कोरबा: राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र यानी कि पहाड़ी कोरवा जनजाति के लोग आज भी विकास की राह देख रहे हैं. कई क्षेत्रों में इन्हें मुख्य धारा से जोड़ा नहीं गया है. हालांकि वक्त के साथ-साथ ये भी समझदार होते जा रहे हैं. यही कारण है कि ये लोग मूलभूत सुविधा न मिलने पर चुनाव बहिष्कार की बात कह रहे हैं.
सालों से मूलभूत सुविधाओं से वंचित है ये क्षेत्र: दरअसल, सालों से उपेक्षा का दंश झेल रहे कोरबा विकासखंड के ग्राम पंचायत केराकछार में रहने वाले कोरवा जनजाति के लोग इस बार चुनाव बहिष्कार की तैयारी कर रहे हैं. केराकछार ग्राम पंचायत क्षेत्र के गांवसरडीह, बगधरीडांड के पहाड़ी कोरवाओं ने इस बार चुनाव बहिष्कार की तैयारी की है. इन्होंने गांव में पाम्पलेट चिपकाए हैं. गांव के प्रवेश द्वार पर एक पोस्टर भी चुनाव बहिष्कार को लेकर लटकाया गया है. ताकि आने-जाने वाले लोगों को यह जानकारी मिले कि पहाड़ी कोरवाओं के इस गांव में बिजली, पानी और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही है. सुविधाएं न मिलने से नाराज कोरवा जनजाति इस बार चुनाव में वोट नहीं डालेंगे.
जनप्रतिनिधियों के दफ्तर का चक्कर काट कर थक चुके हैं. पंचायत के माध्यम से ग्राम सभा में भी समस्याओं को प्रस्तावित किया गया था. लेकिन किसी भी तरह से पहल नहीं हुई. इससे हम पूरी तरह से निराश हैं. ऐसे में हमारे सामने विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने के अलावा कोई भी रास्ता नहीं बचा है.- कोरवा जनजाति की महिला
korwa mass suicide: पहाड़ी कोरवा आत्महत्या मामले में राज्यपाल से मुलाकात करेंगे भाजपा विधायक और सांसद |
Bjp Leader Arrested: जशपुर में पहाड़ी कोरवा महिला से रेप के आरोप में भाजपा नेता गिरफ्तार |
कोरबा में पहाड़ी कोरवा युवती को मिलेगा रोजगार, कलेक्टर ने अधिकारियों को दिए आदेश |
रामपुर विधानसभा क्षेत्र का मामला:ये पूरा मामला जिले के विकासखंड कोरबा और रामपुर विधानसभा क्षेत्र का है. रामपुर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत केराकछार के आश्रित गांव सरडीह, बगधरीडांड के अलावा खुर्रीभौना सहित आधे दर्जन ऐसे गांव हैं, जहां पहाड़ी कोरवा जनजाति परिवार रहते हैं. ये जनजाति भले ही राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र कहलाता हो. हालांकि इन लोगों के पास अभी भी पानी, बिजली और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. पहाड़ी कोरवा और कुछ अन्य जनजाति के परिवार ढोढ़ी यानी कि जमीन में गड्ढा खोदकर पानी का उपयोग करते हैं.
पानी, बिजली सड़क और मोबाइल टावर की हमें सबसे ज्यादा जरूरत है. जरूरत के समय किसी को फोन लगाना हो तो हमें पहाड़ के ऊपर चढ़ना पड़ता है. बड़ी मुश्किल से मोबाइल का टावर आता है. सरकार अब जब हमारी नहीं सुन रही है तो हमने चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला लिया है.-संतोष, पहाड़ी कोरवा, सरडीह गांव के निवासी
ग्रामीणों को निर्वाचन से जोड़ने का करेंगे प्रयास: इस बारे में जिला पंचायत के सीईओ और जिला मतदाता जागरूकता कार्यक्रम के नोडल अधिकारी विश्व दीपक त्रिपाठी ने कहा है कि "हमें मामले की जानकारी मिली है. हम गांव जाकर ग्रामीणों की समस्याओं को समझने की कोशिश करेंगे. हमारी पूरी कोशिश रहेगी कि हम ग्रामीणों को निर्वाचन काम से जोड़ें."
बिजली की समस्या बड़ी समस्या: कहने को तो ये समाज ऊर्जाधानी में रहते हैं. हालांकि इन्हें बिजली नसीब नहीं है. बिजली ही उनके लिए सबसे बड़ी समस्या है. बीहड़ वनांचल में रहने वाले इन आदिवासियों को सर्दी, गर्मी और बारिश के ही मौसम में पगडंडियों से होकर ही मुख्य मार्ग तक पहुंचना पड़ता है.