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कोरबा में आदिवासियों का आंदोलन, कहा- पेसा कानून लागू लेकिन नहीं होता पालन - पेसा कानून

सर्व आदिवासी समाज (Sarva Adivasi Samaj) ने अपने विभिन्न मौलिक अधिकारों (fundamental rights) को लेकर सोमवार को रैली का आयोजन किया. रैली का आयोजन शहर के बुधवारी स्थित आदिवासी शक्तिपीठ से कलेक्ट्रेट परिसर तक किया गया. सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारी इसमें शामिल रहे.

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कोरबा में आदिवासियों का आंदोलन
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Published : Sep 20, 2021, 10:42 PM IST

कोरबा: अपने विभिन्न मौलिक अधिकारों (fundamental rights) का हवाला देते हुए सर्व आदिवासी समाज (Sarva Adivasi Samaj) ने सोमवार को रैली का आयोजन किया. रैली का आयोजन शहर के बुधवारी स्थित आदिवासी शक्तिपीठ से कलेक्ट्रेट परिसर तक किया गया. सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारी इसमें शामिल रहे. दिलचस्प बात यह भी रही कि आदिवासी अपने अधिकारों को लेकर आंदोलन कर रहे थे और प्रशासन की तरफ से ज्ञापन स्वीकार करने पहुंचे हैं.

कोरबा में आदिवासियों का आंदोलन

इस दौरान 9 सूत्रीय मांगों वाला मांग पत्र प्रशासन को सौंपा गया. आदिवासी समाज ने साफ तौर पर कहा है कि आदिवासी अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं. उनके अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है. जिले मे 'पैसा कानून' तो लागू है, लेकिन इसका पालन नहीं किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ शासन आदिवासियों को लेकर संवेदनशील नहीं है.

सिलगेर कांड में न्याय की मांग

सर्व आदिवासी समाज ने ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि बस्तर के सिलगेर में आदिवासियों की हत्या की गई है. इसमें मारे गए आदिवासियों को न्याय मिलना चाहिए. मुआवजा के साथ ही दोषियों को सजा मिलनी चाहिए.

सर्व आदिवासी समाज के जिलाध्यक्ष मरावी (District President of Sarva Adivasi Samaj Maravi) का कहना है कि कोरबा जिला पांचवी अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आता है. जहां पेसा कानून लागू ( pesa law implemented) है, ग्राम पंचायतों को नगर पंचायत में परिवर्तित किया जा रहा है. जोकि साफ तौर पर आदिवासियों के अधिकारों का हनन है.

आदिवासी वर्ग की हो रही अवहेलना

कोरबा में महापौर भी आदिवासी वर्ग से होना चाहिए. यहां भी नियमों की अवहेलना की गई है. छत्तीसगढ़ सरकार से लगातार आदिवासी अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं. लगातार आंदोलनों के बाद भी सरकार किसी भी मांग को मानने के लिए तैयार नहीं है. यदि यही हाल रहा तो आदिवासी आंदोलन करते रहेंगे और इससे भी बड़ा आंदोलन खड़ा करेंगे. नायब तहसीलदार ने कहा कि कलेक्टर के माध्यम से मांग पत्र छत्तीसगढ़ शासन को प्रेषित किया जाएगा.

कोरबा: अपने विभिन्न मौलिक अधिकारों (fundamental rights) का हवाला देते हुए सर्व आदिवासी समाज (Sarva Adivasi Samaj) ने सोमवार को रैली का आयोजन किया. रैली का आयोजन शहर के बुधवारी स्थित आदिवासी शक्तिपीठ से कलेक्ट्रेट परिसर तक किया गया. सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारी इसमें शामिल रहे. दिलचस्प बात यह भी रही कि आदिवासी अपने अधिकारों को लेकर आंदोलन कर रहे थे और प्रशासन की तरफ से ज्ञापन स्वीकार करने पहुंचे हैं.

कोरबा में आदिवासियों का आंदोलन

इस दौरान 9 सूत्रीय मांगों वाला मांग पत्र प्रशासन को सौंपा गया. आदिवासी समाज ने साफ तौर पर कहा है कि आदिवासी अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं. उनके अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है. जिले मे 'पैसा कानून' तो लागू है, लेकिन इसका पालन नहीं किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ शासन आदिवासियों को लेकर संवेदनशील नहीं है.

सिलगेर कांड में न्याय की मांग

सर्व आदिवासी समाज ने ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि बस्तर के सिलगेर में आदिवासियों की हत्या की गई है. इसमें मारे गए आदिवासियों को न्याय मिलना चाहिए. मुआवजा के साथ ही दोषियों को सजा मिलनी चाहिए.

सर्व आदिवासी समाज के जिलाध्यक्ष मरावी (District President of Sarva Adivasi Samaj Maravi) का कहना है कि कोरबा जिला पांचवी अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आता है. जहां पेसा कानून लागू ( pesa law implemented) है, ग्राम पंचायतों को नगर पंचायत में परिवर्तित किया जा रहा है. जोकि साफ तौर पर आदिवासियों के अधिकारों का हनन है.

आदिवासी वर्ग की हो रही अवहेलना

कोरबा में महापौर भी आदिवासी वर्ग से होना चाहिए. यहां भी नियमों की अवहेलना की गई है. छत्तीसगढ़ सरकार से लगातार आदिवासी अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं. लगातार आंदोलनों के बाद भी सरकार किसी भी मांग को मानने के लिए तैयार नहीं है. यदि यही हाल रहा तो आदिवासी आंदोलन करते रहेंगे और इससे भी बड़ा आंदोलन खड़ा करेंगे. नायब तहसीलदार ने कहा कि कलेक्टर के माध्यम से मांग पत्र छत्तीसगढ़ शासन को प्रेषित किया जाएगा.

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