कोरबा : कोरबा जिले के करतला और कोरबा विकासखंड (Kartala and Korba Blocks) के वनांचल क्षेत्रों में यहां के मूल निवासी राठिया आदिवासियों (Rathia Adivasi) की बहुलता है. इनकी सामाजिक स्थिति आज भी बेहतर नहीं हो सकी है. यहां के कई इलाके आज भी हाथी प्रभावित हैं, लेकिन अब यहां के प्रतिभावान युवाओं की बदौलत यहां की तस्वीर बदलने लगी है. इसी कड़ी में एक और नाम जुड़ गया है प्रदीप कुमार राठिया (Pradeep Kumar Rathia) का. प्रदीप आदिवासी वर्ग के राठिया समाज से आते हैं. इन्होंने सीजीपीएससी की परीक्षा में अपनी कैटेगरी में प्रदेश में टॉप (CGPSC exam topper) किया है, जबकि उनकी ओवरऑल रैंकिंग 52वीं है. प्रदीप अपने समाज के ऐसे पहले युवा हैं, जो डिप्टी कलेक्टर बनने जा रहे हैं. डिप्टी कलेक्टर का पद कलेक्टर के बाद सबसे महत्वपूर्ण होता है. राज्य प्रशासनिक सेवा में यह सर्वोच्च पद है.
प्रदीप अपनी सफलता से बेहद खुश हैं. वे कहते हैं कि बचपन से ही उनके दिल में समाज और देश के लिए कुछ करने का जज्बा था. इसी का नतीजा रहा कि एनआईटी रायपुर जैसे प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियर की डिग्री हासिल करने के बाद भी उन्होंने लोक सेवा आयोग की परीक्षा क्लियर की. अब न सिर्फ प्रदीप का परिवार बल्कि पूरा समाज उनकी इस सफलता से गौरवान्वित महसूस कर रहा है. डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित होने के बाद प्रदीप जब गांव लौटे तो उनका सांस्कृतिक नृत्यों के साथ जमकर स्वागत किया गया. सीजीपीएससी में सफलता और तैयारी को लेकर प्रदीप से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.
सवाल- आपकी यात्रा के बारे में बताइये, जिसके बाद आपने यह मुकाम हासिल किया?
जवाब- मेरी पहली से लेकर कक्षा चार तक की शिक्षा गांव में हुई. यहां के सरस्वती शिशु मंदिर में रहकर मैंने पढ़ाई की. इसके बाद कक्षा छह से बारहवीं तक मैंने जवाहर नवोदय विद्यालय में रहकर शिक्षा ग्रहण की. फिर जेईई मेंस और एडवांस क्लीयर करने के बाद मेरा चयन एनआईटी रायपुर में हो गया, जहां से मैंने माइनिंग इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की. इसके बाद मैंने लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी. पहले अटेम्प्ट में मैं प्री भी क्लियर नहीं कर पाया था, जिसके बाद लॉकडाउन लगा तो 1 साल घर में ही रहकर पढ़ाई की. दूसरे प्रयास में मेरा डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन हो गया.
सवाल- गांव में रहते हुए जवाहर नवोदय की परीक्षा की जानकारी आपको कैसे मिली?
जवाब- जवाहर नवोदय की परीक्षा के विषय में मेरे पिता ने सबसे पहले बताया था. पिता शिक्षक हैं, इसका फायदा मुझे हुआ. पिता और पिता के साथियों ने ही मुझसे फॉर्म भरने को कहा और उन्होंने ही तैयारी कराई. इसके बाद मेरा चयन जवाहर नवोदय विद्यालय के लिए हो गया था.
सवाल- पहले प्रयास में जब आप असफल हो गए और आपका सिलेक्शन प्री में भी नहीं हुआ तब मोटिवेशन कहां से मिली?
जवाब- पहला मोटिवेशन घर से ही मिला. घर वालों ने मुझे हौसला दिया. मेरे दोस्तों ने मुझे काफी प्रोत्साहित किया. मुझे अच्छे मित्र मिले, सभी ने कहा कि तुम एक डिजर्विंग कैंडिडेट हो तुम कर सकते हो. इसके बाद मैंने अपनी तैयारी जारी रखी और दूसरे प्रयास में सफलता मिल गई.
सवाल- आपने एनआइटी से इंजीनियरिंग की. माना जाता है कि एनआईटी का इंजीनियर कभी बेरोजगार नहीं रहता, इसके बाद लोक सेवा का ख्याल कैसे आया?
जवाब- बचपन से ही मेरे दिमाग में था कि देश और समाज के लिए कुछ करना है. जिस समाज से मैं आता हूं, उसकी स्थिति काफी बेहतर नहीं है. उसे काफी पिछड़ा हुआ माना जाता है और जब हम कुछ कर जाते हैं, डिप्टी कलेक्टर जैसे पद पर चयन होता है तो समाज के युवा काफी मोटिवेट होते हैं. मैं चाहूंगा कि मेरे समाज के और भी युवा इस क्षेत्र में सफल हों.
सवाल- आपने बताया कि आपके समाज की स्थिति काफी बेहतर नहीं है. आदिवासी अधिकारों की जब बात होती है, तो इस दिशा में किस तरह से काम करेंगे?
जवाब- मैं शिक्षा के क्षेत्र में काम करना चाहूंगा. शिक्षा का स्तर उठाने की जरूरत है. कृषि के क्षेत्र में बेहतर काम किये जा सकते हैं. कृषि की प्रोडक्टिविटी बढ़ानी होगी. इस तरह से मैं अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर उन्हें प्रोत्साहित करूंगा, ताकि समाज की स्थिति बेहतर हो.
सवाल- नवोदय के बाद एनआईटी फिर लोक सेवा, किस तरह की दिनचर्या रहती थी, कितनी मेहनत आपको करनी पड़ी?
जवाब- मैंने अपना रूटीन फिक्स कर लिया था. यह तय कर लिया था कि दो 2 घंटे की लगातार पढ़ाई करनी है. 2 घंटे सुबह फिर 2 घंटे दोपहर और इसी तरह से शाम और रात की पढ़ाई को भी दो 2 घंटे की पाली में बांट लिया था. इसके बीच में मैं वह करता था, जिसमें मेरा मन लगता था. बाकी चीजों के लिए लिए समय निकालता था. इससे हमारा शरीर भी ठीक रहता है और दिमाग भी स्टेबल रहता है. बीच-बीच में गैप लेने से हमारे पढ़ने की एफिसिएंसी बढ़ती है.
सवाल- पढ़ाई के दौरान मोटिवेशन या जीवन में आप अपना आदर्श किसे मानते हैं?
जवाब- सबसे पहले तो मेरे आदर्श मेरे माता-पिता ही हैं. शिक्षक मेरे आदर्श हैं. इसके बाद स्वामी विवेकानंद और एपीजे अब्दुल कलाम को अपना आदर्श मानता हूं. महात्मा गांधी के भी विचार मुझे अच्छे लगते हैं. पढ़ाई के दौरान मोटिवेशन या जीवन में मैं इनके कहे वाक्य को आत्मसात करता हूं.
सवाल- पढ़ाई के अलावा आपकी और क्या-क्या हॉबी है, सफल होने के लिए क्या लगातार पढ़ाई करनी चाहिए?
जवाब- ऐसा नहीं है. हम इंसान हैं और हमें इंसानों की तरह बर्ताव करना चाहिए. मशीन की तरह पढ़ाई नहीं करनी चाहिए. जैसा कि मैंने बताया कि मैं हर 2 घंटे के बाद गैप लेता था. इस दौरान मैं वह सब कुछ करता था, जो मुझे पसंद है. मैं फिल्में देखता था. मैंने यूट्यूब चैनल भी बनाया है, जिसके माध्यम से पढ़ाने का भी काम करता आया हूं. तो हमें सब तरह के काम करते हुए ही पढ़ाई करनी चाहिए.
सवाल- जो युवा लोक सेवा की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें कुछ टिप्स देना चाहेंगे?
जवाब- उन्हें यही टिप्स देना चाहूंगा कि हमारा जो पुराना बीता हुआ वक्त है, उसे लेकर बिल्कुल भी गिल्टी फील नहीं करना चाहिए. पुरानी बातों को सोचकर कोई फायदा होने वाला नहीं है. हमें भविष्य की चिंता भी नहीं करनी चाहिए. हमें जो भी काम करना है, वह आज करना है. मैं ऐसा मानता हूं कि हमारा आज हमारे बीते हुए कल से बेहतर होना चाहिए.
सवाल- किस तरह की फिल्में देखते हैं, फेवरेट फिल्म और एक्टर कौन हैं?
जवाब- मैं ज्यादातर हॉलीवुड की फिल्में देखना पसंद करता हूं. मेरी फेवरेट फिल्म इट्स वंडरफुल लाइफ है. इसमें लाइफ के बारे में बहुत खूबसूरत तरीके से बताया गया है. यह लाइफ के बारे में है. मेरे फेवरेट एक्टर हॉलीवुड के ही बेनेडिक्ट कबंरबैच हैं.
सवाल- पीएससी का सर्वोच्च पद हासिल करने के बाद आप और भी किसी पद की तैयारी करेंगे?
जवाब- जी हां, मैं जॉब में रहते हुए अब यूपीएससी की तैयारी करना चाहता हूं. एक आईएएस का पद हासिल करना मेरा अगला लक्ष्य है. मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं सीजीपीएससी में इतना बेहतर कर पाऊंगा. मेरा रिजल्ट भी मुझे मेरे दोस्त ने ही देखकर बताया. रिजल्ट वाले दिन मैं काफी डरा हुआ था. हालांकि दिमाग में यह भी था कि इस बार संभवत: मुझे डिप्टी कलेक्टर का पद मिल सकता है.
सवाल- पोस्टिंग को लेकर मन में किसी तरह के सवाल हैं, कहां सेवाएं देना चाहेंगे, बस्तर के बारे में क्या सोचते हैं?
जवाब- पोस्टिंग के बारे में अभी कुछ ज्यादा नहीं सोच रहा हूं. हालांकि अगर कोरबा के आसपास की पोस्टिंग मिल जाए तो बेहतर होगा. बाकी बस्तर के बारे में भी मेरे मन में है. वहां भी काम करना चाहूंगा. पहले वहां की समस्याओं को समझना होगा, उसके बाद एक रिसर्च करूंगा. रिसर्च के बाद जो भी सामने आएगा, उसके आधार पर ही वहां काम करना है. सरकार हमें जो भी योजना देगी, उसका बेहतर तरीके से क्रियान्वयन कराना ही प्राथमिकता होगी.