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Chaitra navratri 2023 : कोरबा की भवानी मां का चमत्कारिक मंदिर ! - Miraculous temple of Bhavani Maa

कोरबा का भवानी माता मंदिर चमत्कारों की वजह से पूरे विश्व में विख्यात है. ऐसी मान्यता है कि 24 साल पहले माता ने स्वप्न देकर प्रतिमा का स्थान बताया और फिर मंदिर की स्थापना हुई. तब से लेकर आज तक इस मंदिर में भक्तों का विश्वास दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है. मंदिर की ख्याति अब और भी ज्यादा बढ़ गई है. नवरात्रि के अवसर पर मंदिर की छटा देखते ही बनती है.

Chaitra navratri 2023
भवानी माता का सजा दरबार
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Published : Mar 22, 2023, 12:55 PM IST

Updated : Mar 22, 2023, 4:03 PM IST

स्वप्न देकर माता ने करवाई थी मंदिर की स्थापना

कोरबा : चैत्र नवरात्रि के अवसर पर हम आपको दर्शन कराने जा रहे हैं मां भवानी के चमत्कारिक मंदिर का. भवानी मंदिर के बारे में कई कहानियां मौजूद है.कौन सी कहानी सच्ची है ये कोई नहीं जानता.लेकिन हर कहानी पर लोगों का अटूट विश्वास है. ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में स्वयं देवी विराजमान हैं. हसदेव नदी के तट पर विराजित मां भवानी भक्तों की पीड़ा हरती है. हर सोमवार यहां मां का दरबार लगता है. जहां ना सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि अन्य राज्यों से भी भक्त आते हैं.

माता ने स्वप्न देकर बताया स्थान: भवानी मंदिर के मुख्य पुजारी चंद्र किशोर पांडे ने बताया कि "मंदिर की स्थापना फरवरी 1999 में शिवरात्रि के दिन की गई थी. तब इस मंदिर को कटघोरा में बनाया जाना प्रस्तावित था. लेकिन मेरी धर्मपत्नी ज्योति पांडे के स्वप्न में माता आईं और एक इशारा दिया कि नदी के तट पर मेरी प्रतिमा है. फिर हम इस स्थान पर पहुंचे. हसदेव नदी के तट पर खोज करने पर देवी की प्रतिमा हमें प्राप्त हुई. उसी दिन से यहां मंदिर की नींव रखी गई है. इस स्थान का नाम जोगिया डेरा है. यहां 7 देवियों का स्थान है. शिव शक्ति के रूप में स्वयं नर्मदेश्वर यहां विराजित है.


रामेश्वरम से लेकर आए 750 वर्ष पुराना शिवलिंग : मंदिर के विषय में यह भी विख्यात है कि सपने में देवी ने शिव शक्ति की स्थापना का आदेश दिया था, जिसके बाद मंदिर में भवानी माता की स्थापना के बाद शिवलिंग की तलाश होने लगी. मंदिर के पुजारी रामेश्वरम धाम गए हुए थे, जहां इंदौर राजघराने की तत्कालीन रानी अहिल्या होलकर ने एक शिवलिंग स्थापित किया था. लेकिन मंदिर पूर्व में खंडित हो गया था जिसके बाद शिवलिंग कहीं और स्थापित नहीं किया गया. तब भवानी मंदिर के पुजारी को रामेश्वरम धाम के महामंडलेश्वर ने यह शिवलिंग दिया. इसके बाद दुर्लभ शिवलिंग को जो कि 750 वर्ष पुराना है. उसे ही रामेश्वरम से लाकर भवानी मंदिर में स्थापित किया गया. तब से भवानी मंदिर में न सिर्फ माता भवानी बल्कि भगवान शंकर की भी पूजा अर्चना होने लगी.


हर सोमवार को लगता है माता का दरबार : ऐसी मान्यता है कि भवानी मंदिर के मुख्य पुजारी चंद्र किशोर पांडे की पत्नी ज्योति पांडे पर भवानी माता की छाया है. भक्तों में इनकी बेहद आस्था है. हर सोमवार को यहां माता का दरबार लगता है. संतान बाधा या फिर कोई बाहरी बाधा के साथ ही शारीरिक कष्ट का भी निवारण किया जाता है. चंद्र किशोर पांडे कहते हैं कि "भक्त दूर-दूर से आते हैं, और यह सब माता की मर्जी से ही होता है. उनके आदेश पर ही भक्तजनों के समस्याओं का निदान होता है. इसकी ख्याति ना सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि अन्य राज्यों में भी है."

ये भी पढ़ें- नवरात्रि के पहले दिन किजिए शक्तिपीठ मां दंतेश्वरी के दर्शन

मंदिर में कांच पर खूबसूरत नक्काशी : इस मंदिर को अब नया रूप दिया गया है. देश के मशहूर कांच के कारीगरों को बुलाकर मंदिर को भव्य रूप दिया गया है. इस मंदिर में आते ही इसकी भव्यता का अहसास भक्तों को हो जाता है. मंदिर का एक ट्रस्ट है जो पूरे परिसर की देखरेख करता है. इस मंदिर में ट्रस्ट के माध्यम से गायों का पालन पोषण होता है.

स्वप्न देकर माता ने करवाई थी मंदिर की स्थापना

कोरबा : चैत्र नवरात्रि के अवसर पर हम आपको दर्शन कराने जा रहे हैं मां भवानी के चमत्कारिक मंदिर का. भवानी मंदिर के बारे में कई कहानियां मौजूद है.कौन सी कहानी सच्ची है ये कोई नहीं जानता.लेकिन हर कहानी पर लोगों का अटूट विश्वास है. ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में स्वयं देवी विराजमान हैं. हसदेव नदी के तट पर विराजित मां भवानी भक्तों की पीड़ा हरती है. हर सोमवार यहां मां का दरबार लगता है. जहां ना सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि अन्य राज्यों से भी भक्त आते हैं.

माता ने स्वप्न देकर बताया स्थान: भवानी मंदिर के मुख्य पुजारी चंद्र किशोर पांडे ने बताया कि "मंदिर की स्थापना फरवरी 1999 में शिवरात्रि के दिन की गई थी. तब इस मंदिर को कटघोरा में बनाया जाना प्रस्तावित था. लेकिन मेरी धर्मपत्नी ज्योति पांडे के स्वप्न में माता आईं और एक इशारा दिया कि नदी के तट पर मेरी प्रतिमा है. फिर हम इस स्थान पर पहुंचे. हसदेव नदी के तट पर खोज करने पर देवी की प्रतिमा हमें प्राप्त हुई. उसी दिन से यहां मंदिर की नींव रखी गई है. इस स्थान का नाम जोगिया डेरा है. यहां 7 देवियों का स्थान है. शिव शक्ति के रूप में स्वयं नर्मदेश्वर यहां विराजित है.


रामेश्वरम से लेकर आए 750 वर्ष पुराना शिवलिंग : मंदिर के विषय में यह भी विख्यात है कि सपने में देवी ने शिव शक्ति की स्थापना का आदेश दिया था, जिसके बाद मंदिर में भवानी माता की स्थापना के बाद शिवलिंग की तलाश होने लगी. मंदिर के पुजारी रामेश्वरम धाम गए हुए थे, जहां इंदौर राजघराने की तत्कालीन रानी अहिल्या होलकर ने एक शिवलिंग स्थापित किया था. लेकिन मंदिर पूर्व में खंडित हो गया था जिसके बाद शिवलिंग कहीं और स्थापित नहीं किया गया. तब भवानी मंदिर के पुजारी को रामेश्वरम धाम के महामंडलेश्वर ने यह शिवलिंग दिया. इसके बाद दुर्लभ शिवलिंग को जो कि 750 वर्ष पुराना है. उसे ही रामेश्वरम से लाकर भवानी मंदिर में स्थापित किया गया. तब से भवानी मंदिर में न सिर्फ माता भवानी बल्कि भगवान शंकर की भी पूजा अर्चना होने लगी.


हर सोमवार को लगता है माता का दरबार : ऐसी मान्यता है कि भवानी मंदिर के मुख्य पुजारी चंद्र किशोर पांडे की पत्नी ज्योति पांडे पर भवानी माता की छाया है. भक्तों में इनकी बेहद आस्था है. हर सोमवार को यहां माता का दरबार लगता है. संतान बाधा या फिर कोई बाहरी बाधा के साथ ही शारीरिक कष्ट का भी निवारण किया जाता है. चंद्र किशोर पांडे कहते हैं कि "भक्त दूर-दूर से आते हैं, और यह सब माता की मर्जी से ही होता है. उनके आदेश पर ही भक्तजनों के समस्याओं का निदान होता है. इसकी ख्याति ना सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि अन्य राज्यों में भी है."

ये भी पढ़ें- नवरात्रि के पहले दिन किजिए शक्तिपीठ मां दंतेश्वरी के दर्शन

मंदिर में कांच पर खूबसूरत नक्काशी : इस मंदिर को अब नया रूप दिया गया है. देश के मशहूर कांच के कारीगरों को बुलाकर मंदिर को भव्य रूप दिया गया है. इस मंदिर में आते ही इसकी भव्यता का अहसास भक्तों को हो जाता है. मंदिर का एक ट्रस्ट है जो पूरे परिसर की देखरेख करता है. इस मंदिर में ट्रस्ट के माध्यम से गायों का पालन पोषण होता है.

Last Updated : Mar 22, 2023, 4:03 PM IST
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