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कोरबा: क्वॉरेंटाइन सेंटर में प्रवासी मजदूरों ने लगाया पौधा, बताया चिन्हारी - क्वारेंटाइन सेंटर लगाए पौधे

महाराष्ट्र, तेलंगाना समेत अन्य राज्यों से कोरबा पहुंचे मजदूरों ने तिलकेजा हायर सेकेंडरी स्कूल में पौधारोपण किया. प्रवासी श्रमिकों ने घर जाने से पहले अपनी चिन्हारी के लिए स्कूल के प्रांगण में पौधारोपण किया. इसके बाद वे खुशी-खुशी अपने घर वापस लौटे.

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मजदूरों ने लगाया पौधा
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Published : Jun 2, 2020, 5:44 AM IST

Updated : Jun 2, 2020, 9:28 AM IST

कोरबा: कोरोना वायरस का संक्रमण इलाके में फैल नहीं सके, इसके लिए हर जिले के साथ-साथ हर ब्लॉक में क्वॉरेंटाइन सेंटर भी बनाए गए हैं, जहां प्रवासी मजदूरों को रखा जाता है. इसी क्रम में बीते 14 दिनों से तिलकेजा हायर सेकेंडरी स्कूल में भी प्रवासी मजदूर क्वॉरेंटाइन हैं, जिन्होंने अपने घर जाने से पहले स्कूल में पौधारोपण किया.

Migrant laborers plant sapling
मजदूरों ने लगाया पौधा

कोरबा के तिलकेजा गांव में महाराष्ट्र, तेलंगाना, राजस्थान, ओडिशा सहित अन्य राज्यों से प्रवासी मजदूर गांव वापस लौटे हैं, जिन्हें तिलकेजा के हायर सेकेंडरी स्कूल में क्वॉरेंटाइन किया गया है. यहां से क्वॉरेंटाइन अवधि पूरी कर घर जाने से पहले इन्होंने पौधारोपण किया है. क्वॉरेंटाइन सेंटर में ठहरे प्रवासी मजदूरों ने बताया कि वह अपने गांव सरईडीह से कामकाज की तलाश में तेलीबहाली ओडिशा गए थे. वहां वे मजदूरी का काम करते थे.

Migrant laborers plant sapling
मजदूरों ने लगाया पौधा

जांजगीरः खिल उठे मजदूरों के चेहरे, मनरेगा में मिल रहा काम

प्रवासी मजदूरों ने बताया कि कोरोना के कारण लाॅकडाउन घोषित हो गया, जिससे कामकाज ठप पड़ गया. बड़ी मुश्किलों से वे वापस कोरबा लौटे हैं. शिव सिंह गोंड ने बताया कि अपनी मातृभूमि लौटकर आने पर प्रशासन ने 14 दिनों के लिए उन्हें तिलकेजा के हायर सेकेंडरी स्कूल में क्वॉरेंटाइन किया है. क्वॉरेंटाइन सेंटर में 14 दिन तक रुकने की बात सुनकर मन में आया कि हम कहां आकर फंस गए. यहां खाने-पीने और रहने की सही व्यवस्था होगी की नहीं. बाहरी प्रदेश में लाॅकडाउन के दौरान फंसे होने के समय जो दुख-दर्द सहे, उसका अंत अभी भी नहीं होगा क्या.. यह सब बातें सोचकर मन बहुत विचलित हो गया था.

Migrant laborers plant sapling at Tilkeja Quarantine Center in korba
क्वारेंटाइन सेंटर में लगाया पौधा

दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों को क्वॉरेंटाइन में रहना जरूरी, ये हैं नियम

मजदूरों ने क्वॉरेंटाइन सेंटर में लगाए पौधे

मजदूर शिव सिंह गोंड ने आगे बताया कि मन में आने वाली चिंता, व्याकुलता से पर्दा उठना उस समय प्रारंभ हो गया, जब क्वॉरेंटाइन सेंटर में आते ही हम सबको और सभी सामानों को दवाई से सौनिटाइज किया गया, परिसर में बने भवन में ठहरने की जगह दिखाई गई, लेकिन अब सभी प्रवासी मजदूरों ने क्वॉरेंटाइन सेंटर में 14 दिन का समय बिताने के बाद परिसर में पौधे लगाए और हंसी-खुशी अपने गांव लौट गए.

कोरबा: कोरोना वायरस का संक्रमण इलाके में फैल नहीं सके, इसके लिए हर जिले के साथ-साथ हर ब्लॉक में क्वॉरेंटाइन सेंटर भी बनाए गए हैं, जहां प्रवासी मजदूरों को रखा जाता है. इसी क्रम में बीते 14 दिनों से तिलकेजा हायर सेकेंडरी स्कूल में भी प्रवासी मजदूर क्वॉरेंटाइन हैं, जिन्होंने अपने घर जाने से पहले स्कूल में पौधारोपण किया.

Migrant laborers plant sapling
मजदूरों ने लगाया पौधा

कोरबा के तिलकेजा गांव में महाराष्ट्र, तेलंगाना, राजस्थान, ओडिशा सहित अन्य राज्यों से प्रवासी मजदूर गांव वापस लौटे हैं, जिन्हें तिलकेजा के हायर सेकेंडरी स्कूल में क्वॉरेंटाइन किया गया है. यहां से क्वॉरेंटाइन अवधि पूरी कर घर जाने से पहले इन्होंने पौधारोपण किया है. क्वॉरेंटाइन सेंटर में ठहरे प्रवासी मजदूरों ने बताया कि वह अपने गांव सरईडीह से कामकाज की तलाश में तेलीबहाली ओडिशा गए थे. वहां वे मजदूरी का काम करते थे.

Migrant laborers plant sapling
मजदूरों ने लगाया पौधा

जांजगीरः खिल उठे मजदूरों के चेहरे, मनरेगा में मिल रहा काम

प्रवासी मजदूरों ने बताया कि कोरोना के कारण लाॅकडाउन घोषित हो गया, जिससे कामकाज ठप पड़ गया. बड़ी मुश्किलों से वे वापस कोरबा लौटे हैं. शिव सिंह गोंड ने बताया कि अपनी मातृभूमि लौटकर आने पर प्रशासन ने 14 दिनों के लिए उन्हें तिलकेजा के हायर सेकेंडरी स्कूल में क्वॉरेंटाइन किया है. क्वॉरेंटाइन सेंटर में 14 दिन तक रुकने की बात सुनकर मन में आया कि हम कहां आकर फंस गए. यहां खाने-पीने और रहने की सही व्यवस्था होगी की नहीं. बाहरी प्रदेश में लाॅकडाउन के दौरान फंसे होने के समय जो दुख-दर्द सहे, उसका अंत अभी भी नहीं होगा क्या.. यह सब बातें सोचकर मन बहुत विचलित हो गया था.

Migrant laborers plant sapling at Tilkeja Quarantine Center in korba
क्वारेंटाइन सेंटर में लगाया पौधा

दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों को क्वॉरेंटाइन में रहना जरूरी, ये हैं नियम

मजदूरों ने क्वॉरेंटाइन सेंटर में लगाए पौधे

मजदूर शिव सिंह गोंड ने आगे बताया कि मन में आने वाली चिंता, व्याकुलता से पर्दा उठना उस समय प्रारंभ हो गया, जब क्वॉरेंटाइन सेंटर में आते ही हम सबको और सभी सामानों को दवाई से सौनिटाइज किया गया, परिसर में बने भवन में ठहरने की जगह दिखाई गई, लेकिन अब सभी प्रवासी मजदूरों ने क्वॉरेंटाइन सेंटर में 14 दिन का समय बिताने के बाद परिसर में पौधे लगाए और हंसी-खुशी अपने गांव लौट गए.

Last Updated : Jun 2, 2020, 9:28 AM IST
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