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कोरबा : एलिफेंट रिजर्व के विरोध में लेमरू के रहवासी, कहा - 'जान दे देंगे लेकिन यहां से नहीं हटेंगे' - एलिफेंट रिजर्व का विरोध

लेमरूवासियों ने एलिफेंट रिजर्व बनाने का विरोध किया है. इसके लिए उन्होंने अपनी जान तक दे देने की चेतावनी दी है.

एलिफेंट रिजर्व बनाने के फैसले का विरोध
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Published : Aug 21, 2019, 9:37 AM IST

Updated : Aug 21, 2019, 9:49 AM IST

कोरबा : लेमरू में एलिफेंट रिजर्व बनाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. लेमरू क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों ने मामले में मुख्यमंत्री के नाम कलेक्ट्रेट में ज्ञापन सौंपा है. ग्रामीणों ने इस प्रस्ताव को तत्काल निरस्त करने की मांग की है. ग्रामीणों का कहना है कि, 'अगर इसके लिए जान भी देनी पड़ी तो देंगे, लेकिन रिजर्व नहीं बनने देंगे'.

लेमरूवासियों ने किया एलिफेंट रिजर्व बनाने के फैसले का विरोध

आधा दर्जन ग्राम पंचायतों से 200 से ज्यादा ग्रामीण कलेक्ट्रेट पहुंचे, जहां उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि, 'लेमरू में एलिफेंट रिजर्व का प्रस्ताव तत्काल वापस लिया जाए'. ग्रामीणों का कहना है कि, 'रिजर्व के बनने से करीब 40 गांव के 10 हजार से ज्यादा ग्रामीण बेघर हो जाएंगे'.

'जंगल पर निर्भर हैं ग्रामीण'
उन्होंने बताया कि, 'पिछले 100 साल से वनवासी के रूप में ग्रामीण वहां जीवन यापन कर रहे हैं. लेमरू वन क्षेत्र से ही उन्हें जीवन यापन के लिए लकड़ी, तेंदूपत्ता और अन्य सामग्रियां मिलती हैं. जंगल से ही उनका जीवन है'. ग्रामीणों का कहना है कि, 'इसके पहले करीब 50 गांव विस्थापित कर दिए गए थे. अब दोबारा हमारे क्षेत्र के लोग विस्थापित नहीं होना चाहते हैं'.

'कोई भी सरकार हमारी भलाई नहीं सोचती'
उन्होंने बताया कि, 'कोई भी सरकार आती है तो हमारी भलाई की बात नहीं करती है. इस सरकार से उम्मीद थी कि ये हमें सारी मूलभूत सुविधाएं प्रदान करेगी, लेकिन ये भी हमें यहां से बेदखल करना चाहती है. हमारे पास आज भी अच्छी सड़क, बिजली और मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं है, लेकिन सरकारों का ध्यान इस ओर कभी नहीं जाता है'.

पढ़ें- पुलिस के हत्थे चढ़ा शिक्षिका से ATM कार्ड छीन भाग रहा लुटेरा

'मांग नहीं मानी तो जान भी देंगे'
ग्रामीणों ने चुनौती देते हुए कहा है कि, 'अगर जान भी देना पड़ी तो हम देंगे, लेकिन रिजर्व बनने नहीं देंगे. आने वाले समय में सरकार ने इस पर विचार नहीं किया तो हम राशन लेकर कलेक्ट्रेट में ही धरन पर बैठ जाएंगे'.

कोरबा : लेमरू में एलिफेंट रिजर्व बनाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. लेमरू क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों ने मामले में मुख्यमंत्री के नाम कलेक्ट्रेट में ज्ञापन सौंपा है. ग्रामीणों ने इस प्रस्ताव को तत्काल निरस्त करने की मांग की है. ग्रामीणों का कहना है कि, 'अगर इसके लिए जान भी देनी पड़ी तो देंगे, लेकिन रिजर्व नहीं बनने देंगे'.

लेमरूवासियों ने किया एलिफेंट रिजर्व बनाने के फैसले का विरोध

आधा दर्जन ग्राम पंचायतों से 200 से ज्यादा ग्रामीण कलेक्ट्रेट पहुंचे, जहां उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि, 'लेमरू में एलिफेंट रिजर्व का प्रस्ताव तत्काल वापस लिया जाए'. ग्रामीणों का कहना है कि, 'रिजर्व के बनने से करीब 40 गांव के 10 हजार से ज्यादा ग्रामीण बेघर हो जाएंगे'.

'जंगल पर निर्भर हैं ग्रामीण'
उन्होंने बताया कि, 'पिछले 100 साल से वनवासी के रूप में ग्रामीण वहां जीवन यापन कर रहे हैं. लेमरू वन क्षेत्र से ही उन्हें जीवन यापन के लिए लकड़ी, तेंदूपत्ता और अन्य सामग्रियां मिलती हैं. जंगल से ही उनका जीवन है'. ग्रामीणों का कहना है कि, 'इसके पहले करीब 50 गांव विस्थापित कर दिए गए थे. अब दोबारा हमारे क्षेत्र के लोग विस्थापित नहीं होना चाहते हैं'.

'कोई भी सरकार हमारी भलाई नहीं सोचती'
उन्होंने बताया कि, 'कोई भी सरकार आती है तो हमारी भलाई की बात नहीं करती है. इस सरकार से उम्मीद थी कि ये हमें सारी मूलभूत सुविधाएं प्रदान करेगी, लेकिन ये भी हमें यहां से बेदखल करना चाहती है. हमारे पास आज भी अच्छी सड़क, बिजली और मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं है, लेकिन सरकारों का ध्यान इस ओर कभी नहीं जाता है'.

पढ़ें- पुलिस के हत्थे चढ़ा शिक्षिका से ATM कार्ड छीन भाग रहा लुटेरा

'मांग नहीं मानी तो जान भी देंगे'
ग्रामीणों ने चुनौती देते हुए कहा है कि, 'अगर जान भी देना पड़ी तो हम देंगे, लेकिन रिजर्व बनने नहीं देंगे. आने वाले समय में सरकार ने इस पर विचार नहीं किया तो हम राशन लेकर कलेक्ट्रेट में ही धरन पर बैठ जाएंगे'.

Intro:लेमरू में हाथी अभ्यारण्य को लेकर बड़ा विवाद उतपन्न हो गया है। लेमरू क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों ने कलेक्टरेट मुख्यमंत्री ने नाम ज्ञापन सौंपा है। जिसमें उन्होंने कहा है कि इस प्रस्ताव को तत्काल निरस्त किया जाए। उन्होंने सरकार को चुनौती देते हुए कहा है कि चाहे ग्रामीणों को जान भी देनी पड़े तो देंगे लेकिन अभ्यारण्य बनने नहीं देंगे।


Body:करीब 200 की भीड़ के साथ आधा दर्जन ग्राम पंचायत के ग्रामीण कलेक्टरेट पहुंचे। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम ज्ञापन सौंपा है। इस ज्ञापन के जरिए उन्होंने सरकार से लेमरू में हाथी अभ्यारण का प्रस्ताव तत्काल वापस लेने को कहा है। ग्रामीणों का कहना है कि अभ्यारण के बनने से करीब 40 गांव के 10,000 से अधिक ग्रामीण बेघर हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि पिछले 100 वर्ष से वनवासी के रूप में ग्रामीण वहां जीवन व्यापन कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि लेमरू वन क्षेत्र से ही उन्हें जीवन व्यापन के लिए लकड़ी, तेंदूपत्ता और अन्य सामग्रियां मिलती हैं। उस जंगल से ही उनका जीवन है। उन्होंने यह भी कहा कि इसके पहले बांगो जुबान के लिए करीब 50 गांव विस्थापित कर दिए गए थे। अब दोबारा हमारे क्षेत्र के लोग विस्थापित नहीं होना चाहते हैं।
उन्होंने बताया कि कोई भी सरकार आती है तो हमारे भलाई की बात नहीं करती है। इस सरकार से उम्मीद थी कि ये हमें सारी मूलभूत सुविधाएं प्रदान करेगी, लेकिन यह भी हमें यहाँ बेदखल करना चाहती है। हमारे पास आज भी अच्छी सड़क, बिजली और मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं है लेकिन सरकारों का ध्यान इस ओर कभी नहीं जाता है। ग्रामीणों ने चुनौती देते हुए कहा है कि अगर जान भी देना पड़े तो हम देंगे लेकिन अभ्यारण्य बनने नहीं देंगे। आने वाले समय में सरकार ने इस पर विचार नहीं किया तो हम अपना सारा राशन लेकर कलेक्टरेट में ही बैठ जाएंगे।Conclusion:ग्रामीणों के इस विरोध के चलते अब सरकार के सामने दुविधा खड़ी हो गई है। एक तरफ जहां हाथियों के आतंक से बचने के लिए अभ्यारण्य की तैयारी की जा रही थी तो दूसरी ओर ग्रामीणों के जीवन व्यापन से जुड़ी समस्या आ खड़ी हो गई है।

बाइट- अमृत लाल राठिया, सरपंच, ग्राम पंचायत देवपहरी
बाइट- हरि शंकर, ग्रामीण, ग्राम पंचायत देवपहरी
Last Updated : Aug 21, 2019, 9:49 AM IST
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