कोरबा: एड्स दिवस पर आज भले ही स्वास्थ्य विभाग कार्यक्रमों का आयोजन कर खुद का पीठ थपथपा ले, लेकिन सरकारी आंकड़े सरकार को ही आईना दिखा रहे हैं. जिले में हर साल एचआईवी से ग्रसित लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है. बताया जा रहा है इस वर्ष तकरीबन 65 मरीज एड्स से ग्रसित हैं, जबकि पिछले वर्ष 102 मरीज इस बीमारी से ग्रसित थे. वहीं पिछले पांच वर्ष में 400 से ज्यादा मरीज पाए गए हैं, जो जिले के लिए चिंता का विषय है.
दरअसल, जिले में एचआईवी एड्स पीड़ितों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इस लाइलाज बीमारी के नियंत्रण के प्रति विभाग का उदासीन रवैया खतरे की घंटी बजा रही है. जिला अस्पताल में काउंसलिंग सेंटर और 1 अलग विभाग होने के बावजूद भी एड्स के मरीज बढ़ रहे हैं.
1 लाख से अधिक लोगों का परीक्षण
जिले में एड्स नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 2003 में हुई थी, तब से लेकर अब तक कुल 1 लाख 3 हजार 690 लोगों का एचआईवी टेस्ट किया जा चुका है, जिसमें 831 लोग इस गंभीर लाइलाज बीमारी से ग्रसित हैं.
पिछले 5 वर्ष में 420 मरीज मिले
2015- 83
2016- 88
2017- 82
2018- 102
2019- 65 (सिर्फ 7 माह में)
देखभाल की जरूरत
विभाग की मानें तो ये बीमारी लाइलाज है. इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को सामान्य तौर पर देखभाल की जरूरत होती है. असुरक्षित यौन संबंध से यह बीमारी सबसे ज्यादा फैलती है. साथ ही पिछले कुछ वर्षों के दौरान विभाग की ओर से प्रत्येक गर्भवती महिला के लिए एचआईवी टेस्ट की जांच अनिवार्य तौर पर लागू की गई है, जिससे कि होने वाले बच्चों को संक्रमण से बचाया जा सके.