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Importance of Election Songs In Chhattisgarh: प्रचार में चुनावी गानों की अहमियत , जानिए कैसे होते हैं तैयार ?

Importance of Election Songs In Chhattisgarh भारत में चुनाव किसी बड़े उत्सव से कम नहीं होता. भारत का चुनावी दंगल दुनिया में सबसे बड़ा चुनाव माना जाता है. चुनाव के दौरान जहां प्रत्याशी और राजनीतिक दल लोगों को अपनी ओर खींचने में कोई कसर नहीं छोड़ते वहीं दूसरी तरफ इस दौरान कई लोगों को आजीविका भी चलती है. लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव के दौरान गीतों से मतदाताओं तक अपना संदेश प्रत्याशी पहुंचाते हैं. आज हम जानेंगे ये गीत बनते कैसे हैं.chhattisgarh Election 2023

Importance of Election Songs In Chhattisgarh
विधानसभा चुनाव के दौरान चुनावी गाने डालते हैं बड़ा असर
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 28, 2023, 3:56 PM IST

Updated : Sep 28, 2023, 7:15 PM IST

प्रचार में चुनावी गानों की अहमियत

कोरबा : छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव का ऐलान होना बाकी है.फिर भी कुछ राजनीतिक दलों ने कुछ सीटों पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है.ऐसे में प्रत्याशी चुनावी माहौल तैयार करने में जुट चुके हैं. विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी मतदाताओं के बीच लोकप्रिय होने के लिए कई तरह के जतन करते हैं.जिनमें ऑडियो सॉग भी एक माध्यम है.ऐसा माना जाता है कि सुरीला संगीत यदि कानों में सुनाई दे तो हमारी यादों में बस जाता है.लिहाजा प्रत्याशी भी अपनी पार्टी और अपने नाम का गाना बनवाकर उसे चुनाव प्रचार में इस्तेमाल करते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि चुनावी गाने कैसे बनते हैं और कौन इन्हें बनाता है.


कैसे बनते हैं चुनावी गाने ? : चुनावी गानों को दो तरह से तैयार किया जाता है.पहला होता है किसी फिल्मी धुन पर प्रत्याशी और उनकी पार्टी का नाम जोड़कर गाना तैयार करना.और दूसरा प्रत्याशी की डिमांड पर नई धुन बनाकर उस गाने को कंपोज करना.इन दोनों तरीकों में फर्क ये होता है कि जहां पहले से ही मौजूद ट्रैक पर गाना बनाकर रिकॉर्ड करना आसान है,वहींं नई धुन बनाकर उसे सजाना थोड़ा देर वाला काम है. कोरबा में ऐसे कई कलाकार हैं, जो खुद गाना लिखते हैं. गाते हैं और इंस्ट्रूमेंट के जरिए इसे स्टूडियो में जाकर रिकॉर्ड करते हैं.

स्टूडियो में रिकॉर्ड होते हैं चुनावी गाने : कोरबा के पावर हाउस रोड के पास मौजूद स्टूडियो में पिछले दो दशक से रिकॉर्डिंग का काम हो रहा है. चुनाव के मौसम में चुनावी गीतों का काम भी स्टूडियो में आने लगा है. आर्टिस्ट यहां पहुंचकर गाने रिकॉर्ड कर रहे हैं. नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में प्रत्याशियों की संख्या अधिक रहती है.जिसमें काम ज्यादा रहता है.जबकि विधानसभा में इनकी संख्या कम होती है. बावजूद इसके चुनावी गीत बनवाने वाले प्रत्याशियों की कमी नहीं है.इन दिनों इस स्टूडियो में गाना रिकॉर्डिंग का काम चल रहा है.


शौक के लिए गाना तैयार करते हैं कलाकार : स्थानीय कलाकारों के लिए कई बार अपनी आजीविका चलाना मुश्किल हो जाता है. इसलिए वो शौकिया तौर पर चुनावी गाने बनाने का काम करते हैं.लेकिन उनका जीवन सिर्फ इसी पर निर्भर नहीं रहता.ऐसे ही एक कलाकार है पामगढ़ के भगत गुलेरी.जो पेशे से वकील हैं.भगत इन दिनों कोरबा के स्टूडियो में आकर अपना गाना रिकॉर्ड कर रहे हैं. भगत के मुताबिक वकील होने के साथ वो आर्केस्ट्रा पार्टी भी चलाते हैं. कई बार एक रात के आयोजन के लिए 80 हजार तक भी चार्ज करते हैं.

चुनावी गानों को रिकॉर्ड करने में काफी मेहनत लगती है. अगर गाना ट्रैक पर रिकॉर्ड करना हो तब तो आसानी से हो जाता है. लेकिन भगत अक्सर पूरी तरह से नई धुन पर नए गाने बनाते हैं. उन्हें खुद ही लिखते हैं और फिर इंस्ट्रूमेंट के जरिए कोरबा आकर रिकॉर्ड करते हैं. कई विधानसभा चुनाव बीत गए अलग-अलग प्रत्याशियों के लिए भगत ने गीत बनाए हैं.अभी विधानसभा में ज्यादातर प्रत्याशियों के घोषणा नहीं हुई है.इसलिए काम का लोड कम है.

''कई बार तो 10 मिनट में भी गाना रिकॉर्ड हो जाता है. लेकिन जब इंस्ट्रूमेंट के साथ रिकॉर्ड करना हो, बात नहीं बनती. संतुष्टि ना मिले, तब रात रात भर रिकॉर्डिंग चलती है. एक गाना बनाने में काफी मेहनत लगता है '' भगत गुलेरी, कलाकार

भगत की माने तो गाना बनाने में 2 से लेकर 5 हजार तक का खर्च आता है.जो लोग गाना बनवाते हैं वो ज्यादातर परिचित ही होते हैं.इसलिए वो कभी भी पैसों की डिमांड नहीं करते.भगत कभी भी गाना रिकॉर्डिंग के लिए आने जाने का खर्च नहीं मांगते.


कितनी है गाना रिकॉर्ड करने की कीमत : जिस तरह से म्यूजिक डायरेक्टर किसी गानों को बनाते और रिकॉर्ड करते हैं इस तरह का एक स्टूडियो कोरबा है अभी स्टूडियो कोई है लेकिन पावर हाउस रोड स्थित स्टूडियो लंबे समय से संचालित है. यहां के रिकॉर्डिस्ट देव प्रसाद राठौर हैं.देव प्रसाद की माने तो चुनाव के मौसम में लोड थोड़ा बढ़ता है. यदि कलाकार अपने इंस्ट्रूमेंट के साथ आते हैं. तब हम उन्हें संगीत रिकॉर्ड करके गाना बना कर दे देते हैं. किसी के पास इंस्ट्रुमेंट नहीं है तो हम उन्हें गानों की धुन के अनुसार ट्रैक उपलब्ध कराते हैं.

'' ट्रैक पर गाने रिकॉर्ड करना आसान होता है. इसके लिए 2000 से 3000 तक चार्ज करते हैं. जबकि इंस्ट्रूमेंट के साथ गाने रिकॉर्डिंग करने की प्रक्रिया थोड़ी जटिल है. इसके लिए थोड़े ज्यादा पैसे लग जाते हैं. चुनावी मौसम में हमारे पास कॉल आ रहे हैं. कई जिलों से लोग हमारे स्टूडियो में गाने रिकॉर्ड करवाने आते हैं.''देव प्रसाद राठौर,स्टूडियो संचालक

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बिन गानों के चुनाव प्रचार अधूरा : बिना गाजे बाजे और संगीत के चुनाव प्रचार अधूरा होता है.इसलिए हर प्रत्याशी अपने चुनाव प्रचार में गानों का इस्तेमाल करता है. प्रत्याशी अपने हैसियत के हिसाब के कलाकार चुनकर अपने गीतों को तैयार करवाता है.बड़े कलाकार जहां चुनावी गीत बनाने और गाने के लिए अधिक चार्ज करते हैं.वहीं स्थानीय और छोटे कलाकार एक गाने को 10 हजार रुपए में बनाकर दे देते हैं.इससे कई लोगों की आजीविका भी चलती है.इन गानों को बनाने और तैयार करने वालों की खासियत ये है कि भले ही गाना चुनावी हो.लेकिन इसे तैयार करने में वो मेहनत में जरा भी कमी नहीं करते.

प्रचार में चुनावी गानों की अहमियत

कोरबा : छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव का ऐलान होना बाकी है.फिर भी कुछ राजनीतिक दलों ने कुछ सीटों पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है.ऐसे में प्रत्याशी चुनावी माहौल तैयार करने में जुट चुके हैं. विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी मतदाताओं के बीच लोकप्रिय होने के लिए कई तरह के जतन करते हैं.जिनमें ऑडियो सॉग भी एक माध्यम है.ऐसा माना जाता है कि सुरीला संगीत यदि कानों में सुनाई दे तो हमारी यादों में बस जाता है.लिहाजा प्रत्याशी भी अपनी पार्टी और अपने नाम का गाना बनवाकर उसे चुनाव प्रचार में इस्तेमाल करते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि चुनावी गाने कैसे बनते हैं और कौन इन्हें बनाता है.


कैसे बनते हैं चुनावी गाने ? : चुनावी गानों को दो तरह से तैयार किया जाता है.पहला होता है किसी फिल्मी धुन पर प्रत्याशी और उनकी पार्टी का नाम जोड़कर गाना तैयार करना.और दूसरा प्रत्याशी की डिमांड पर नई धुन बनाकर उस गाने को कंपोज करना.इन दोनों तरीकों में फर्क ये होता है कि जहां पहले से ही मौजूद ट्रैक पर गाना बनाकर रिकॉर्ड करना आसान है,वहींं नई धुन बनाकर उसे सजाना थोड़ा देर वाला काम है. कोरबा में ऐसे कई कलाकार हैं, जो खुद गाना लिखते हैं. गाते हैं और इंस्ट्रूमेंट के जरिए इसे स्टूडियो में जाकर रिकॉर्ड करते हैं.

स्टूडियो में रिकॉर्ड होते हैं चुनावी गाने : कोरबा के पावर हाउस रोड के पास मौजूद स्टूडियो में पिछले दो दशक से रिकॉर्डिंग का काम हो रहा है. चुनाव के मौसम में चुनावी गीतों का काम भी स्टूडियो में आने लगा है. आर्टिस्ट यहां पहुंचकर गाने रिकॉर्ड कर रहे हैं. नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में प्रत्याशियों की संख्या अधिक रहती है.जिसमें काम ज्यादा रहता है.जबकि विधानसभा में इनकी संख्या कम होती है. बावजूद इसके चुनावी गीत बनवाने वाले प्रत्याशियों की कमी नहीं है.इन दिनों इस स्टूडियो में गाना रिकॉर्डिंग का काम चल रहा है.


शौक के लिए गाना तैयार करते हैं कलाकार : स्थानीय कलाकारों के लिए कई बार अपनी आजीविका चलाना मुश्किल हो जाता है. इसलिए वो शौकिया तौर पर चुनावी गाने बनाने का काम करते हैं.लेकिन उनका जीवन सिर्फ इसी पर निर्भर नहीं रहता.ऐसे ही एक कलाकार है पामगढ़ के भगत गुलेरी.जो पेशे से वकील हैं.भगत इन दिनों कोरबा के स्टूडियो में आकर अपना गाना रिकॉर्ड कर रहे हैं. भगत के मुताबिक वकील होने के साथ वो आर्केस्ट्रा पार्टी भी चलाते हैं. कई बार एक रात के आयोजन के लिए 80 हजार तक भी चार्ज करते हैं.

चुनावी गानों को रिकॉर्ड करने में काफी मेहनत लगती है. अगर गाना ट्रैक पर रिकॉर्ड करना हो तब तो आसानी से हो जाता है. लेकिन भगत अक्सर पूरी तरह से नई धुन पर नए गाने बनाते हैं. उन्हें खुद ही लिखते हैं और फिर इंस्ट्रूमेंट के जरिए कोरबा आकर रिकॉर्ड करते हैं. कई विधानसभा चुनाव बीत गए अलग-अलग प्रत्याशियों के लिए भगत ने गीत बनाए हैं.अभी विधानसभा में ज्यादातर प्रत्याशियों के घोषणा नहीं हुई है.इसलिए काम का लोड कम है.

''कई बार तो 10 मिनट में भी गाना रिकॉर्ड हो जाता है. लेकिन जब इंस्ट्रूमेंट के साथ रिकॉर्ड करना हो, बात नहीं बनती. संतुष्टि ना मिले, तब रात रात भर रिकॉर्डिंग चलती है. एक गाना बनाने में काफी मेहनत लगता है '' भगत गुलेरी, कलाकार

भगत की माने तो गाना बनाने में 2 से लेकर 5 हजार तक का खर्च आता है.जो लोग गाना बनवाते हैं वो ज्यादातर परिचित ही होते हैं.इसलिए वो कभी भी पैसों की डिमांड नहीं करते.भगत कभी भी गाना रिकॉर्डिंग के लिए आने जाने का खर्च नहीं मांगते.


कितनी है गाना रिकॉर्ड करने की कीमत : जिस तरह से म्यूजिक डायरेक्टर किसी गानों को बनाते और रिकॉर्ड करते हैं इस तरह का एक स्टूडियो कोरबा है अभी स्टूडियो कोई है लेकिन पावर हाउस रोड स्थित स्टूडियो लंबे समय से संचालित है. यहां के रिकॉर्डिस्ट देव प्रसाद राठौर हैं.देव प्रसाद की माने तो चुनाव के मौसम में लोड थोड़ा बढ़ता है. यदि कलाकार अपने इंस्ट्रूमेंट के साथ आते हैं. तब हम उन्हें संगीत रिकॉर्ड करके गाना बना कर दे देते हैं. किसी के पास इंस्ट्रुमेंट नहीं है तो हम उन्हें गानों की धुन के अनुसार ट्रैक उपलब्ध कराते हैं.

'' ट्रैक पर गाने रिकॉर्ड करना आसान होता है. इसके लिए 2000 से 3000 तक चार्ज करते हैं. जबकि इंस्ट्रूमेंट के साथ गाने रिकॉर्डिंग करने की प्रक्रिया थोड़ी जटिल है. इसके लिए थोड़े ज्यादा पैसे लग जाते हैं. चुनावी मौसम में हमारे पास कॉल आ रहे हैं. कई जिलों से लोग हमारे स्टूडियो में गाने रिकॉर्ड करवाने आते हैं.''देव प्रसाद राठौर,स्टूडियो संचालक

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Last Updated : Sep 28, 2023, 7:15 PM IST
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