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कोरबा में छेरछेरा पर्व पर भू-विस्थापितों ने लगायी जीएम से गुहार, जमीन के बदले दो रोजगार - exchange of land from GM in korba

Demanded employment in exchange of land from GM in korba: कुसमुंडा कोयला खदान क्षेत्र के भू-विस्थापित किसानों ने छत्तीसगढ़ के महापर्व छेरा छेरा के दिन अपने पूर्वजों की जमीन के बदले रोजगार की मांग की.

Land displaced appeals to GM
भूविस्थापितों ने लगायी जीएम से गुहार
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Published : Jan 18, 2022, 9:19 PM IST

कोरबा: एसईसीएल के कुसमुंडा कोयला खदान क्षेत्र के भू-विस्थापित किसान छत्तीसगढ़ के महापर्व छेरा छेरा के दिन अपने पूर्वजों की जमीन के बदले रोजगार मांगने पहुंचे. रोजगार की मांग को लेकर एसईसीएल के कुसमुंडा मुख्यालय के सामने 1 नवंबर से अनिश्चितकालीन धरने पर भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ के बेनर तले आंदोलन चल रहा है. भू-विस्थापित भारी ठंड में भी 77 दिनों से जमीन के बदले रोजगार की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं.

कोरबा में छेरछेरा पर्व

मांग न पूरी होने पर जारी रखेंगे संघर्ष

77 दिनों से चल रहे आंदोलन के दौरान भू-विस्थापितों ने 2 बार खदान को 20 घंटे से भी ज्यादे समय तक बंद रखा. इस बीच आंदोलन कर रहे 16 लोगों को जेल भी भेजा गया, लेकिन भू-विस्थापित इस बार रोजगार मिलने तक संघर्ष जारी रखने की बात पर अड़े हैं. इस विषय में भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ के सचिव दामोदर ने कहा कि एसईसीएल रोजगार देने के अपने वायदे पर अमल नहीं कर रहा है. भू-विस्थापित जमीन के बदले रोजगार मिलने तक संघर्ष जारी रखेंगे.

यह भी पढ़ेंः छेरछेरा पुन्नी पर किसान परिवार पहुंचा सीएम हाउस, गाना गाने के बाद भी लौटे मायूस...

जमीन के बदले रोजगार की मांग

इस बीच माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि जब पूरा छत्तीसगढ़ महापर्व छेर छेरा मना रहा है, तब एसईसीएल कुसमुंडा, गेवरा और कोरबा जिले के अंतर्गत सभी खदानों से प्रभावित भू-विस्थापित किसान एसईसीएल कुसमुंडा मुख्यालय के सामने एकत्रित होकर अधिकारियों से छेर छेरा में जमीन के बदले रोजगार की मांग कर रहे हैं. हो सकता है लोक पर्व में छेरछेरा के तौर पर विस्थापितों को रोजगार मिल जाए. जमीन खो चुके किसानों का कुछ भला हो जाए. हमने कार्यालय में घुसकर छेरछेरा में जमीन के बदले रोजगार कि मांग की है.

कोरबा: एसईसीएल के कुसमुंडा कोयला खदान क्षेत्र के भू-विस्थापित किसान छत्तीसगढ़ के महापर्व छेरा छेरा के दिन अपने पूर्वजों की जमीन के बदले रोजगार मांगने पहुंचे. रोजगार की मांग को लेकर एसईसीएल के कुसमुंडा मुख्यालय के सामने 1 नवंबर से अनिश्चितकालीन धरने पर भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ के बेनर तले आंदोलन चल रहा है. भू-विस्थापित भारी ठंड में भी 77 दिनों से जमीन के बदले रोजगार की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं.

कोरबा में छेरछेरा पर्व

मांग न पूरी होने पर जारी रखेंगे संघर्ष

77 दिनों से चल रहे आंदोलन के दौरान भू-विस्थापितों ने 2 बार खदान को 20 घंटे से भी ज्यादे समय तक बंद रखा. इस बीच आंदोलन कर रहे 16 लोगों को जेल भी भेजा गया, लेकिन भू-विस्थापित इस बार रोजगार मिलने तक संघर्ष जारी रखने की बात पर अड़े हैं. इस विषय में भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ के सचिव दामोदर ने कहा कि एसईसीएल रोजगार देने के अपने वायदे पर अमल नहीं कर रहा है. भू-विस्थापित जमीन के बदले रोजगार मिलने तक संघर्ष जारी रखेंगे.

यह भी पढ़ेंः छेरछेरा पुन्नी पर किसान परिवार पहुंचा सीएम हाउस, गाना गाने के बाद भी लौटे मायूस...

जमीन के बदले रोजगार की मांग

इस बीच माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि जब पूरा छत्तीसगढ़ महापर्व छेर छेरा मना रहा है, तब एसईसीएल कुसमुंडा, गेवरा और कोरबा जिले के अंतर्गत सभी खदानों से प्रभावित भू-विस्थापित किसान एसईसीएल कुसमुंडा मुख्यालय के सामने एकत्रित होकर अधिकारियों से छेर छेरा में जमीन के बदले रोजगार की मांग कर रहे हैं. हो सकता है लोक पर्व में छेरछेरा के तौर पर विस्थापितों को रोजगार मिल जाए. जमीन खो चुके किसानों का कुछ भला हो जाए. हमने कार्यालय में घुसकर छेरछेरा में जमीन के बदले रोजगार कि मांग की है.

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