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सांसद ज्योत्सना महंत ने हसदेव अरण्य कोल ब्लॉक आवंटन को रद्द करने की मांग की

कोरबा के हसदेव अरण्य कोल ब्लॉक आवंटन मामले में बघेल सरकार की स्वीकृति के बाद कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत ने केन्द्रीय मंत्री अश्विनि कुमार चौबे को ज्ञापन सौंपा है. उन्होंने परसा और केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक की स्वीकृति को रद्द करने की मांग की है. इस तरह सांसद ज्योत्सना महंत अपनी ही सरकार के फैसले के खिलाफ नजर आ रही हैं.

Hasdeo Aranya Coal Block
हसदेव अरण्य कोल ब्लॉक
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Published : Apr 20, 2022, 7:57 PM IST

Updated : Apr 20, 2022, 8:49 PM IST

कोरबा: हसदेव अरण्य क्षेत्र के कोल ब्लॉक को लेकर रस्साकशी जारी है. हाल ही में राजस्थान सरकार को आवंटित कोरबा और सरगुजा के सरहदी क्षेत्र से सटे परसा और केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक को स्वीकृति प्रदान (Ruckus on approval of Parsa Kete Extension coal block) करने के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत छत्तीसगढ़ आए थे. इसके उत्खनन के लिए राजस्थान सरकार ने अडानी समूह से एमडीओ किया है.

हसदेव अरण्य कोल ब्लॉक आवंटन में नया ट्विस्ट

इसी माह दी गई स्वीकृति: गहलोत के छत्तीसगढ़ दौरे के बाद भूपेश सरकार ने इसी माह कोल ब्लॉक को वन स्वीकृति प्रदान कर दी थी.अब इस कोल ब्लॉक को लेकर नया ट्विस्ट आ गया है. कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत ने केंद्रीय पर्यवारण एवं जलवायु राज्य मंत्री अश्विनी चौबे को ज्ञापन सौंपकर इस कोल ब्लॉक की अनुमति को रद्द करने की मांग की है.



कोल ब्लॉक के आवंटन और स्वीकृति की कहानी : जिस परसा और केते एक्सटेंसन कोल ब्लॉक के स्वीकृति को लेकर सरकारों के बीच घमासान चल रहा है. वहां के परसा कोल ब्लॉक से सालाना 5 मिलियन टन कोयले के उत्पादन का लक्ष्य है. जहां से 45 साल तक पावर प्लांटों को कोयला मिलेगा. केंद्र सरकार ने इसकी नीलामी की थी. तब राजस्थान सरकार के विद्युत कंपनी ने इसे खरीद लिया था. जहां उत्खनन प्रारंभ करने के लिए राजस्थान सरकार ने अडानी समूह के साथ एमडीओ भी साइन कर लिया है.

केंद्र सरकार द्वारा अनुमति प्रदान किए जाने के बाद राज्य सरकार ने इस प्रोजेक्ट को वन स्वीकृति प्रदान नहीं की थी. जिसके बाद अप्रैल माह में ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत छत्तीसगढ़ आए थे और भूपेश सरकार से अनुरोध किया कि राजस्थान के पावर प्लांट क्रिटिकल कंडीशन में है. कोयला नहीं मिला तो पवार प्लांट को बंद करना पड़ सकता है. इसलिए कोल ब्लॉक को अनुमति प्रदान करें.



भूपेश सरकार ने तुरंत दी स्वीकृति: भूपेश सरकार ने इसके तुरंत बाद अप्रैल माह के दूसरे सप्ताह में पारस और केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक को वन स्वीकृति प्रदान कर दी है. लेकिन 19 अप्रैल को जब केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे आकांक्षी जिलों की योजनाओं की समीक्षा करने कोरबा पहुंचे. तब कांग्रेस की ही सांसद ज्योत्सना महंत ने चौबे को ज्ञापन सौंपा, जिसमें कहा कि अगर कोल ब्लॉक को अनुमति प्रदान की गई तो जंगल तबाह होंगे, इसलिए अनुमति को तत्काल निरस्त किया जाए.

सांसद ने किया इन बातों का उल्लेख : सांसद ज्योत्सना महंत ने केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे को सौंपे ज्ञापन में कहा है कि, हसदेव अरण्य का वन क्षेत्र देश के कुछ चुनिंदा जैव विविधता से परिपूर्ण क्षेत्रों में से एक है. यह क्षेत्र पेंच राष्ट्रीय उद्यान पेंच से शुरू होकर कान्हा, अचानकमार तक होता हुआ पलामू के जंगलों तक फैला हुआ है. देश भर में लगभग 900 कोल ब्लॉक उपलब्ध हैं. जिनमें से 700 के लगभग घने जंगलों के बाहर हैं.

कोल ब्लॉक घने जंगल से समृद्ध: यूपीए की सरकार ने 2010 में घने जंगल क्षेत्र को नोगो एरिया घोषित किया था. लेकिन वर्तमान में इसकी उपेक्षा करके इन क्षेत्रों में कोयला उत्खनन की अनुमति दी गई है. सांसद ने यह भी लिखा है कि आदिवासी इस कोल ब्लॉक का लगातार विरोध कर रहे हैं. कोल ब्लॉक घने वन से समृद्ध है. परसा और केते एक्सटेंशन दोनों ही गेज और चोरनई नदी का जल ग्रहण क्षेत्र है. यह दोनों नदियां हसदेव नदी की सहायक नदियां हैं.यदि कोल ब्लॉक खुला तो जैव विविधता पर संकट के साथ ही हसदेव का जल ग्रहण क्षेत्र भी प्रभावित होगा. पर्यावरण को भारी नुकसान होगा.

राज्य सरकार की अनुशंसा पर देते हैं अनुमति : कोल ब्लॉक के मुद्दे पर केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि, देखिए जो भी हमारे पर्यावरण और वन पर्यावरण का नियम है. उसके आधार पर हम काम करते हैं. जो भी नियमसंगत कर राज्य सरकार अनुशंसा भेजती भेजती है. हम लोग उस पर विचार करते हैं. एक्सपर्ट कमेटी बनी हुई है. जो पर्यावरण का परमिशन देता है या फॉरेस्ट का परमिशन देता है. कोई भी ऐसा गलत काम ना हो कोई भी नियम विरुद्ध काम ना हो इस पर भी हमारी पैनी नजर बनी रहती है. इन सभी मापदंडों पर पूरी तरह से विचार करने के बाद जो भी उचित होता है, राज्य सरकार के रिकमंडेशन के आधार पर, उसे हम अनुमति देते हैं.

फर्जी ग्रामसभा के आधार पर दी गई स्वीकृति: गांव फतेहपुर के आदिवासी युवा मुनेश्वर सिंह पोर्ते कहते हैं कि, बाहर के लोग आकर कोल ब्लॉक का समर्थन कर रहे हैं. जिनकी 1 इंच जमीन भी कोल ब्लॉक में नहीं जा रही है. जिस ग्राम सभा के आधार पर उत्खनन प्रारंभ होने के बात की जा रही है. वह एक फर्जी ग्राम सभा के तहत पारित किया गया निर्णय है. हमने कई बार शिकायत की है.पहले उस ग्राम सभा की जांच होनी चाहिए.आज तक हमारी शिकायतों की जांच नहीं हुई. हम किसी भी हाल में यहां किसी कंपनी को उत्खनन प्रारंभ करने नहीं देंगे.

यह भी पढ़ें: केंद्र सरकार की कोयला नीति असफल: भूपेश बघेल

कोयले के भंडार से भरा है हसदेव अरण्य क्षेत्र : हसदेव अरण्य क्षेत्र का इलाका साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स(एसईसीएल) के सेंट्रल इंडिया कोल फील्ड्स के अंतर्गत आता है. जहां सात अलग-अलग जिले को मिलाकर हसदेव अरण्य का क्षेत्र इसमे में शामिल है. जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार सेंट्रल इंडिया कोल फील्ड्स में वर्तमान में 20 हजार 868. 13 मिलियन टन कोयले का भंडार है. जो कि भूगर्भ में 0 से 1200 मीटर की गहराई में मौजूद है.

कोरबा: हसदेव अरण्य क्षेत्र के कोल ब्लॉक को लेकर रस्साकशी जारी है. हाल ही में राजस्थान सरकार को आवंटित कोरबा और सरगुजा के सरहदी क्षेत्र से सटे परसा और केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक को स्वीकृति प्रदान (Ruckus on approval of Parsa Kete Extension coal block) करने के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत छत्तीसगढ़ आए थे. इसके उत्खनन के लिए राजस्थान सरकार ने अडानी समूह से एमडीओ किया है.

हसदेव अरण्य कोल ब्लॉक आवंटन में नया ट्विस्ट

इसी माह दी गई स्वीकृति: गहलोत के छत्तीसगढ़ दौरे के बाद भूपेश सरकार ने इसी माह कोल ब्लॉक को वन स्वीकृति प्रदान कर दी थी.अब इस कोल ब्लॉक को लेकर नया ट्विस्ट आ गया है. कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत ने केंद्रीय पर्यवारण एवं जलवायु राज्य मंत्री अश्विनी चौबे को ज्ञापन सौंपकर इस कोल ब्लॉक की अनुमति को रद्द करने की मांग की है.



कोल ब्लॉक के आवंटन और स्वीकृति की कहानी : जिस परसा और केते एक्सटेंसन कोल ब्लॉक के स्वीकृति को लेकर सरकारों के बीच घमासान चल रहा है. वहां के परसा कोल ब्लॉक से सालाना 5 मिलियन टन कोयले के उत्पादन का लक्ष्य है. जहां से 45 साल तक पावर प्लांटों को कोयला मिलेगा. केंद्र सरकार ने इसकी नीलामी की थी. तब राजस्थान सरकार के विद्युत कंपनी ने इसे खरीद लिया था. जहां उत्खनन प्रारंभ करने के लिए राजस्थान सरकार ने अडानी समूह के साथ एमडीओ भी साइन कर लिया है.

केंद्र सरकार द्वारा अनुमति प्रदान किए जाने के बाद राज्य सरकार ने इस प्रोजेक्ट को वन स्वीकृति प्रदान नहीं की थी. जिसके बाद अप्रैल माह में ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत छत्तीसगढ़ आए थे और भूपेश सरकार से अनुरोध किया कि राजस्थान के पावर प्लांट क्रिटिकल कंडीशन में है. कोयला नहीं मिला तो पवार प्लांट को बंद करना पड़ सकता है. इसलिए कोल ब्लॉक को अनुमति प्रदान करें.



भूपेश सरकार ने तुरंत दी स्वीकृति: भूपेश सरकार ने इसके तुरंत बाद अप्रैल माह के दूसरे सप्ताह में पारस और केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक को वन स्वीकृति प्रदान कर दी है. लेकिन 19 अप्रैल को जब केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे आकांक्षी जिलों की योजनाओं की समीक्षा करने कोरबा पहुंचे. तब कांग्रेस की ही सांसद ज्योत्सना महंत ने चौबे को ज्ञापन सौंपा, जिसमें कहा कि अगर कोल ब्लॉक को अनुमति प्रदान की गई तो जंगल तबाह होंगे, इसलिए अनुमति को तत्काल निरस्त किया जाए.

सांसद ने किया इन बातों का उल्लेख : सांसद ज्योत्सना महंत ने केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे को सौंपे ज्ञापन में कहा है कि, हसदेव अरण्य का वन क्षेत्र देश के कुछ चुनिंदा जैव विविधता से परिपूर्ण क्षेत्रों में से एक है. यह क्षेत्र पेंच राष्ट्रीय उद्यान पेंच से शुरू होकर कान्हा, अचानकमार तक होता हुआ पलामू के जंगलों तक फैला हुआ है. देश भर में लगभग 900 कोल ब्लॉक उपलब्ध हैं. जिनमें से 700 के लगभग घने जंगलों के बाहर हैं.

कोल ब्लॉक घने जंगल से समृद्ध: यूपीए की सरकार ने 2010 में घने जंगल क्षेत्र को नोगो एरिया घोषित किया था. लेकिन वर्तमान में इसकी उपेक्षा करके इन क्षेत्रों में कोयला उत्खनन की अनुमति दी गई है. सांसद ने यह भी लिखा है कि आदिवासी इस कोल ब्लॉक का लगातार विरोध कर रहे हैं. कोल ब्लॉक घने वन से समृद्ध है. परसा और केते एक्सटेंशन दोनों ही गेज और चोरनई नदी का जल ग्रहण क्षेत्र है. यह दोनों नदियां हसदेव नदी की सहायक नदियां हैं.यदि कोल ब्लॉक खुला तो जैव विविधता पर संकट के साथ ही हसदेव का जल ग्रहण क्षेत्र भी प्रभावित होगा. पर्यावरण को भारी नुकसान होगा.

राज्य सरकार की अनुशंसा पर देते हैं अनुमति : कोल ब्लॉक के मुद्दे पर केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि, देखिए जो भी हमारे पर्यावरण और वन पर्यावरण का नियम है. उसके आधार पर हम काम करते हैं. जो भी नियमसंगत कर राज्य सरकार अनुशंसा भेजती भेजती है. हम लोग उस पर विचार करते हैं. एक्सपर्ट कमेटी बनी हुई है. जो पर्यावरण का परमिशन देता है या फॉरेस्ट का परमिशन देता है. कोई भी ऐसा गलत काम ना हो कोई भी नियम विरुद्ध काम ना हो इस पर भी हमारी पैनी नजर बनी रहती है. इन सभी मापदंडों पर पूरी तरह से विचार करने के बाद जो भी उचित होता है, राज्य सरकार के रिकमंडेशन के आधार पर, उसे हम अनुमति देते हैं.

फर्जी ग्रामसभा के आधार पर दी गई स्वीकृति: गांव फतेहपुर के आदिवासी युवा मुनेश्वर सिंह पोर्ते कहते हैं कि, बाहर के लोग आकर कोल ब्लॉक का समर्थन कर रहे हैं. जिनकी 1 इंच जमीन भी कोल ब्लॉक में नहीं जा रही है. जिस ग्राम सभा के आधार पर उत्खनन प्रारंभ होने के बात की जा रही है. वह एक फर्जी ग्राम सभा के तहत पारित किया गया निर्णय है. हमने कई बार शिकायत की है.पहले उस ग्राम सभा की जांच होनी चाहिए.आज तक हमारी शिकायतों की जांच नहीं हुई. हम किसी भी हाल में यहां किसी कंपनी को उत्खनन प्रारंभ करने नहीं देंगे.

यह भी पढ़ें: केंद्र सरकार की कोयला नीति असफल: भूपेश बघेल

कोयले के भंडार से भरा है हसदेव अरण्य क्षेत्र : हसदेव अरण्य क्षेत्र का इलाका साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स(एसईसीएल) के सेंट्रल इंडिया कोल फील्ड्स के अंतर्गत आता है. जहां सात अलग-अलग जिले को मिलाकर हसदेव अरण्य का क्षेत्र इसमे में शामिल है. जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार सेंट्रल इंडिया कोल फील्ड्स में वर्तमान में 20 हजार 868. 13 मिलियन टन कोयले का भंडार है. जो कि भूगर्भ में 0 से 1200 मीटर की गहराई में मौजूद है.

Last Updated : Apr 20, 2022, 8:49 PM IST
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