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कोयला मंत्री के निरीक्षण के पहले भू-विस्थापितों ने किया कोयला उत्पादन बंद कराने का प्रयास

केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी (Union Coal Minister Prahlad Joshi) एसईसीएल (SECL) के मेगा प्रोजेक्ट (Mega project) दीपका (Deepka) , गेवरा (Gevra)और कुसमुंडा के दौरे (Kusmunda tour) पर हैं. इस दौरान खदानों के लिए अपनी जमीन दे चुके भू-विस्थापितों (Land-displaced) ने आंदोलन कर दिया है. बताया जा रहा है कि ये आंदोलन केन्द्रीय मंत्री के दौरे (Agitation Union Ministers Visit) के दौरान कोयला उत्पादन बंद (Coal production stopped) कराने की कोशिश है.

Attempt to stop coal production
कोयला उत्पादन बंद कराने का प्रयास
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Published : Oct 13, 2021, 2:59 PM IST

कोरबाः देश में चल रहे कोयला संकट (Coal crisis) के बीच केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी (Union Coal Minister Prahlad Joshi)एसईसीएल (SECL) के मेगा प्रोजेक्ट (Mega project) दीपका(Deepka), गेवरा (Gevra)और कुसमुंडा के दौरे (Kusmunda tour) पर हैं. इस बीच खदानों के लिए अपनी जमीन दे चुके भू-विस्थापितों (Land-displaced) ने आंदोलन कर दिया है. दरअसल, उन्होंने केन्द्रीय मंत्री के दौरे के दौरान कोयला उत्पादन बंद (Coal production stopped)कराने का प्रयास किया है.

भू-विस्थापितों ने किया कोयला उत्पादन बंद

भू-विस्थापित लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं. इस बीच केन्द्रीय मंत्री के दौरे से पूर्व गुस्साए लोग दीपका खदान के भीतर घुस गए और कोयला उत्पादन सहित डिस्पैच बंद कराने का प्रयास किया. बताया जा रहा है कि भू-विस्थापित शक्ति प्रदर्शन कर कोयला मंत्री को यह संदेश देना चाहते हैं कि उनकी समस्याओं के निराकरण के बिना ना तो खदान का विस्तार संभव है और ना ही पूरी क्षमता से उत्पादन.

कोयला मंत्री को करना है खदानों का निरीक्षण

बताया जा रहा है कि सड़क पर या कार्यालय में विरोध करने के बजाए इस बार विस्थापितों ने खदान में उतरकर उत्पादन और डिस्पैच बंद करा कर आंदोलन को और भी ताकतवर बनाने का प्रयास किया है. वहीं, ये ऐसे समय में किया गया जब कोयला मंत्री कुछ ही देर में खदानों का निरीक्षण कर उत्पादन बढ़ाने पर जोर देने के लिए अफसरों की क्लास लेने वाले हैं.
वहीं, अफसरों के साथ बैठक के बाद केन्द्रीय कोयला मंत्री एक रिव्यू मीटिंग भी कर रहे हैं. लेकिन इसके पहले ही विस्थापित खदान के भीतर उत्पादन रोकने के लिए उतर चुके हैं. ऐसे में अब सवाल ये है कि मंत्री का निरीक्षण किस तरह से होगा, कोयला अफसर उन्हें खदानों के भीतर ले जा पाते हैं या फिर नहीं.

ये हैं प्रमुख मांगें

  • परियोजना, एरिया स्तर पर पुनर्वास समिति एवं ग्राम समितियों का गठन किया जाये, जिसके माध्यम से परिसम्पतियों का मुआवजा ,रोजगार, बसाहट आदि का निर्धारण किया जाए.
  • छोटे-बड़े सभी खातेदारों को रोजगार की व्यवस्था की जाए.
  • सर्व सुविधायुक्त बसाहट (माडल ग्राम ) की व्यवस्था की जाए. वर्तमान में बालिग को अलग परिवार की श्रेणी मानते हुए 10 डिसमिल भूमि दिया जाए.अथवा जमीन के बदले 10 लाख रुपये लागू किया जाए.
  • वैकल्पिक रोजगार - प्रभावित परिवार के बेरोजगारों द्वारा बनाई गई सहकारी समितियों/फर्म/ कंपनी (अथवा व्यक्तिगत) को ठेका कार्य में 20%आरक्षण ,स्थानीय बेरोजगारों और स्व सहायता समूह के लिए प्राथमिकता के साथ वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था की जाए.
  • लंबित रोजगार, मुआवजा, बसाहट के प्रकरणों का तत्काल निराकरण किया जाए. अर्जन के बाद जन्म, महिला खातेदारों, रैखिक सबन्ध आदि के कारण रोके गए रोजगार के मामले पर पुनः विचार कर रोजगार प्रदान किया जाए.
  • नये अधिग्रहण के मामले में रोजगार, मुआवजा,बसाहट आदि सुविधाओ के लिए समय सीमा निर्धारित किया जाए.
  • गांव की आशिंक जमीन अधिग्रहण पर रोक लगाई जाए.
  • सबंधित संस्थान द्वारा भूविस्थापित-किसान परिवार के बच्चों को प्राथमिक स्तर से उच्च शिक्षा तक निशुल्क पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था किया जाए एवं विभागीय अस्पताल में निशुल्क इलाज का प्रबंध किया जाए.
  • जिला खनिज न्यास निधि का नियम के अनुरूप प्रत्यक्ष प्रभावित ग्रामों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर खर्च किया जाए.
  • वर्षो पूर्व में अधिग्रहित जमीन खदान बन्द होने अथवा लीज अवधि समाप्त हो जाने अथवा संस्थान द्वारा उपयोग नहीं करने के कारण उक्त जमीन वास्तविक खातेदारों को वापस किया जाए.
  • महिलाओं और युवाओं के लिए रोजगार सृजन, कौशल उन्नयन की व्यवस्था और स्थानीय उद्योगों में नियोजित किया जाए.
  • अर्जित ग्रामों के निजी ,शासकीय अथवा किसी अन्य के जमीन पर स्थित परिसंपत्तियों का 100% सोलिसियम के साथ मुआवजा प्रदान किया जाए. जिन ग्रामो में परिसम्पतियों का नाप जोख (मूल्यांकन ) किया जा चुका है, उनको तत्काल भुगतान किया जाए.
  • भूमि अर्जन के समय लागू नीतियों के आधार पर रोजगार प्रदान किया जाए कोल इंडिया पॉलिसी के नाम पर रोजगार के अधिकार का हनन बन्द किया जाए.
  • कोरबा जिले में पर्यावरणीय असंतुलन एवं प्रदूषण की समस्या, उद्योग संस्थानों द्वारा अपनी सामाजिक उत्तरदायित्व का अवहेलना और पुनर्वास नीति का दुरुपयोग करने से उत्पन्न परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए नई उद्योग, खदान एवं उसके विस्तार पर रोक लगाई जाए.
  • खदान के कारण विभिन्न कारणों से नुकसान हुये फसल का सम्पूर्ण क्षति पूर्ति प्रदान किया जाय.
  • खदान के आसपास के गांवों में पेयजल और निस्तार की समस्या गर्मी के दिनों में गंभीर हो जाती है, अतः खदान के आसपास के गांवों में गर्मी आने से पहले पेयजल एवम निस्तार की ब्यवस्था की जाय.
  • राजस्व सबंधी समस्याओं का गांव में शिविर लगाकर समाधान किया जाए.

कोरबाः देश में चल रहे कोयला संकट (Coal crisis) के बीच केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी (Union Coal Minister Prahlad Joshi)एसईसीएल (SECL) के मेगा प्रोजेक्ट (Mega project) दीपका(Deepka), गेवरा (Gevra)और कुसमुंडा के दौरे (Kusmunda tour) पर हैं. इस बीच खदानों के लिए अपनी जमीन दे चुके भू-विस्थापितों (Land-displaced) ने आंदोलन कर दिया है. दरअसल, उन्होंने केन्द्रीय मंत्री के दौरे के दौरान कोयला उत्पादन बंद (Coal production stopped)कराने का प्रयास किया है.

भू-विस्थापितों ने किया कोयला उत्पादन बंद

भू-विस्थापित लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं. इस बीच केन्द्रीय मंत्री के दौरे से पूर्व गुस्साए लोग दीपका खदान के भीतर घुस गए और कोयला उत्पादन सहित डिस्पैच बंद कराने का प्रयास किया. बताया जा रहा है कि भू-विस्थापित शक्ति प्रदर्शन कर कोयला मंत्री को यह संदेश देना चाहते हैं कि उनकी समस्याओं के निराकरण के बिना ना तो खदान का विस्तार संभव है और ना ही पूरी क्षमता से उत्पादन.

कोयला मंत्री को करना है खदानों का निरीक्षण

बताया जा रहा है कि सड़क पर या कार्यालय में विरोध करने के बजाए इस बार विस्थापितों ने खदान में उतरकर उत्पादन और डिस्पैच बंद करा कर आंदोलन को और भी ताकतवर बनाने का प्रयास किया है. वहीं, ये ऐसे समय में किया गया जब कोयला मंत्री कुछ ही देर में खदानों का निरीक्षण कर उत्पादन बढ़ाने पर जोर देने के लिए अफसरों की क्लास लेने वाले हैं.
वहीं, अफसरों के साथ बैठक के बाद केन्द्रीय कोयला मंत्री एक रिव्यू मीटिंग भी कर रहे हैं. लेकिन इसके पहले ही विस्थापित खदान के भीतर उत्पादन रोकने के लिए उतर चुके हैं. ऐसे में अब सवाल ये है कि मंत्री का निरीक्षण किस तरह से होगा, कोयला अफसर उन्हें खदानों के भीतर ले जा पाते हैं या फिर नहीं.

ये हैं प्रमुख मांगें

  • परियोजना, एरिया स्तर पर पुनर्वास समिति एवं ग्राम समितियों का गठन किया जाये, जिसके माध्यम से परिसम्पतियों का मुआवजा ,रोजगार, बसाहट आदि का निर्धारण किया जाए.
  • छोटे-बड़े सभी खातेदारों को रोजगार की व्यवस्था की जाए.
  • सर्व सुविधायुक्त बसाहट (माडल ग्राम ) की व्यवस्था की जाए. वर्तमान में बालिग को अलग परिवार की श्रेणी मानते हुए 10 डिसमिल भूमि दिया जाए.अथवा जमीन के बदले 10 लाख रुपये लागू किया जाए.
  • वैकल्पिक रोजगार - प्रभावित परिवार के बेरोजगारों द्वारा बनाई गई सहकारी समितियों/फर्म/ कंपनी (अथवा व्यक्तिगत) को ठेका कार्य में 20%आरक्षण ,स्थानीय बेरोजगारों और स्व सहायता समूह के लिए प्राथमिकता के साथ वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था की जाए.
  • लंबित रोजगार, मुआवजा, बसाहट के प्रकरणों का तत्काल निराकरण किया जाए. अर्जन के बाद जन्म, महिला खातेदारों, रैखिक सबन्ध आदि के कारण रोके गए रोजगार के मामले पर पुनः विचार कर रोजगार प्रदान किया जाए.
  • नये अधिग्रहण के मामले में रोजगार, मुआवजा,बसाहट आदि सुविधाओ के लिए समय सीमा निर्धारित किया जाए.
  • गांव की आशिंक जमीन अधिग्रहण पर रोक लगाई जाए.
  • सबंधित संस्थान द्वारा भूविस्थापित-किसान परिवार के बच्चों को प्राथमिक स्तर से उच्च शिक्षा तक निशुल्क पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था किया जाए एवं विभागीय अस्पताल में निशुल्क इलाज का प्रबंध किया जाए.
  • जिला खनिज न्यास निधि का नियम के अनुरूप प्रत्यक्ष प्रभावित ग्रामों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर खर्च किया जाए.
  • वर्षो पूर्व में अधिग्रहित जमीन खदान बन्द होने अथवा लीज अवधि समाप्त हो जाने अथवा संस्थान द्वारा उपयोग नहीं करने के कारण उक्त जमीन वास्तविक खातेदारों को वापस किया जाए.
  • महिलाओं और युवाओं के लिए रोजगार सृजन, कौशल उन्नयन की व्यवस्था और स्थानीय उद्योगों में नियोजित किया जाए.
  • अर्जित ग्रामों के निजी ,शासकीय अथवा किसी अन्य के जमीन पर स्थित परिसंपत्तियों का 100% सोलिसियम के साथ मुआवजा प्रदान किया जाए. जिन ग्रामो में परिसम्पतियों का नाप जोख (मूल्यांकन ) किया जा चुका है, उनको तत्काल भुगतान किया जाए.
  • भूमि अर्जन के समय लागू नीतियों के आधार पर रोजगार प्रदान किया जाए कोल इंडिया पॉलिसी के नाम पर रोजगार के अधिकार का हनन बन्द किया जाए.
  • कोरबा जिले में पर्यावरणीय असंतुलन एवं प्रदूषण की समस्या, उद्योग संस्थानों द्वारा अपनी सामाजिक उत्तरदायित्व का अवहेलना और पुनर्वास नीति का दुरुपयोग करने से उत्पन्न परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए नई उद्योग, खदान एवं उसके विस्तार पर रोक लगाई जाए.
  • खदान के कारण विभिन्न कारणों से नुकसान हुये फसल का सम्पूर्ण क्षति पूर्ति प्रदान किया जाय.
  • खदान के आसपास के गांवों में पेयजल और निस्तार की समस्या गर्मी के दिनों में गंभीर हो जाती है, अतः खदान के आसपास के गांवों में गर्मी आने से पहले पेयजल एवम निस्तार की ब्यवस्था की जाय.
  • राजस्व सबंधी समस्याओं का गांव में शिविर लगाकर समाधान किया जाए.
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