कोरबा: जिले का पशुधन विभाग अरसे से बीमार है. यानी पशु चिकित्सालयों में डॉक्टर्स और स्टाफ की भारी कमी है. अब सवाल ये उठता है अमले की कमी और संसाधनों के अभाव में जानवरों की बेहतरी कैसे होगी.
जिले में पशु विभाग के अंतर्गत चिकित्सालय और औषधालय सहित अन्य संस्थाओं को मिलाकर जानवरों के इलाज, टीकाकरण और देखभाल के लिए 51 सरकारी संस्थान संचालित हैं. जिनके लिए महज 23 पशु चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं. इसमें से भी 18 ही काम कर रहे हैं, जबकि 5 पद पूरी तरह से रिक्त हैं. इनकी भरपाई नहीं हो सकी है. हालत ये है कि जरूरत के समय में वेटरनरी चिकित्सक नहीं मिलते हैं. पशुपालन के तौर पर अपना व्यवसाय करने वाले पशुपालक हों या फिर घर में पशुओं को पालने वाले लोग, किसी को भी जरूरत पड़ने पर ठीक समय पर अच्छे वेटरनरी चिकित्सक नहीं मिलते, जिससे कई बार जानवरों को उचित इलाज नहीं मिल पाता है.
7 महीने में ठीक नहीं हुई खुजली
ETV भारत से दीपका के कुणाल ने चर्चा करते हुए बताया कि उनके पास लैबराडोर प्रजाति का कुत्ता है, जिसे 7 महीने पहले खुजली की बीमारी हुई थी. पूरे शरीर में लाल रंग के रैशेज़ हो गए हैं, लेकिन अब तक उनके डॉगी को सही इलाज नहीं मिल पाया है. उन्होंने कहा कि वे हरदीबाजार स्थित शासकीय पशु चिकित्सालय भी गए, लेकिन वहां भी हर बार इंजेक्शन लगाने का 300 रुपये लिया जाता है, इसके बाद भी कोई लाभ नहीं मिल रहा है. कम से कम 10 वेटरनरी डॉक्टरों से वे उनके कुत्ते का इलाज करा चुके हैं, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. इनमें ज्यादातर सरकारी चिकित्सक थे, फोन करने पर कोई घर आने को तैयार भी नहीं होता और चिकित्सालय ले जाने पर भी कोई लाभ नहीं हो पा रहा है. उनका कहना है कि जिले के वेटरनरी चिकित्सक 7 महीने में खुजली जैसी छोटी बीमारी तक ठीक नहीं कर पाए हैं.
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अच्छे चिकित्सकों का अभाव
पेट (pet) शॉप चलाने वाले और जानवरों के मामले के जानकार आनंद सिंह का कहना है कि जिले में अच्छे वेटरनरी डॉक्टरों का अभाव है. जो हैं भी उन पर भी सरकारी कार्यों का बोझ इतना ज्यादा है कि वह जानवरों का इलाज ठीक से नहीं कर पाते. फोन करने पर उनका फोन रिसीव नहीं होता, घर आकर इलाज करना तो दूर की बात है. रात को अगर किसी जानवर की तबीयत खराब हो या आपात स्थिति में किसी पशु को इलाज की जरूरत हो, तो उसकी मौत तय है. उन्होंने कहा कि शनिवार की रात को अगर तबीयत खराब हो गई, तो 2 दिन के इंतजार के बाद ही पशुओं को इलाज मिलता है.
जिले में शासकीय पशु चिकित्सालय | 12 |
शासकीय पशु औषधालय | 29 |
मुख्य खंड ग्राम इकाई | 10 |
मोबाइल यूनिट | 1 |
लैब | 1 |
वेटनरी चिकित्सक के स्वीकृत पद | 23 |
कार्यरत | 18 |
बता दें कि सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी के स्वीकृत पद 71 हैं, लेकिन सिर्फ 38 कार्यरत हैं.
20वीं पशुगणना 2020 के अनुसार जिले में इतने पशु
गाय | 396313 |
भैंस | 53986 |
बकरी | 190982 |
गधा | 15 |
सूअर | 1626 |
कुत्ते | 2242 |
खरगोश | 625 |
पक्षी | 311667 |