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Pali Tanakhar Assembly Seat: पाली तानाखार कांग्रेस की पारंपरिक सीट लेकिन गोंगपा का बड़ा जनाधार, तीसरे पोजीशन पर रहती है भाजपा

Pali Tanakhar Assembly Seat छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव है. ETV भारत छत्तीसगढ़ विधानसभा की हर सीट की जानकारी दे रहा है. हम इस सीरीज में विधानसभा सीट की अहमियत, वीआईपी प्रत्याशी, क्षेत्रीय मुद्दे की जानकारी दे रहे हैं. आइए नजर डालते हैं पाली तानाखार विधानसभा सीट पर. यहां आदिवासी वोटर अपने नेता को चुनता है. Chhattisgarh Election 2023

Pali Tanakhar Assembly Seat
पाली तानाखार
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Published : Aug 22, 2023, 12:15 PM IST

कोरबा: पाली तानाखार सीट वैसे तो कांग्रेस की पारंपरिक सीट कही जा सकती है. लेकिन यहां गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का भी अच्छा खासा जनाधार है. कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा जरूर है. लेकिन आदिवासी उम्मीदवार के लिए आरक्षित इस सीट पर गोंगपा से उन्हें टक्कर मिलती रही है. जबकि राष्ट्रीय पार्टी होने के बाद भी भाजपा इस सीट पर गोंगपा से पिछड़कर तीसरे स्थान पर खिसक जाती है. पिछले चुनाव में गोंगपा के सुप्रीमो हीरा सिंह मरकाम ने यहां से चुनाव लड़ा और हर बार की तरह वह दूसरे स्थान पर रहे. वह कांग्रेस के मोहित केरकेट्टा से सिर्फ 9000 के करीब वोटों से ही पिछड़े थे. जबकि भाजपा के मुकाबले उन्हें 24000 से अधिक मत मिले थे. लेकिन इस बार हीरा सिंह मरकाम नहीं हैं. संभावना है कि उनके बेटे तुलेश्वर यहां से गोंगपा पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ेंगे. तो दूसरी तरफ भाजपा और कांग्रेस ने अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं.

पाली तानाखार विधानसभा में वोटर्स की संख्या: इस बार के विधानसभा चुनाव में कल 205961 मतदाता उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे. महिला और पुरुषों की वोटर की संख्या में भी पाली तानाखार में ज्यादा अंतर नहीं है. महिला वोटर की संख्या 101146 है. पुरुष मतदाताओं की संख्या 104805 है. ट्रांसजेंडर 10 है. पुरुष मतदाताओं की संख्या 3659 ज्यादा है.


पाली तानाखार विधानसभा के मुद्दे: जल, जंगल और जमीन के लिए प्रख्यात पाली तानाखार विधानसभा एक आरक्षित सीट है. जहां 75 फीसदी आबादी आदिवासियों की है. कई क्षेत्र काफी दुर्गम हैं. जहां तक डुबान को पारकर नाव के जरिए पहुंचना पड़ता है. स्कूलों में शिक्षकों की कमी है. इस क्षेत्र के शिक्षक अपना ट्रांसफर करवाकर शहर के नजदीक चले जाते हैं. कुछ गांव अत्यधिक फ्लोराइड प्रभावित हैं. जो करोड़ों खर्च करने के बाद भी ग्रामीणों के लिए नासूर बना हुआ है. पेयजल में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने के कारण ग्रामीणों के हाथ पांव टेढ़े मेढ़े हो चुके हैं.

पाली तानाखार विधानसभा की समस्याएं: पसान और केंदई के आसपास हाथियों ने दहशत कायम कर रखी है. क्षेत्र में लगातार हाथी घूमघूम कर फसल और लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत समस्याएं पाली तानाखार में बरकरार है. क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रदेश का सबसे बड़ा विकासखंड पोड़ी उपरोड़ा इसी विधानसभा में है. लेकिन आजादी के 76 साल बाद भी उच्च शिक्षा की दृष्टि से पाली तानाखार को ज्यादा कुछ नहीं मिला है. पाली में कॉलेज है, लेकिन इसके विपरीत दिशा जटगा में 4 साल पहले कॉलेज शुरू तो हुआ. लेकिन अब तक इसे अपना भवन नहीं मिल सकहै. कॉलेज का संचालन स्कूल की बिल्डिंग में होता है. पर्याप्त संसाधन और प्रोफेसर भी नहीं हैं.

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पाली तानाखार में 2018 में चुनाव की स्थिति: साल 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां से जीत दर्ज की. दूसरे नंबर पर यहां गोंगपा रही. कांग्रेस के मोहित केरकेट्टा को कुल 66971 वोट मिले. उनका वोट प्रतिशत 39 रहा. गोंगपा के हीरासिंह मरकाम को 57315 वोट मिले. इनका मतदात प्रतिशत 33 था. भाजपा के रामदयाल उइके को 32155 वोट मिले. इन्हें सिर्फ 19 प्रतिशत वोट मिले. मोहितराम केरकेट्टा ने 9656 वोटों से जीत दर्ज की. कुल वोट प्रतिशत 74.92 था.

रामदयाल ने मारी पलटी तो केरकेट्टा का भाग्य खुला : विधानसभा चुनाव 2018 में पाली तानाखर में नाटकीय घटनाक्रम हुए थे. कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष और पाली तानाखार से कांग्रेस 3 बार के विधायक रामदयाल उईके ने चुनाव के ठीक पहले भाजपा प्रवेश कर लिया. भाजपा प्रवेश के साथ ही उन्हें पाली तानाखार से ही टिकट भी मिला. इधर कांग्रेस ने आखिरी समय में मोहित राम केरकेट्टा को टिकट दिया. उईके के पलटी मारने से केरकेट्टा का भाग्य खुल गया. केरकेट्टा ने चुनाव जीता. उन्हें चुनाव में 66971 वोट मिले. दूसरे नंबर पर गोंगपा के हीरा सिंह मरकाम रहे. जिन्हें 57315 वोट मिले. जबकि रामदयाल उइके भाजपा से चुनाव लड़ने के बाद तीसरे स्थान पर पहुंच गए. उन्हें 32155 वोट ही मिल सके.

आदिवासी तय करते हैं जीत :पाली तानाखार क्षेत्र जिले का सबसे अंतिम छोर है. ज्यादातर आबादी वनांचल और ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है. जिसके कारण आदिवासी ही इस सीट पर जीत और हार का अंतर तय करते हैं. 75 फीसदी से ज्यादा आबादी आदिवासियों की है. इसके कारण ही यह सीट आदिवासी उम्मीदवार के लिए आरक्षित है. आदिवासी वोटर ही एक आदिवासी नेता को चुनते हैं. वही जीत और हार तय करते हैं.

कोरबा: पाली तानाखार सीट वैसे तो कांग्रेस की पारंपरिक सीट कही जा सकती है. लेकिन यहां गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का भी अच्छा खासा जनाधार है. कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा जरूर है. लेकिन आदिवासी उम्मीदवार के लिए आरक्षित इस सीट पर गोंगपा से उन्हें टक्कर मिलती रही है. जबकि राष्ट्रीय पार्टी होने के बाद भी भाजपा इस सीट पर गोंगपा से पिछड़कर तीसरे स्थान पर खिसक जाती है. पिछले चुनाव में गोंगपा के सुप्रीमो हीरा सिंह मरकाम ने यहां से चुनाव लड़ा और हर बार की तरह वह दूसरे स्थान पर रहे. वह कांग्रेस के मोहित केरकेट्टा से सिर्फ 9000 के करीब वोटों से ही पिछड़े थे. जबकि भाजपा के मुकाबले उन्हें 24000 से अधिक मत मिले थे. लेकिन इस बार हीरा सिंह मरकाम नहीं हैं. संभावना है कि उनके बेटे तुलेश्वर यहां से गोंगपा पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ेंगे. तो दूसरी तरफ भाजपा और कांग्रेस ने अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं.

पाली तानाखार विधानसभा में वोटर्स की संख्या: इस बार के विधानसभा चुनाव में कल 205961 मतदाता उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे. महिला और पुरुषों की वोटर की संख्या में भी पाली तानाखार में ज्यादा अंतर नहीं है. महिला वोटर की संख्या 101146 है. पुरुष मतदाताओं की संख्या 104805 है. ट्रांसजेंडर 10 है. पुरुष मतदाताओं की संख्या 3659 ज्यादा है.


पाली तानाखार विधानसभा के मुद्दे: जल, जंगल और जमीन के लिए प्रख्यात पाली तानाखार विधानसभा एक आरक्षित सीट है. जहां 75 फीसदी आबादी आदिवासियों की है. कई क्षेत्र काफी दुर्गम हैं. जहां तक डुबान को पारकर नाव के जरिए पहुंचना पड़ता है. स्कूलों में शिक्षकों की कमी है. इस क्षेत्र के शिक्षक अपना ट्रांसफर करवाकर शहर के नजदीक चले जाते हैं. कुछ गांव अत्यधिक फ्लोराइड प्रभावित हैं. जो करोड़ों खर्च करने के बाद भी ग्रामीणों के लिए नासूर बना हुआ है. पेयजल में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने के कारण ग्रामीणों के हाथ पांव टेढ़े मेढ़े हो चुके हैं.

पाली तानाखार विधानसभा की समस्याएं: पसान और केंदई के आसपास हाथियों ने दहशत कायम कर रखी है. क्षेत्र में लगातार हाथी घूमघूम कर फसल और लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत समस्याएं पाली तानाखार में बरकरार है. क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रदेश का सबसे बड़ा विकासखंड पोड़ी उपरोड़ा इसी विधानसभा में है. लेकिन आजादी के 76 साल बाद भी उच्च शिक्षा की दृष्टि से पाली तानाखार को ज्यादा कुछ नहीं मिला है. पाली में कॉलेज है, लेकिन इसके विपरीत दिशा जटगा में 4 साल पहले कॉलेज शुरू तो हुआ. लेकिन अब तक इसे अपना भवन नहीं मिल सकहै. कॉलेज का संचालन स्कूल की बिल्डिंग में होता है. पर्याप्त संसाधन और प्रोफेसर भी नहीं हैं.

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पाली तानाखार में 2018 में चुनाव की स्थिति: साल 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां से जीत दर्ज की. दूसरे नंबर पर यहां गोंगपा रही. कांग्रेस के मोहित केरकेट्टा को कुल 66971 वोट मिले. उनका वोट प्रतिशत 39 रहा. गोंगपा के हीरासिंह मरकाम को 57315 वोट मिले. इनका मतदात प्रतिशत 33 था. भाजपा के रामदयाल उइके को 32155 वोट मिले. इन्हें सिर्फ 19 प्रतिशत वोट मिले. मोहितराम केरकेट्टा ने 9656 वोटों से जीत दर्ज की. कुल वोट प्रतिशत 74.92 था.

रामदयाल ने मारी पलटी तो केरकेट्टा का भाग्य खुला : विधानसभा चुनाव 2018 में पाली तानाखर में नाटकीय घटनाक्रम हुए थे. कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष और पाली तानाखार से कांग्रेस 3 बार के विधायक रामदयाल उईके ने चुनाव के ठीक पहले भाजपा प्रवेश कर लिया. भाजपा प्रवेश के साथ ही उन्हें पाली तानाखार से ही टिकट भी मिला. इधर कांग्रेस ने आखिरी समय में मोहित राम केरकेट्टा को टिकट दिया. उईके के पलटी मारने से केरकेट्टा का भाग्य खुल गया. केरकेट्टा ने चुनाव जीता. उन्हें चुनाव में 66971 वोट मिले. दूसरे नंबर पर गोंगपा के हीरा सिंह मरकाम रहे. जिन्हें 57315 वोट मिले. जबकि रामदयाल उइके भाजपा से चुनाव लड़ने के बाद तीसरे स्थान पर पहुंच गए. उन्हें 32155 वोट ही मिल सके.

आदिवासी तय करते हैं जीत :पाली तानाखार क्षेत्र जिले का सबसे अंतिम छोर है. ज्यादातर आबादी वनांचल और ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है. जिसके कारण आदिवासी ही इस सीट पर जीत और हार का अंतर तय करते हैं. 75 फीसदी से ज्यादा आबादी आदिवासियों की है. इसके कारण ही यह सीट आदिवासी उम्मीदवार के लिए आरक्षित है. आदिवासी वोटर ही एक आदिवासी नेता को चुनते हैं. वही जीत और हार तय करते हैं.

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