कोरबा: प्रदेश की उर्जाधानी कोरबा में दर्जनभर पावर प्लांट हैं. एसईसीएल की खदानों के साथ एलुमिनियम का उत्पादन भी यहां होता है. उर्जाधानी के नाम यूं ते कई कीर्तिमान दर्ज हैं. लेकिन इसका साइड इफेक्ट भी स्थानीय लोगों को ही झेलना पड़ता है. शहर के बीच आईटीआई से बहने वाले ढेंगुरनाला का पानी पूरी तरह से काला हो चुका है. यह सब जिम्मेदारों की नाक के नीचे हो रहा है. शिकायतों के बाद भी कार्रवाई नहीं होती. प्रबंधन सभी नियमों के तहत काम करने की दलील तो देता है. लेकिन नाले के पानी का रंग काला क्यों हुआ, इसका जवाब किसी के पास नहीं है.
"ढेंगुरनाला में केमिकल छोड़े जाने की शिकायत स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों से मिली है. जल्द ही टीम बनाकर इस बात की जांच करेंगे. सैंपल में जिस तरह की अशुद्धियां पाई जाएंगी. उसके आधार पर ही आगे की कार्रवाई तय होगी. फिलहाल यह जांच का विषय है." -शैलेश पिस्दा, रीजनल ऑफिसर, पर्यावरण संरक्षण मंडल
प्रदूषण की वजह से कई गंभीर बीमारियों का बढ़ा खतरा : पर्यावरण एक्टिविस्ट रामअवतार अग्रवाल ने जिले में भीषण प्रदूषण से फैलाये जाने के मामलों को लेकर एनजीटी में एक याचिका लगाई थी. प्राकृतिक नालों में प्रदूषण के मामले में रामअवतार ने बताया कि "बालको जाते वक्त रास्ते में हजारों टन राख ढेंगुरनाला में प्रवाहित किया गया था. इतना ही नहीं बेलगरी नाले में भी खुलेआम राख बहा दिया जाता है. जिससे प्राकृतिक नाले प्रदूषित हो रहे हैं, इनका अस्तित्व खतरे में है. इससे ज्यादा गंभीर बात यह है कि यह सभी प्राकृतिक नाले हसदेव नदी में जाकर मिलते हैं. जिसके कारण हसदेव नदी का प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है. हसदेव नदी ने ही लोगों के घरों में पीने का पानी सप्लाई किया जाता है. इसी पानी को पीने और निस्तारी के लिए भी लोग उपयोग करते हैं. इस पानी का उपयोग करने से चर्म रोग और सांस के गंभीर रोग हो सकते हैं. नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, लोगों को घातक बीमारी भी दी जा रही है."
लाल घाट के समय पाया जाता है घातक केमिकल: एडवोकेट अब्दुल नफीस खान ने पर्यावरण के मामलों को लेकर कई शिकायतें की है. अब्दुल कहते हैं कि "बालको द्वारा रात के अंधेरे में लालघाट के समय ढेंगुरनाला में घातक केमिकल बहाया जाता है. जिससे जल प्रदूषित हो चुका है. आप किसी भी समय जाकर देख सकते हैं, पानी पूरी तरह से काला हो चुका है. नाले का पानी सर्वेश्वर एनीकट के पास जाकर हसदेव नदी में समाहित हो जाता है. यही वह स्थान है. जहां से नगर पालिक निगम जल आवर्धन योजना के तहत हजारों परिवार को जल प्रदाय के लिए पानी लेता है. अब इसी केमिकल युक्त पानी को लोगों के घरों तक पहुंचाया जा रहा है. इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि इस पानी को उपचारित किया जाता होगा, इस मामले में ठोस कार्रवाई की जरूरत है. ताकि लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ ना किया जाए. उन्हें घातक बीमारियों के चंगुल में धकेला जा रहा है. इस मामले में मैंने कई शिकायतें की है. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है."
यहीं से होती है वाटर सप्लाई: ढेंगुरनाला नाले से ही नगर निगम शहर के 56 हजार घरों में पानी की सप्लाई करता है. जानकार सवाल उठा रहे हैं कि प्रदूषित जल लोगों को सप्लाई किया जा रहा है. वाटर ट्रीटमेंट के बाद भी गंदा पानी लोगों के घरों तक पहुंच रहा है. लोग निस्तारी के लिए भी यहां के पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो घातक परिस्थितियों का प्रत्यक्ष उदाहरण है. लेकिन जिम्मेदार कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. इस मामले में पर्यावरण संरक्षण मंडल ने जांच की बात कही है. जबकि बालको प्रबंधन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है.