कोरबा: यूपीआई पेमेंट का दौर आने से पहले जब हम दुकान से सामान खरीदते थे, तब बड़ा नोट देने पर सामान की कीमत काटकर दुकानदार चिल्लर पैसे वापस करते थे. जो या तो खर्च हो जाते थे या फिर गुल्लक में चले जाते थे. लेकिन आज यूपीआई पेमेंट ज्यादा होने से चिल्लर की समस्या तो खत्म हो गई लेकिन बचत भी ना के बराबर हो रही है. ऐसे में आज भी चिल्लर पैसों को जमाकर बड़ी बचत की जा सकती है. लेकिन बड़ा सवाल है कि इसके लिए चिल्लर आएगा कहां से. इस समस्या को खत्म करने के लिए कोरबा के युवाओं ने चिल्लर इन्वेस्टमेंट एप तैयार किया है. इस एप के जरिए किसी भी खरीदारी के बाद बचा हुए चिल्लर डिजिटल वॉलेट में स्टोर होता जाता है. जो बाद में बड़ी बचत के रूप में सामने आता है. यह एप एक तरह का स्टार्टअप है. जिसे आईआईएम बेंगलुरु ने भी बेस्ट स्टार्टअप माना और 1500 स्टार्टअप में से शॉर्टलिस्ट किये गए 44 सेलेक्टेड स्टार्टअप में शामिल किया.
कोरबा के युवाओं ने बनाया चिल्लर एप: छोटी बचत से बड़े फायदे और मिडिल क्लास फैमिली के पैसे न बचा पाने की समस्या को खत्म करने के लिए कोरबा के युवाओं ने चिल्हर इन्वेस्टमेंट एप तैयार किया है. कोरबा के कुसमुंडा में रहने वाले प्रत्यूष तिवारी बीआईटी रांची से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं. प्रत्यूष के पिता एसईसीएल कुसमुंडा खदान में अधिकारी हैं. सातवें सेमेस्टर का छात्र प्रत्युष और उसके साथियों ने मिलकर माइक्रो सेविंग एप तैयार किया है. जिसकी बुनियाद पुरानी, लेकिन तकनीक बिल्कुल नई है.
यूपीआई पेमेंट एप से अलग है चिल्लर एप: प्रत्यूष ने बताया कि यह गूगल पे और फोन पे जैसे यूपीआई पेमेंट एप से बिल्कुल अलग है. यह एक तरह का माइक्रो सेविंग एप है. जो चिल्लर पैसे की बचत करने के साथ ही इन्वेस्टमेंट के सही सुझाव भी लोगों को देगा. जब भी हम रोजमर्रा का कोई सामान दुकान से खरीदते हैं. तो वह अमाउंट परफेक्ट नहीं होता, उदाहरण के लिए कभी हम ₹32 देते हैं, तो कभी 58 रुपए खर्च करते हैं. यह एप इस 32 को 35 कर देगा और 58 को 60. यानी 32 रुपये की खरीदी करने के बाद एकाउंट से राउंड फिगर के तौर पर 35 रुपये कटेंगे. जिसमें से 32 रुपये खरीदारी के लिए जाएंगे और बाकी बचे 3 रुपये डिजिटल वॉलेट में स्टोर हो जाएंगे.
परमिशन देने के बाद ही कटेंगे पैसे : प्रत्यूष ने बताया कि चिल्लर एप किसी भी यूजर के एसएमएस को रीड करेगा. इसके लिए यूजर द्वारा एप को परमिशन देना होगा. परमिशन नहीं मिलने पर एप काम नहीं करेगा. एसएमएस के जरिए एप को पता चलेगा कि कहीं ₹32 रुपए का पेमेंट किया गया है. तो एप इस अमाउंट को राउंड ऑफ कर देगा. मतलब यह हुआ कि 32 को ₹35 के मूल्य का करते हुए ₹3 चिल्लर एप के वॉलेट में जमा हो जाएंगे. दिन भर में हफ्ते में या फिर महीने में अधिकतम कितने पैसे काटकर चिल्लर एप के वॉलेट में जमा किया जाना है. इसकी लिमिट सेट करने का अधिकार यूजर को होगा. वह जब चाहे इसे बदल भी सकते हैं. यूजर जितना चाहें उतना लिमिट सेट कर सकते हैं. इसी तरह छोटे-छोटे अमाउंट से धीरे-धीरे पैसे वॉलेट में पैसे जमा होते जाएंगे. साल या महीने में यह एक बड़ा अमाउंट बन जाएगा. जिसे यूजर जहां चाहे, वहां इन्वेस्ट कर सकते हैं. विपरीत परिस्थिति में पैसे निकालकर इस्तेमाल भी कर सकते हैं.
एनएसआरसीईएल ने स्टार्टअप को किया शॉर्टलिस्ट : प्रत्यूष ने बताया कि आईआईएम बेंगलुरु की स्टार्टअप को बढ़ावा देने वाली संस्था एनएसआरसीईएल ने 1500 अलग-अलग स्टार्टअप में से चिल्लर एप को टॉप 44 में सिलेक्ट किया. वहां से सॉफ्टवेयर और काफी तकनीकी सहायता भी मिली. जिससे हम यह एप सफलतापूर्वक बना पाए. इसके अलावा वित्तीय लेनदेन के लिए हमें या तो आरबीआई का सर्टिफिकेट चाहिए या फिर एनबीएफसी का लाइसेंस. इस दिशा में भी हम काम कर रहे हैं. प्रक्रिया अंतिम चरण में है. जल्द ही हमें एनबीएफसी का परमिशन मिल जाएगा. इसके बाद यह एप पूरी तरह से तैयार होगा.
2 से 3 महीने बाद प्ले स्टोर में होगा उपलब्ध : प्रत्यूष ने बताया कि अभी हम यह एप दोस्तों के बीच इस्तेमाल कर रहे हैं. इसकी पायलट टेस्टिंग पूरी हो चुकी है. फिलहाल इसकी बीटा टेस्टिंग चल रही है. जो आखिरी चरण में है. एप सफलतापूर्वक काम कर रहा है. कुछ परमिशन और आखिरी चरण की प्रक्रिया बची है जिसके बाद आने वाले लगभग दो से तीन महीने में यह एप किसी भी आम व्यक्ति के लिए गूगल प्ले स्टोर, एप्पल स्टोर और अन्य प्लेटफार्म पर उपलब्ध होगा. जहां से लोग इसे डाउनलोड कर आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं.