्लो का मामला है. आपके आने के बाद कार्रवाई भी हुई है, सूचनाएं कैसे मिलती है? इसमें किस तरह से पुलिस काम करती है?
जवाब: चुनाव को निष्पक्ष ढंग से करने के लिए हम प्रयास करते हैं कि गलत तरीकों का इस्तेमाल न किया जाए. इसलिए चुनाव आयोग के निर्देश पर हर विधानसभावार फ्लाइंग स्क्वॉड और सर्विलांस टीम बनाई जाती है. जो नियमित रूप से नजर रखती है कि कोई अपने पद, पावर और पैसे का गलत तरीके से प्रयोग ना कर सके. उसके संदर्भ में ही हम निगरानी करते हैं और जैसे ही चेकिंग स्टार्ट होती है. पब्लिक डोमेन से भी शिकायत आने लगती है. कुछ रूटीन चेकिंग में ही पकड़े जाते हैं. गाड़ी आई एंट्री हो रही थी, तो उन्हें पकड़ लिए और पैसे भी पकड़ में आ जाते हैं. हमें खुद सूचनाएं भी मिलने लगती है कि इस कैंडिडेट का पैसा आ रहा है. या कुछ आ रहा है, तो हम पॉइंट बनाकर चेक करते हैं. जब कार्रवाई शुरू होती है तो इनपुट खुद-ब-खुद मिलने लगते हैं. जनता भी इस मामले में जागरूक है. जनता को पता है की कार्रवाई होगी तो वह सूचना देते हैं. हम काफी सफल भी रहे हैं. पिछले चुनाव के तुलना में हमने करीब 10 गुना ज्यादा रिकवरी की है. उम्मीद करते हैं की निष्पक्ष चुनाव होगा.

सवाल: हम देखते हैं कि पुलिस की चेकिंग बढ़ती है तो आम लोग काफी परेशान हो जाते हैं, उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है?
जवाब: चुनाव के समय ऐसा होता है. पुलिस ज्यादा चेकिंग करती है, निगरानी ज्यादा रहती है. तो कभी-कभी ऐसा होता है की जांच पड़ताल में लोग थोड़ा सा परेशान हो जाते हैं. लेकिन चुनाव आयोग की तरफ से गाइडलाइन है और हमारे जो नियम है. उसमें साफ लिखा हुआ है कि परेशान होने की जरूरत नहीं है. कभी किसी का पैसा या कुछ लीगल सामान पकड़ा गया और डॉक्यूमेंट नहीं है. तो जिला स्तर पर समस्या समाधान टीम बनी हुई है. वह 24 घंटे के अंदर अपना पैसा, सामान छुड़वा सकते हैं. थोड़ी परेशानी बिल्कुल होती है. लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि जो सही लोग रहते हैं. वह पुलिस का साथ देते हैं. लेकिन कुछ लोग होते हैं, वह आरोप प्रत्यारोप भी लगाते हैं. लेकिन लोगों को यह भी समझना चाहिए कि चुनाव लोकतंत्र का भविष्य है और यह तभी बेहतर ढंग से हो पाएगा, जब गलत लोग फायदा ना उठा पाएं. उनको रोकने के लिए यह सारी निगरानी की व्यवस्था की गई है. यह सही लोगों को परेशान करने के लिए नहीं है.

सवाल: चुनाव आयोग ने पहले कोरबा जिले के एसपी को हटाया फिर एक डीएसपी और इंस्पेक्टर को भी हटा दिया, फिर आपको भेजा गया. तो क्या जिले में कहीं कुछ गलत हो रहा था? ऐसे में क्या आपकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है?
जवाब: देखिए, सही और गलत का तो मुझे नहीं पता. मैं इसमें कोई टिप्पणी नहीं कर पाऊंगा. लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि यदि किसी की शिकायत मिली, किसी पॉलिटिकल पार्टी या अन्य जैसे एक दूसरे की शिकायत कर हैं. पुलिस वालों की भी शिकायत हो रही है. यदि ऐसा लगता है कि कोई व्यक्ति चुनाव में प्रभावित कर सकता है. ऐसा संदेह भी है, यदि मेरे खिलाफ भी शिकायत होती है कि मेरे यहां रहने से चुनाव प्रभावित होगा. तो चुनाव तक काम से अलग करने में कोई बुराई नहीं है. मुझे भी हटा देना चाहिए, ताकि चुनाव अच्छे तरीके से संपन्न हो और अगर चुनाव अच्छे तरीके से संपन्न हो गया, तो उसके बाद सही और गलत का निर्धारण करिए. जो अथॉरिटी हैं, वह सही और गलत का निर्धारण करेंगे. लेकिन किसी भी हाल में चुनाव निष्पक्ष ढंग से होना चाहिए, यह प्रभावित नहीं होना चाहिए.

कोरबा एसपी से खास बातचीत

कोरबा: ऊर्जाधानी कोरबा में विधानसभा की चार सीटें हैं रामपुर, कोरबा, कटघोरा और पाली तानाखार. चारों सीटों पर निष्पक्ष चुनाव कराना प्रशासन के लिए बड़ी जिम्मेदारी है. चारों विधानसभा सीटों पर सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम करने के साथ साथ चुनावी चुनौतियों से निपटने के लिए पुलिस कितनी मुस्तैद और तैयार है. इस पर बात की ईटीवी भारत की टीम ने नवनियुक्त एसपी जितेंद्र शुक्ला से.


सवाल: चुनाव के दौरान पुलिसिंग में आने वाली सबसे बड़ी चुनौतियां क्या होती हैं?
जवाब: चुनाव के दौरान पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती या एकमात्र उद्देश्य भी कह सकते हैं. वो चुनाव को निष्पक्ष, सुरक्षित और शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराना, यही हमारे लिए एक सबसे बड़ी चुनौती है. यही हमारा लक्ष्य भी रहता है. बाकी सारी चुनौतियां एक-एक करके आती हैं. लेकिन हमारा मूल उद्देश्य यही रहता है कि किस तरह से जनता को सुरक्षित माहौल प्रदान करें. ताकि वह वोट देने और निष्पक्ष तौर पर अपने प्रत्याशी का चयन कर सकें. कोई भी ऐसा काम जो चुनाव प्रभावित करे उसे हम रोकने का काम करेंगे.

सवाल: चुनाव में सत्तापक्ष के साथ और विपक्षी नेता एक दूसरे के आमने-सामने रहते हैं, तो उनमें कैसे तालमेल बिठाते हैं?
जवाब: चुनाव में इसलिए यही एक उद्देश्य रखा गया है कि सभी को एक समान मैदान मिलना चाहिए. लोकतंत्र में यह उद्देश्य है कि सभी को एक लेवल का प्लेइंग फील्ड मिले. चाहे वह जीता हुआ विधायक हो, फिर चाहे वह अपोजिशन में हो या कोई भी प्रत्याशी हो या फिर मंत्री हो. जिस दिन चुनाव की घोषणा हो जाए, उसे दिन से लेकर जब तक मतगणना नहीं हो जाती. तब तक सभी को एक समान मैदान मिलना चाहिए. खेल के नियम एक समान होंगे. ताकि पूर्व का फायदा और आगे का फायदा किसी को ना मिले.कोई ज्यादा पावरफुल व्यक्ति है, तो अपने प्रभाव का इस्तेमाल न करें. कोई ज्यादा पैसे का इस्तेमाल न करे. इन सबके के लिए नियम बने हए हैं. फिर जनता तय करें कि जितने भी प्रत्याशी चुनाव में खड़े हैं. उनमें से कौन बेहतर है. यह तभी संभव होगा, जब सभी को एक समान परिस्थितियां मिलेंगी. कम या ज्यादा वाली बात नहीं होगी. सभी कैंडिडेट के लिए प्रचार करने वाले वाहनों से लेकर के खर्च की सीमा को लेकर एक समान नियम बने हैं. तो हम भी कोशिश करते हैं कि सारे प्रत्याशियों को एक बराबर अवसर मिले.

सवाल: राजनीतिक दलों के स्टार प्रचारकों का दौरा भी बढ़ गया है, एक दिन पहले ही स्मृति ईरानी आने वाली थीं, फिर दौरा कैंसिल हुआ. व्यवस्था कैसे संभालते हैं, क्या निर्देश रहते हैं?
जवाब: चुनाव में पुलिस की जिम्मेदारी सबसे ज्यादा बढ़ जाती है. टाइम मैनेजमेंट और बल मैनेजमेंट का प्रेशर भी ज्यादा रहता है. हर दिन सभी प्रत्याशियों के कोई न कोई स्टार प्रचारक और प्रचार का कुछ ना कुछ कार्यक्रम चलता ही रहता है. इसमें सुरक्षा देना बेहद महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है. ताकि सभी प्रत्याशी अपना प्रचार कार्यक्रम आराम से कर सकें. जनता तक पहुंच सकें, हमारी कोशिश यही रहती है कि छोटा प्रत्याशी हो या फिर कोई राष्ट्रीय दल का बड़ा प्रत्याशी. सभी को एक समान सुरक्षा मिले, उनकी सभा, प्रचार आराम से चले. जिससे उनको भी कोई दिक्कत ना हो और उनके प्रचार से जनता को भी कोई परेशानी ना हो. वह जहां तक जाना चाहते हैं. वहां तक पहुंच सकें.

सवाल: विदेशों से तुलना करें तो पुलिस का जनता के हिसाब से रेशियो भारत में वैसे ही कम है, तो क्या पर्याप्त बल नहीं होने से दिक्कत होती है?
जवाब: हां, चुनाव में मुश्किल तो बढ़ती है. जैसे कोरबा जिले में ही मैं बात करूं तो जितना बल होना था. उतना नहीं है. जो सैंक्शन स्ट्रैंथ है, उतना बल हमारे पास नहीं है. चुनाव में यहां चार विधानसभा में 1080 बूथ हैं. इलेक्शन कमीशन के गाइडलाइन के अनुसार हमें सुरक्षा देनी होती है. जिसमे बल काफी ज्यादा लगता है. उसके लिए इलेक्शन कमीशन ने व्यवस्था भी लगाई है. लेकिन वह चुनाव के दिन के लिए होता है. मतदान के दिन से पहले तक स्थानीय पुलिस को ही सारी व्यवस्थाओं को खुद संभालना होता है। चुनाव प्रचार, नामांकन और नामांकन से लेकर मतदान के दिन के बीच तक की पूरी व्यवस्था पुलिस को खुद ही हैंडल करना पड़ता है. वह करने में चुनौतियां तो रहती हैं. टाइम मैनेजमेंट और प्लानिंग के जरिए, अभी तक हमने बढ़िया काम किया है. आगे भी हमारा प्रयास रहेगा कि अच्छा काम किया जाए.

सवाल: चुनाव के दौरान पुलिसकर्मियों पर भी आरोप लगाते हैं, चुनाव प्रभावित करने के आरोप, कई बार दुर्भावनावाश भी आरोप लगते हैं, आप कैसे निर्णय लेते हैं?
जवाब: चुनाव का टाइम है तो पुलिस निशाने पर तो रहती ही रहती है. दोनों तरफ के लोग अपने अलग-अलग शिकायत लेकर के आते हैं. सभी शिकायतों पर और जहां पर भी ऐसा लगता है की सच्चाई मिलती है. उसपर हम पूरी संवेदनशीलता के साथ और निष्पक्षता के साथ कार्यवाही करने की कोशिश करते हैं. जिसकी शिकायत में थोड़ा भी दम हो और तथ्य हो. तो उसपर हम ठोस कार्रवाई करते हैं. मतदान प्रभावित करने की कोई शिकायत हो, तो ऐसा व्यक्ति को हम चुनाव कार्य से पृथक कर देते हैं. उन्हें चुनाव के कार्यों से हटा देते हैं और दूसरा काम दे देते हैं. सभी शिकायत को हम सुन रहे हैं. फिर चाहे वह पब्लिक से मिली हो या चुनाव आयोग से मिली हो. हम सभी को निराकृत कर रहे हैं. ऐसा कोई भी व्यक्ति, जिसके खिलाफ कोई शिकायत हो या थोड़ा सा भी ऐसा हमें संदेह है कि वह मतदान को प्रभावित करेगा. तो उसे हमने चुनाव ड्यूटी से अलग रखकर दूसरे काम में लगा दिया है. उसे ऑफिस के काम में लगाया है. इस तरह से कई रोल रहते हैं उसे फील्ड जॉब से हटा दिया जाता है और किसी और तरह का काम उससे लिया जाता है. इसी तरह जिसके खिलाफ बड़ी शिकायत है. उसके खिलाफ बड़ी कार्रवाई भी करते हैं.

सवाल: जिस तरह से अवैध कैश फ्लो का मामला है. आपके आने के बाद कार्रवाई भी हुई है, सूचनाएं कैसे मिलती है? इसमें किस तरह से पुलिस काम करती है?
जवाब: चुनाव को निष्पक्ष ढंग से करने के लिए हम प्रयास करते हैं कि गलत तरीकों का इस्तेमाल न किया जाए. इसलिए चुनाव आयोग के निर्देश पर हर विधानसभावार फ्लाइंग स्क्वॉड और सर्विलांस टीम बनाई जाती है. जो नियमित रूप से नजर रखती है कि कोई अपने पद, पावर और पैसे का गलत तरीके से प्रयोग ना कर सके. उसके संदर्भ में ही हम निगरानी करते हैं और जैसे ही चेकिंग स्टार्ट होती है. पब्लिक डोमेन से भी शिकायत आने लगती है. कुछ रूटीन चेकिंग में ही पकड़े जाते हैं. गाड़ी आई एंट्री हो रही थी, तो उन्हें पकड़ लिए और पैसे भी पकड़ में आ जाते हैं. हमें खुद सूचनाएं भी मिलने लगती है कि इस कैंडिडेट का पैसा आ रहा है. या कुछ आ रहा है, तो हम पॉइंट बनाकर चेक करते हैं. जब कार्रवाई शुरू होती है तो इनपुट खुद-ब-खुद मिलने लगते हैं. जनता भी इस मामले में जागरूक है. जनता को पता है की कार्रवाई होगी तो वह सूचना देते हैं. हम काफी सफल भी रहे हैं. पिछले चुनाव के तुलना में हमने करीब 10 गुना ज्यादा रिकवरी की है. उम्मीद करते हैं की निष्पक्ष चुनाव होगा.

सवाल: हम देखते हैं कि पुलिस की चेकिंग बढ़ती है तो आम लोग काफी परेशान हो जाते हैं, उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है?
जवाब: चुनाव के समय ऐसा होता है. पुलिस ज्यादा चेकिंग करती है, निगरानी ज्यादा रहती है. तो कभी-कभी ऐसा होता है की जांच पड़ताल में लोग थोड़ा सा परेशान हो जाते हैं. लेकिन चुनाव आयोग की तरफ से गाइडलाइन है और हमारे जो नियम है. उसमें साफ लिखा हुआ है कि परेशान होने की जरूरत नहीं है. कभी किसी का पैसा या कुछ लीगल सामान पकड़ा गया और डॉक्यूमेंट नहीं है. तो जिला स्तर पर समस्या समाधान टीम बनी हुई है. वह 24 घंटे के अंदर अपना पैसा, सामान छुड़वा सकते हैं. थोड़ी परेशानी बिल्कुल होती है. लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि जो सही लोग रहते हैं. वह पुलिस का साथ देते हैं. लेकिन कुछ लोग होते हैं, वह आरोप प्रत्यारोप भी लगाते हैं. लेकिन लोगों को यह भी समझना चाहिए कि चुनाव लोकतंत्र का भविष्य है और यह तभी बेहतर ढंग से हो पाएगा, जब गलत लोग फायदा ना उठा पाएं. उनको रोकने के लिए यह सारी निगरानी की व्यवस्था की गई है. यह सही लोगों को परेशान करने के लिए नहीं है.

सवाल: चुनाव आयोग ने पहले कोरबा जिले के एसपी को हटाया फिर एक डीएसपी और इंस्पेक्टर को भी हटा दिया, फिर आपको भेजा गया. तो क्या जिले में कहीं कुछ गलत हो रहा था? ऐसे में क्या आपकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है?
जवाब: देखिए, सही और गलत का तो मुझे नहीं पता. मैं इसमें कोई टिप्पणी नहीं कर पाऊंगा. लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि यदि किसी की शिकायत मिली, किसी पॉलिटिकल पार्टी या अन्य जैसे एक दूसरे की शिकायत कर हैं. पुलिस वालों की भी शिकायत हो रही है. यदि ऐसा लगता है कि कोई व्यक्ति चुनाव में प्रभावित कर सकता है. ऐसा संदेह भी है, यदि मेरे खिलाफ भी शिकायत होती है कि मेरे यहां रहने से चुनाव प्रभावित होगा. तो चुनाव तक काम से अलग करने में कोई बुराई नहीं है. मुझे भी हटा देना चाहिए, ताकि चुनाव अच्छे तरीके से संपन्न हो और अगर चुनाव अच्छे तरीके से संपन्न हो गया, तो उसके बाद सही और गलत का निर्धारण करिए. जो अथॉरिटी हैं, वह सही और गलत का निर्धारण करेंगे. लेकिन किसी भी हाल में चुनाव निष्पक्ष ढंग से होना चाहिए, यह प्रभावित नहीं होना चाहिए.

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