कोरबा : लेमरू में एलिफेंट रिजर्व बनाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. लेमरू क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों ने मामले में मुख्यमंत्री के नाम कलेक्ट्रेट में ज्ञापन सौंपा है. ग्रामीणों ने इस प्रस्ताव को तत्काल निरस्त करने की मांग की है. ग्रामीणों का कहना है कि, 'अगर इसके लिए जान भी देनी पड़ी तो देंगे, लेकिन रिजर्व नहीं बनने देंगे'.
आधा दर्जन ग्राम पंचायतों से 200 से ज्यादा ग्रामीण कलेक्ट्रेट पहुंचे, जहां उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि, 'लेमरू में एलिफेंट रिजर्व का प्रस्ताव तत्काल वापस लिया जाए'. ग्रामीणों का कहना है कि, 'रिजर्व के बनने से करीब 40 गांव के 10 हजार से ज्यादा ग्रामीण बेघर हो जाएंगे'.
'जंगल पर निर्भर हैं ग्रामीण'
उन्होंने बताया कि, 'पिछले 100 साल से वनवासी के रूप में ग्रामीण वहां जीवन यापन कर रहे हैं. लेमरू वन क्षेत्र से ही उन्हें जीवन यापन के लिए लकड़ी, तेंदूपत्ता और अन्य सामग्रियां मिलती हैं. जंगल से ही उनका जीवन है'. ग्रामीणों का कहना है कि, 'इसके पहले करीब 50 गांव विस्थापित कर दिए गए थे. अब दोबारा हमारे क्षेत्र के लोग विस्थापित नहीं होना चाहते हैं'.
'कोई भी सरकार हमारी भलाई नहीं सोचती'
उन्होंने बताया कि, 'कोई भी सरकार आती है तो हमारी भलाई की बात नहीं करती है. इस सरकार से उम्मीद थी कि ये हमें सारी मूलभूत सुविधाएं प्रदान करेगी, लेकिन ये भी हमें यहां से बेदखल करना चाहती है. हमारे पास आज भी अच्छी सड़क, बिजली और मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं है, लेकिन सरकारों का ध्यान इस ओर कभी नहीं जाता है'.
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'मांग नहीं मानी तो जान भी देंगे'
ग्रामीणों ने चुनौती देते हुए कहा है कि, 'अगर जान भी देना पड़ी तो हम देंगे, लेकिन रिजर्व बनने नहीं देंगे. आने वाले समय में सरकार ने इस पर विचार नहीं किया तो हम राशन लेकर कलेक्ट्रेट में ही धरन पर बैठ जाएंगे'.