कोरबा: कोरोना संकट से लगे लॉकडाउन की वजह से लगभग सभी सेक्टर प्रभावित हुए हैं. ऐसे में स्कूल के दरवाजे भी अभी तक नहीं खुले हैं. बच्चों की शिक्षा पर कोरोना का असर न पड़े, इसलिए राज्य सरकार ने 'पढ़ई तुंहर दुआर' पोर्टल की शुरुआत की थी. सरकार ने ऑनलाइन क्लास चलाने का फैसला किया था, जिसके तहत शिक्षकों, बच्चों का रजिस्ट्रेशन कर पढ़ाई भी शुरू कर दी गई, लेकिन कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां बच्चे इस ऑनलाइन क्लास का हिस्सा नहीं बन पा रहे हैं. लेकिन करतला ब्लॉक की शिक्षिका मंजूलता प्रधान ने बच्चों के भविष्य को देखते हुए चैनपुर गांव में 45 बच्चों की पढ़ाई निर्बाध रूप से जारी रखने के लिए शुरूआत की.
शासकीय चबूतरे में होती है क्लास
शिक्षिका मंजू ने अपने खर्चे से चार्ट, ब्लैकबोर्ड, बच्चों के लिए सामान की व्यवस्था की. चैनपुर गांव के ही 12वीं पास कर चुके शिक्षित युवाओं को वालिंटियर्स के रूप में तैयार किया गया है, जो मोहल्ला क्लास शुरू किए और छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ा रहे हैं. युवा बताते है कि पहले खुद की पढ़ाई कर शाम को 4 बजे मोहल्ला क्लास में पहुंचते हैं और 45 बच्चों को पढ़ाते हैं. गांव में घरों के आंगन और गली में बने शासकीय चबूतरों में बैठा कर ही कक्षाएं लग रही हैं.
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कॉलेज स्टूडेंट्स पढ़ा रहे बच्चों को
युवाओं का कहना है कि अब तक खुद पढ़ते रहे, अब पढ़ाने का भी अनुभव मिल रहा है. इसमें BA पास जगतराम राठिया, MA फाइनल कर चुकी देवती राठिया, 11वीं पास जितेंद्र केंवट, ज्ञानेश्वरी राठिया जोकि BSC पास हैं. बच्चों की नियमित क्लास ले रहे हैं. उन्होंने बताया कि शासन से मिली किताबें बच्चों को बांटी जा चुकी है, लेकिन इनसे पढ़ाई नहीं हो रही थी.
गांव में ऑनलाइन पढ़ाई एक समस्या
शासकीय प्राथमिक शाला चैनपुर की शिक्षिका मंजूलता प्रधान ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के माता-पिता कम पढ़े लिखे होते हैं. जिसके कारण वह ऑनलाइन पढ़ाई में बच्चों का साथ नहीं दे पाते. इसी बात को लेकर शिक्षिका मंजूलता प्रधान ने बच्चों को मोहल्ले में बने मंच पर बैठा कर बच्चों को पढ़ाती हैं. शिक्षिका मंजू ने कोरोना महामारी से बचने के लिए अपने स्वयं के खर्चे से बच्चों के लिए सैनिटाइजर और मास्क भी उपलब्ध कराया है.