कोरबा: . एनटीपीसी ने 30 मेगावाट का सोलर पावर प्लांट लगाने का खाका तैयार कर लिया है. यह पहला अवसर है, जब छत्तीसगढ़ में किसी स्थान पर बिजली उत्पादन के लिए सोलर पावर प्लांट की नींव रखी जाएगी. एनटीपीसी के कार्यपालक निदेशक (ईडी, Executive Director) ने इसकी जानकारी दी है. उन्होंने कहा है कि इसके लिए स्थल का चयन भी कर लिया गया है. जल्द ही जिले में सोलर पावर प्लांट को फाइनल रूप दिया जा रहा है.
2032 तक 50 फीसदी बिजली को रिन्यूएबल करने का लक्ष्य : ग्रीन एनर्जी पर बात करते हुए एनटीपीसी के नवपदस्थ ईडी बी रामचंद्र राव ने कंपनी के प्रयासों की जानकारी दी. राव ने कहा कि "कोयले पर निर्भरता कम करने केंद्र सरकार ने ग्रीन एनर्जी पर फोकस किया है. एनटीपीसी का लक्ष्य है कि साल 2032 तक देश भर में बिजली उत्पादन के 50 फीसदी भाग को रिन्यूएबल किया जाए. इसका मतलब यह हुआ कि 50 फ़ीसदी बिजली का उत्पादन ग्रीन एनर्जी, सोलर पावर प्लांट के जरिए होगा. कोरबा जिले में भी इसकी कार्ययोजना लगभग तैयार कर ली गई है. अब इसे अमल में ला रहे हैं. कोरबा जिले में 30 मेगावाट का एक सोलर पावर प्लांट स्थापित किया जाएगा, जिसकी तैयारी शुरू की जा चुकी है."
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राख का उत्सर्जन होगा कम : कोयला आधारित पावर प्लांट से बिजली उत्पादन के दौरान उत्सर्जित राख एक बड़ी समस्या होती है. केंद्र सरकार के जलवायु एवं पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से इसके शत-प्रतिशत यूटिलाइजेशन के निर्देश हैं. लेकिन एनटीपीसी में फिलहाल 60 से 70 फीसदी ही यूटिलाइजेशन किया जाना संभव हो सका है. सोलर पावर प्लांट के अस्तित्व में आते ही राख की समस्या का भी समाधान होगा. बी रामचंद्र राव ने कहा कि "राख की उपयोगिता शत प्रतिशत नहीं होने के कारण विस्तार परियोजना में भी विलंब हो रहा है. वर्तमान में राख खपत 62.75 प्रतिशत है. इसे और बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है."
बिल्डिंग की छतों पर डेढ़ मेगावाट का प्लांट: एनटीपीसी ने न सिर्फ 30 मेगावाट के सोलर पावर प्लांट स्थापना की बात कही बल्कि यह भी कहा कि "अलग-अलग बिल्डिंग में वहां उपलब्ध स्थान के आधार पर एनटीपीसी 1.50 मेगावाट का द्वारा इसे भी बढ़ावा दिया जाएगा. जल्द ही इस दिशा में भी कार्य शुरू किए जाएंगे. लोग अपने घर की छत पर भी एक पोर्टेबल पावर प्लांट लगा सकते हैं."