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कोरबा में एड्स लगातार पसार रहा पांव, 400 से ज्यादा मरीज पीड़ित - लोगों की तादाद बढ़ती ही जा रही

कोरबा में एचआईवी के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. जिले में पिछले 5 वर्षों में 400 से ज्यादा मरीज HIV से ग्रसित पाए गए हैं, जो जिले के लिए चिंता की बात है.

कोरबा में एड्स लगातार पसार रहा पांव
कोरबा में एड्स लगातार पसार रहा पांव
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Published : Dec 1, 2019, 9:19 PM IST

Updated : Dec 1, 2019, 11:44 PM IST

कोरबा: एड्स दिवस पर आज भले ही स्वास्थ्य विभाग कार्यक्रमों का आयोजन कर खुद का पीठ थपथपा ले, लेकिन सरकारी आंकड़े सरकार को ही आईना दिखा रहे हैं. जिले में हर साल एचआईवी से ग्रसित लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है. बताया जा रहा है इस वर्ष तकरीबन 65 मरीज एड्स से ग्रसित हैं, जबकि पिछले वर्ष 102 मरीज इस बीमारी से ग्रसित थे. वहीं पिछले पांच वर्ष में 400 से ज्यादा मरीज पाए गए हैं, जो जिले के लिए चिंता का विषय है.

एड्स लगातार पसार रहा पांव

दरअसल, जिले में एचआईवी एड्स पीड़ितों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इस लाइलाज बीमारी के नियंत्रण के प्रति विभाग का उदासीन रवैया खतरे की घंटी बजा रही है. जिला अस्पताल में काउंसलिंग सेंटर और 1 अलग विभाग होने के बावजूद भी एड्स के मरीज बढ़ रहे हैं.

1 लाख से अधिक लोगों का परीक्षण
जिले में एड्स नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 2003 में हुई थी, तब से लेकर अब तक कुल 1 लाख 3 हजार 690 लोगों का एचआईवी टेस्ट किया जा चुका है, जिसमें 831 लोग इस गंभीर लाइलाज बीमारी से ग्रसित हैं.

पिछले 5 वर्ष में 420 मरीज मिले
2015- 83
2016- 88
2017- 82
2018- 102
2019- 65 (सिर्फ 7 माह में)

देखभाल की जरूरत
विभाग की मानें तो ये बीमारी लाइलाज है. इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को सामान्य तौर पर देखभाल की जरूरत होती है. असुरक्षित यौन संबंध से यह बीमारी सबसे ज्यादा फैलती है. साथ ही पिछले कुछ वर्षों के दौरान विभाग की ओर से प्रत्येक गर्भवती महिला के लिए एचआईवी टेस्ट की जांच अनिवार्य तौर पर लागू की गई है, जिससे कि होने वाले बच्चों को संक्रमण से बचाया जा सके.

कोरबा: एड्स दिवस पर आज भले ही स्वास्थ्य विभाग कार्यक्रमों का आयोजन कर खुद का पीठ थपथपा ले, लेकिन सरकारी आंकड़े सरकार को ही आईना दिखा रहे हैं. जिले में हर साल एचआईवी से ग्रसित लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है. बताया जा रहा है इस वर्ष तकरीबन 65 मरीज एड्स से ग्रसित हैं, जबकि पिछले वर्ष 102 मरीज इस बीमारी से ग्रसित थे. वहीं पिछले पांच वर्ष में 400 से ज्यादा मरीज पाए गए हैं, जो जिले के लिए चिंता का विषय है.

एड्स लगातार पसार रहा पांव

दरअसल, जिले में एचआईवी एड्स पीड़ितों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इस लाइलाज बीमारी के नियंत्रण के प्रति विभाग का उदासीन रवैया खतरे की घंटी बजा रही है. जिला अस्पताल में काउंसलिंग सेंटर और 1 अलग विभाग होने के बावजूद भी एड्स के मरीज बढ़ रहे हैं.

1 लाख से अधिक लोगों का परीक्षण
जिले में एड्स नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 2003 में हुई थी, तब से लेकर अब तक कुल 1 लाख 3 हजार 690 लोगों का एचआईवी टेस्ट किया जा चुका है, जिसमें 831 लोग इस गंभीर लाइलाज बीमारी से ग्रसित हैं.

पिछले 5 वर्ष में 420 मरीज मिले
2015- 83
2016- 88
2017- 82
2018- 102
2019- 65 (सिर्फ 7 माह में)

देखभाल की जरूरत
विभाग की मानें तो ये बीमारी लाइलाज है. इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को सामान्य तौर पर देखभाल की जरूरत होती है. असुरक्षित यौन संबंध से यह बीमारी सबसे ज्यादा फैलती है. साथ ही पिछले कुछ वर्षों के दौरान विभाग की ओर से प्रत्येक गर्भवती महिला के लिए एचआईवी टेस्ट की जांच अनिवार्य तौर पर लागू की गई है, जिससे कि होने वाले बच्चों को संक्रमण से बचाया जा सके.

Intro:कोरबा। मिनी भारत का तमगा एड्स जैसी बीमारी के लिए जिले में अनुकूल माहौल पैदा कर रहा है। जिले में मौजूद पावर प्लांट्स और उद्योगों की भरमार के कारण वो ट्रक ड्राइवर हों या फिर अन्य कामगार ऐसे लोगों की भरमार है। जो अपने परिवार से दूर रहकर कोरबा जिले में निवास करते हैं। अब तो सरकारी विभाग के आंकड़े भी आईना दिखा रहे हैं। जिससे यह तस्वीर साफ हो रही है कि हर साल जिले में एचआईवी से ग्रसित लोगों की तादाद बढ़ रही है।


Body:जिले में एचआईवी एड्स पीड़ितों की संख्या में लगातार बढोतरी हो रही है। इस लाइलाज बीमारी के नियंत्रण के प्रति उदासीन रवैया खतरे की घंटी बजा रही है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला अस्पताल में काउंसलिंग सेंटर और 1 अलग विभाग होने के बावजूद भी जिले में एड्स के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। नियंत्रण में होने के बजाय बीमारी अनियंत्रित होती जा रही है।
1 दिसम्बर को एड्स दिवस पर भले ही विभाग द्वारा कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। लेकिन यह केवल औपचारिकता भर तक ही सीमित है। इसके परिणाम कहीं भी नहीं दिखते। यही कारण है कि जिले में हर साल बढ़ रहे हैं।

1 लाख से अधिक लोगों का परीक्षण
जिले में एड्स नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 2003 में की गई थी। तब से लेकर अब तक कुल 1 लाख 3 हजार 690 लोगों का एचआईवी टेस्ट किया जा चुका है। जिसमें 831 लोग इस गंभीर लाइलाज बीमारी से ग्रसित पाए गए।

7 माह में 65 मरीज आए सामने
जिले पिछले 5 साल के दौरान एड्स के मरीजों की तादाद में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इस वर्ष केवल 7 माह में 65 मरीज एड्स से ग्रसित पाए गए हैं। जबकि पिछले वर्ष 102 मरीज इस बीमारी से ग्रसित हो चुके हैं।

पिछले 5 वर्ष में इतने मरीज
2015- 83
2016- 88
2017- 82
2018- 102
2019- 65(सिर्फ 7 माह में)



Conclusion:दीपका में कार्यक्रम
विश्व एड्स दिवस के दिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा दीपका में एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। दीपका क्षेत्र में एशिया की सबसे बड़ी ओपन कास्ट कोल माइन्स है।
जहां बड़ी तादात में ट्रक ड्राइवरों का आना जाना रहता है। जोकि कोयला परिवहन का काम ट्रक के माध्यम से करते हैं, और महीनों अपने परिवार से दूर रहते हैं। विभाग का भी ऐसा मानना है कि प्रतिवर्ष इस बीमारी से सर्वाधिक लोग असुरक्षित यौन संबंध स्थापित करने के कारण ग्रसित होते हैं। ट्रक ड्राइवर्स में इस बात की सर्वाधिक संभावना रहती है।

एहतियात की है सर्वोत्तम उपाय
विभाग की माने तो इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को हेय दृष्टि से देखने के बजाय सामान्य तौर पर देखभाल की आवश्यकता होती है। बीमारी लाइलाज है, इसलिए सुरक्षा ही सर्वोत्तम उपाय है। असुरक्षित यौन संबंध से यह बीमारी सबसे ज्यादा फैलती है। इसलिए संयमित जीवन जीना और अपने साथी के प्रति वफादार रहना जरूरी हो जाता है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान विभाग द्वारा प्रत्येक गर्भवती महिला के लिए एचआईवी टेस्ट की जांच अनिवार्य तौर पर लागू की गई है। जिससे कि होने वाले बच्चों को संक्रमण से बचाया जा सके।

बाइट। डॉ बीआर रात्रे, नोडल अधिकारी, एड्स नियन्त्रण कार्यक्रम
Last Updated : Dec 1, 2019, 11:44 PM IST
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