कोरबा: एनटीपीसी प्लांट से प्रभावित भू विस्थापित नौकरी की मांग को लेकर प्रबंधन के खिलाफ 32 दिन से तानसेन चौक पर आंदोलन कर रहे (NTPC plant affected land oustees movement in Korba) हैं. चारपारा विस्थापितों का आरोप है कि ''एनटीपीसी पावर प्लांट ने जमीन का अधिग्रहण करने के 43 साल बाद भी नौकरी संबंधित वादा पूरा नहीं किया है. कई स्तर पर बैठक और चर्चाएं हुई, लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिली. जिससे हताश होकर वह अनिश्चितकालीन धरना दे रहे हैं. 32 दिन बाद भी प्रबंधन की तरफ से कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई है. हालांकि जिला प्रशासन ने कुछ प्रयास जरूर किया (Korba NTPC accused of breach of promise) है.
मुआवजा भी मिला काफी कम, 1978-79 में ली गई थी जमीन : एनटीपीसी के भू विस्थापितों में से फिलहाल 8 परिवार आंदोलनरत हैं.जिनका आरोप है कि अब से 43 वर्ष पहले सन 1978-79 में एनटीपीसी के कोरबा में स्थापित पावर प्लांट की 2000 मेगावाट पावर प्लांट के लिए कृषि और आवासीय संपूर्ण जमीनों का अधिग्रहण कर लिया गया था. तब 2000 और 3000 रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया गया था. एनटीपीसी कोरबा के तत्कालीन महाप्रबंधक केसी जैन द्वारा आम सूचना जारी कर कहा गया था कि "आप लोगों ने इस विशाल परियोजना हेतु अपने खेती की जमीन प्रदान की है. इसके लिए राष्ट्रीय विद्युत ताप परियोजना की ओर से हम आपको धन्यवाद देते हैं. क्रमिक रूप से शैक्षणिक एवं पात्रता के आधार पर रोजगार प्रदान किया जाएगा, लेकिन यह वादा आज तक अधूरा है.''
आंदोलन के बाद कुछ लोगों को मिली नौकरी : विस्थापितों के अनुसार एनटीपीसी के पावर प्लांट के लिए 307 परिवार के जमीन का अधिग्रहण किया गया था.जिसमें किसी से 5 एकड़ तो किसी से 10 एकड़ और इससे अधिक भूमि का भी अधिग्रहण हुआ था.लेकिन अब तक केवल 38 लोगों को ही नौकरी मिली है.एनटीपीसी ने 1981 और 87 में नौकरी के लिए आम सूचना जरूर जारी की थी, लेकिन नौकरी नहीं दिया गया.चारपारा कोहाड़िया के लोगों ने जब आंदोलन किया तब कुछ लोगों को नौकरी दी गई. विस्थापित तत्काल नौकरी की मांग कर रहे (Movement demanding job in Korba) हैं.
तीन बार हुई बैठक, प्रशासन ने किया सहयोग : चारपारा पहाड़िया निवासी पुनर्वास ग्राम के निवासी विस्थापित प्रहलाद केवट ने बताया कि "आंदोलन के दौरान एनटीपीसी प्रबंधन के साथ हमारी 3 बार बैठक हुई है.लेकिन प्रबंधन हमें नौकरी देने को तैयार नहीं है. उनका कहना है कि हम प्रस्ताव बनाकर भेज सकते हैं. नौकरी देने का अधिकार दिल्ली स्थित कार्पोरेट कार्यालय को है.इससे हम सभी विस्थापितों में बेहद आक्रोश है.हम चाहते हैं कि हमें अविलंब नौकरी दी जाए.यदि हमारी मांग पूरी नहीं होती, तो हम इसके बाद भूख हड़ताल करेंगे. हालांकि जिला प्रशासन ने हमें सहयोग जरुर किया है. कलेक्टर ने हमें आश्वासन दिया है कि अगर आप पात्रता रखते हैं, तो आपको नौकरी जरूर (Agitation for land giving jobs in Korba) मिलेगी.
प्रबंधन ने कहा बैठक में हुई चर्चा, प्रक्रिया जारी : इस विषय में एनटीपीसी कोरबा की जनसंपर्क अधिकारी हिमानी शर्मा ने कहा कि ''आंदोलन पर बैठे भू विस्थापितों के साथ प्रबंधन की बैठक हो चुकी है. उन्हें सारी जानकारी दे दी गई है, चूंकि यह परियोजना काफी पुरानी है. इनकी मांग भी सालों से लंबित है। दस्तावेजों का परीक्षण किया जा रहा है.Korba latest news