कोरबा : रोशनी गर खुदा को हो मंजूर, आंधियों में चिराग जलते हैं... साल 1992 में आई बॉलीवुड फिल्म खुदा गवाह के इस डायलॉग को चरितार्थ कर दिखाया है मयंक विश्वकर्मा ने. कोरबा के जैलगांव निवासी मयंक विश्वकर्मा की हाइट महज 36 इंच है. लेकिन अपनी कम हाइट को कमजोरी के रूप में उन्होंने कभी खुद पर हावी नहीं होने दिया. 35 साल के मयंक को हाल ही में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने घोड़े की मुद्रा में सबसे ज्यादा समय तक बने रहने के लिए सम्मानित किया है. उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है. मयंक कोरबा का सोशल मीडिया सेंसेशन बन चुके हैं. वे सोशल मीडिया पर लिटिल मोटीवेटर के नाम से अपना प्रोफाइल चलाते हैं. इनके पिता माणिक विश्वकर्मा छत्तीसगढ़ के ख्याति प्राप्त साहित्यकार हैं. बहुमुखी प्रतिभा के धनी मयंक विश्वकर्मा ने ईटीवी भारत ने खास बात की. आइये जानते हैं उन्होंने क्या बताया...
कई बार दुख हुआ, पर हिम्मत नहीं हारी
मयंक ने कहा कि लोगों को दिव्यांगों की समस्या समझनी चाहिए. बिना पूछे फोटो नहीं खींचनी चाहिए. कई बार तो लोग पूछते हैं कि कहां से आए हो? लोग इस तरह व्यवहार करते हैं, जैसे मैं किसी दूसरे ग्रह का प्राणी हूं. उस वक्त बहुत बुरा लगता है, लेकिन हिम्मत कभी नहीं हारनी चाहिए. बदलाव के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए. मयंक ने आगे कहा कि मैंने खामोशी से रहते खुद पर फोकस किया. मेरी जिस हाइट का लोग मजाक उड़ाते थे, मैंने उसे ही अपनी सबसे बड़ी मजबूती बना ली और आगे बढ़ता रहा.
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इंटरनेट के जरिए पता चला और बनाया रिकॉर्ड
कोरबा का लिटिल मोटीवेटर बन चुके मयंक ने बताया कि इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड के बारे में उन्हें इंटरनेट के जरिए पता चला. रिकॉर्ड बनाने का ख्याल मन में कैसे आया, इसपर मयंक कहते हैं कि वह इंटरनेट पर सर्फिंग कर रहे थे. इसी दौरान इस रिकॉर्ड के बारे में पता चला. उन्होंने इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड के अंतर्गत बनाए जा सकने वाले रिकॉर्ड का पता लगाया. यह सोचा कि वह किस क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित कर सकते हैं. घोड़े की मुद्रा वाले रिकॉर्ड की जानकारी मिली. मयंक ने दिन-रात इसका अभ्यास किया और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड की टीम ने किताब में मयंक का नाम दर्ज कर लिया. इस तरह से यह पूरा रिकॉर्ड बना.
मणिकर्णिका आर्ट गैलरी में दो पेंटिंग्स हो चुकीं प्रदर्शित
अपनी अन्य उपलब्धियों के बारे में मयंक ने बताया कि कुछ दिन पहले ही मणिकर्णिका आर्ट गैलरी द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर की पेंटिंग प्रदर्शनी लगाई गई. मैंने भी इसमें अपनी पेंटिंग भेजी. अपनी कुल 8 पेंटिंग्स प्रदर्शनी के लिए भेजी थी. उनमें से दो चयनित हुईं. पेंटिंग्स को दर्शकों की काफी सराहना भी मिली. इस एग्जीबिशन में न सिर्फ देश बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के चित्रकारों ने भी अपनी पेंटिंग प्रदर्शनी लगाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था.
कॉलेज के समय से चला रहे लिटिल मोटीवेटर प्रोफाइल
मयंक ने बताया कि वे सोशल मीडिया में लिटिल मोटीवेटर नाम से प्रोफाइल कॉलेज के समय से चला रहे हैं. बकौल मयंक जब मैं कॉलेज में था तो मैंने देखा कि लोगों को मेरे प्रति काफी जिज्ञासा है. हाइट कम होने की वजह से वे मेरे बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाह रहे थे. मैं धीरे-धीरे कॉलेज में मशहूर होने लगा. उसी समय मैंने लिटिल मोटीवेटर नाम की प्रोफाइल बनाई और तभी से लोगों की जिज्ञासा दूर करता आ रहा हूं. खुद को एक्सप्लोर करने का यह सिलसिला आज भी जारी है.
बदलाव के लिए हमेशा रहें तैयार
मयंक ने यह भी कहा कि दिव्यांग हों, तब भी बदलाव के लिए हमेशा तैयार रहें. कड़ी मेहनत करें. जब आप मेहनत करेंगे तो निश्चित रूप से बदलाव होगा. फिर लोग आपसे इंस्पायर होंगे और आपको फॉलो करना शुरू कर देंगे. इसलिए मेहनत करें और बदलाव के लिए हमेशा तैयार रहें.
एंटी करप्शन संस्था के लिए कर रहे काम, पास में हैं कई ऑफर
बहुमुखी प्रतिभा के धनी मयंक ने अपने फ्यूचर प्लांस के बारे में बताया कि हाल ही में एंटी करप्शन संस्था से भी जुड़ा हूं. उनके लिए मैं काम कर रहा हूं. इसके तहत मुझे भ्रष्टाचार के प्रति लोगों को जागरूक करना है. सेमिनार का आयोजन करना है. इस तरह के काम मैं करता आया हूं. मुझे और भी ऑफर मिल रहे हैं. हाल ही में दिव्यांगों के लिए एक फैशन शो का आयोजन किया गया था. वहां मैंने पार्टिसिपेट किया. पेंटिंग और लिखने में मेरी रुचि है. मैं इसी क्षेत्र में अपना करियर बनाऊंगा.