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अस्पताल पहुंचाना नहीं था संभव, डायल 112 के वाहन में मितानिन और जवानों ने मिलकर कराया प्रसूता का प्रसव - सेंट्रलाइज कमांड एंड कंट्रोल सेंटर

कोरबा में अस्पताल पहुंचाना संभव नहीं था. डायल 112 के वाहन में मितानिन और जवानों ने मिलकर प्रसूता का प्रसव कराया गया.

डायल 112  वाहन
डायल 112 वाहन
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Published : Jul 29, 2022, 10:56 PM IST

कोरबा: कोरबा वनांचल क्षेत्र जहां स्वास्थ्य अमला नहीं पहुंच पाता वहां डायल 112 के जवान देवदूत बनकर पहुंच रहे हैं. ताजा मामला जिले के वनांचल क्षेत्र पसान का है. गांव कोटमरा में एक महिला प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी. डायल 112 को इसकी सूचना मिली और वह मौके पर पहुंच गए. महिला के साथ गांव की मितानिन भी थी, लेकिन अस्पताल पहुंच पाने का टाइम नहीं था. जिससे डायल 112 के जवानों और मितानिन ने निर्णय लिया कि वाहन रास्ते में ही रोक कर वह प्रसव कराएंगे. मामला ठीक ठाक रहा, प्रसूता ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया है.

यह भी पढ़ें: बिलासपुर के गतौर रेलवे स्टेशन पर गूंजी किलकारी, महिला आरपीएफ कर्मी ने गर्भवती का कराया प्रसव !

ऐसे मिला अमरावती को जीवनदान: सेंट्रलाइज कमांड एंड कंट्रोल सेंटर रायपुर से मेडिकल इमरजेंसी की सूचना मिली. पसान कोबरा-1 की टीम तत्काल रवाना होक बताए पते पर ग्राम-कोटमरा पहुंची. जहां देखा कि एक महिला जिसका नाम अमरवती पति उमेश कुमार उरांव उम्र 35 वर्ष है. वह प्रसव पीड़ा से तड़प रही है. जिसके बाद प्रसूता को वाहन में बैठाकर वह अस्पताल के लिए रवाना हुए. घर से महज 200 मीटर की दूरी पहुंचे थे कि अचानक महिला की प्रसव पीड़ा अत्याधिक बढ़ गयी.

वाहन में ही कराया सुरक्षित प्रसव: इसी दौरान स्थिति की भनोट हुए मितानिन पवारिया बाई ने जवानों को बताया गया कि इस स्थिति में प्रसूता को हॉस्पिटल तक ले जाना संभव नहीं है. ईआरव्ही स्टाफ आरक्षक -792 मनोज कुमार कश्यप और वाहन चालक मनमोहन दास ने निर्णय लिया कि अब वाहन में ही महिला का प्रसव कराएंगे. वाहन को सुरक्षित जगह देखकर खड़ा किया गया, वाहन में उक्त गर्भवती महिला को ERV वाहन में ही प्रसव कराया गया. प्रसूता ने जहां एक स्वस्थ नवजात शिशु को जन्म दिया.

प्रसव के बाद सुरक्षित पहुंचाया अस्पताल: प्रसव हो जाने बाद टीम द्वारा जच्चा बच्चा दोनों को प्राथमिक उपचार के लिए उप स्वास्थ्य केंद्र पसान में भर्ती कराया. बेहतर इलाज के लिए यहां पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं. डॉक्टर द्वारा जच्चा बच्चा दोनों को स्वस्थ होना बताया गया है.

नाज़ुक समय में लिया सही निर्णय: यह पहला मामला नहीं है जब 112 के जवान किसी जरूरतमंद के पास देवदूत बनकर पहुंचे. जिले में लगातार ऐसी परिस्थितियां सामने आई हैं. जब एंबुलेंस या चिकित्सकीय सुविधाएं समय पर नहीं मिल पाती और आपातकाल में डायल 112 के जवान लोगों को मदद पहुंचा रहे हैं. मौजूदा मामले में भी डायल 112 के जवानों और मितानिन ने नाजुक समय में सही निर्णय लिया. जिससे गांव की महिला और उसके नवजात को नया जीवन मिला है.

कोरबा: कोरबा वनांचल क्षेत्र जहां स्वास्थ्य अमला नहीं पहुंच पाता वहां डायल 112 के जवान देवदूत बनकर पहुंच रहे हैं. ताजा मामला जिले के वनांचल क्षेत्र पसान का है. गांव कोटमरा में एक महिला प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी. डायल 112 को इसकी सूचना मिली और वह मौके पर पहुंच गए. महिला के साथ गांव की मितानिन भी थी, लेकिन अस्पताल पहुंच पाने का टाइम नहीं था. जिससे डायल 112 के जवानों और मितानिन ने निर्णय लिया कि वाहन रास्ते में ही रोक कर वह प्रसव कराएंगे. मामला ठीक ठाक रहा, प्रसूता ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया है.

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ऐसे मिला अमरावती को जीवनदान: सेंट्रलाइज कमांड एंड कंट्रोल सेंटर रायपुर से मेडिकल इमरजेंसी की सूचना मिली. पसान कोबरा-1 की टीम तत्काल रवाना होक बताए पते पर ग्राम-कोटमरा पहुंची. जहां देखा कि एक महिला जिसका नाम अमरवती पति उमेश कुमार उरांव उम्र 35 वर्ष है. वह प्रसव पीड़ा से तड़प रही है. जिसके बाद प्रसूता को वाहन में बैठाकर वह अस्पताल के लिए रवाना हुए. घर से महज 200 मीटर की दूरी पहुंचे थे कि अचानक महिला की प्रसव पीड़ा अत्याधिक बढ़ गयी.

वाहन में ही कराया सुरक्षित प्रसव: इसी दौरान स्थिति की भनोट हुए मितानिन पवारिया बाई ने जवानों को बताया गया कि इस स्थिति में प्रसूता को हॉस्पिटल तक ले जाना संभव नहीं है. ईआरव्ही स्टाफ आरक्षक -792 मनोज कुमार कश्यप और वाहन चालक मनमोहन दास ने निर्णय लिया कि अब वाहन में ही महिला का प्रसव कराएंगे. वाहन को सुरक्षित जगह देखकर खड़ा किया गया, वाहन में उक्त गर्भवती महिला को ERV वाहन में ही प्रसव कराया गया. प्रसूता ने जहां एक स्वस्थ नवजात शिशु को जन्म दिया.

प्रसव के बाद सुरक्षित पहुंचाया अस्पताल: प्रसव हो जाने बाद टीम द्वारा जच्चा बच्चा दोनों को प्राथमिक उपचार के लिए उप स्वास्थ्य केंद्र पसान में भर्ती कराया. बेहतर इलाज के लिए यहां पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं. डॉक्टर द्वारा जच्चा बच्चा दोनों को स्वस्थ होना बताया गया है.

नाज़ुक समय में लिया सही निर्णय: यह पहला मामला नहीं है जब 112 के जवान किसी जरूरतमंद के पास देवदूत बनकर पहुंचे. जिले में लगातार ऐसी परिस्थितियां सामने आई हैं. जब एंबुलेंस या चिकित्सकीय सुविधाएं समय पर नहीं मिल पाती और आपातकाल में डायल 112 के जवान लोगों को मदद पहुंचा रहे हैं. मौजूदा मामले में भी डायल 112 के जवानों और मितानिन ने नाजुक समय में सही निर्णय लिया. जिससे गांव की महिला और उसके नवजात को नया जीवन मिला है.

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