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Farmers Waiting For Rain In Korba : बारिश की बेरुखी से बढ़ी किसानों की चिंता, आधे किसानों ने ही खेतों में लगाया रोपा - Farmers Waiting For Rain In Korba

Korba News हम जिस अनाज को रोजाना खाने में इस्तेमाल करते हैं,उसे हमारी थाली तक लाने में जिनका सबसे बड़ा योगदान है वो किसान हैं. किसानों की मेहनत और धैर्य के कारण ही हमें और आपको अन्न का दाना नसीब होता है.ऐसे में किसानों के लिए फसल ही उनका जीवन है.लेकिन छत्तीसगढ़ के कई इलाके इस बार मानसून में सूखे हैं.ऐसे में किसानों का जीवन संकट में है.Rain In Korba

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बारिश की बेरूखी से बढ़ी किसानों की चिंता
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Published : Jul 24, 2023, 2:22 PM IST

बारिश की बेरूखी से बढ़ी किसानों की चिंता

कोरबा : मानसून का इंतजार किसानों को रहता है. किसानी भाषा में इसे खरीफ सीजन कहते हैं.इस सीजन में किसान अपने खेतों को फसल के लिए तैयार करते हैं.क्योंकि बारिश के कारण कुदरती पानी में उनकी पैदावार काफी अच्छी होती है.जुलाई के आखिर तक किसान अपने खेतों में रोपाई का काम करते हैं.लेकिन छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में बारिश उम्मीद के मुताबिक नहीं हुई.जिसके कारण किसान रोपाई का काम पूरा नहीं कर सके हैं.जुलाई का महीना खत्म होने को है.बात यदि कोरबा जिले की करें तो कृषि विभाग ने जो आंकड़ें दिए हैं वो चौकाने वाले हैं.क्योंकि जिले में अब तक महज 55 फीसदी ही बुआई हो पाई है.बाकी के किसान बारिश के इंतजार में है.अब यदि बारिश नहीं हुई तो किसान शायद ही बोनी करें.इसलिए जुलाई के आखिरी 8 दिन काफी महत्वपूर्ण है.


पानी नहीं गिरने से किसान परेशान : कोरबा के रिसडी और आसपास के गांव में भी किसान खेती किसानी करते हैं. किसान संतराम कंवर के मुताबिक इस साल काफी मुश्किल हो रही है. बरसात थोड़ी कम हुई है. जिसके कारण रोपा का काम नहीं हो पाया है.नर्सरी तैयार करने के बाद खेतों की जुताई कर ली गई है.रोपा भी तैयार है.लेकिन जब तक खेतों में पर्याप्त पानी नहीं आ जाता तब तक रोपा नहीं लगेगा.यदि आने वाले दिनों में भी बारिश नहीं हुई तो धान की पैदावार घट जाएगी. सुबह से लेकर शाम तक कीचड़ में डूबकर फसल तैयार करने वाले लगभग सभी किसानों की हालत ऐसे ही है. किसान रामकुमार ने भी अपने खेत के बारे में जानकारी साझा की.

''अभी मैं रोपा लगाने के लिए खेत तैयार कर रहा हूं. खेत में जो घास और अनचाहे पौधे उग गए हैं। वह निकालना होता है, यदि उन्हें नहीं हटाया तो वह धान की फसल को बढ़ने से रोकते हैं. खेतों की जुताई ट्रैक्टर से पूरी कर ली है. हमारे परिवार के पास 4 से 5 एकड़ खेत हैं. पिछले साल 10 क्विंटल धान उगा लिया था. इसमें से कुछ हम मंडी में बेच आते हैं, तो कुछ अपने खाने के लिए रख लेते हैं.'' रामकुमार,किसान

किसान रामकुमार की माने तो इस बार सब कुछ बरसात पर निर्भर है. हमारी पूरी तैयारी हो चुकी है. बस बरसात का इंतजार है. जिस खेत की जुताई की है, वहां रोपा लगाएंगे. इसके बाद अक्टूबर में फसल कटेगी.तब तक फसल की रखवाली करनी होती है.खाद और समय-समय पर पानी देकर फसल तैयार करनी होती है.थोड़ी भी मेहनत कम हुई तो फसल कम होगी.

क्या है खेती का हाल : इस साल खेती किसानी की बात करें तो पिछले साल की तुलना में पिछड़ चुकी है. बीते साल की अपेक्षा 296.5 मिमी वर्षा कम हुई है. खेती के लिए वर्तमान में सामान्य 2945.89 मिमी बारिश की जरूरत है. रोपा खेती के अनुरूप वर्षा नहीं होने से जिन किसानों ने थरहा तैयार किया था.वो सभी अब परेशान है. रुक-रुक हो रही बारिश से खेतों में तो पानी भर गया है.लेकिन सिंचाई के संसाधन छोटे तालाबों में अभी तक भराव नहीं हुआ है. पिछड़ती खेती से जारी खरीफ फसल में अधिकांश किसानों ने खेतों में सूखा बोआई की है.

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कितनी हुई है बारिश : अब तक हुई वर्षा का तहसीलवार आकलन करें तो सबसे अधिक वर्षा 364.4 मिलीमीटर दर्री में हुई है. वहीं सबसे कम 167.0 मिमी वर्षा हरदीबजार में दर्ज किया गया है. जिला कृषि विभाग ने जारी खरीफ वर्ष में 1 लाख 34 हजार 9490 हेक्टेयर में धान फसल का लक्ष्य रखा है. इसमे 73 हजार, मतलब 55 प्रतिशत किसानों ने बोआई या रोपा कर लिया है.

बारिश की बेरूखी से बढ़ी किसानों की चिंता

कोरबा : मानसून का इंतजार किसानों को रहता है. किसानी भाषा में इसे खरीफ सीजन कहते हैं.इस सीजन में किसान अपने खेतों को फसल के लिए तैयार करते हैं.क्योंकि बारिश के कारण कुदरती पानी में उनकी पैदावार काफी अच्छी होती है.जुलाई के आखिर तक किसान अपने खेतों में रोपाई का काम करते हैं.लेकिन छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में बारिश उम्मीद के मुताबिक नहीं हुई.जिसके कारण किसान रोपाई का काम पूरा नहीं कर सके हैं.जुलाई का महीना खत्म होने को है.बात यदि कोरबा जिले की करें तो कृषि विभाग ने जो आंकड़ें दिए हैं वो चौकाने वाले हैं.क्योंकि जिले में अब तक महज 55 फीसदी ही बुआई हो पाई है.बाकी के किसान बारिश के इंतजार में है.अब यदि बारिश नहीं हुई तो किसान शायद ही बोनी करें.इसलिए जुलाई के आखिरी 8 दिन काफी महत्वपूर्ण है.


पानी नहीं गिरने से किसान परेशान : कोरबा के रिसडी और आसपास के गांव में भी किसान खेती किसानी करते हैं. किसान संतराम कंवर के मुताबिक इस साल काफी मुश्किल हो रही है. बरसात थोड़ी कम हुई है. जिसके कारण रोपा का काम नहीं हो पाया है.नर्सरी तैयार करने के बाद खेतों की जुताई कर ली गई है.रोपा भी तैयार है.लेकिन जब तक खेतों में पर्याप्त पानी नहीं आ जाता तब तक रोपा नहीं लगेगा.यदि आने वाले दिनों में भी बारिश नहीं हुई तो धान की पैदावार घट जाएगी. सुबह से लेकर शाम तक कीचड़ में डूबकर फसल तैयार करने वाले लगभग सभी किसानों की हालत ऐसे ही है. किसान रामकुमार ने भी अपने खेत के बारे में जानकारी साझा की.

''अभी मैं रोपा लगाने के लिए खेत तैयार कर रहा हूं. खेत में जो घास और अनचाहे पौधे उग गए हैं। वह निकालना होता है, यदि उन्हें नहीं हटाया तो वह धान की फसल को बढ़ने से रोकते हैं. खेतों की जुताई ट्रैक्टर से पूरी कर ली है. हमारे परिवार के पास 4 से 5 एकड़ खेत हैं. पिछले साल 10 क्विंटल धान उगा लिया था. इसमें से कुछ हम मंडी में बेच आते हैं, तो कुछ अपने खाने के लिए रख लेते हैं.'' रामकुमार,किसान

किसान रामकुमार की माने तो इस बार सब कुछ बरसात पर निर्भर है. हमारी पूरी तैयारी हो चुकी है. बस बरसात का इंतजार है. जिस खेत की जुताई की है, वहां रोपा लगाएंगे. इसके बाद अक्टूबर में फसल कटेगी.तब तक फसल की रखवाली करनी होती है.खाद और समय-समय पर पानी देकर फसल तैयार करनी होती है.थोड़ी भी मेहनत कम हुई तो फसल कम होगी.

क्या है खेती का हाल : इस साल खेती किसानी की बात करें तो पिछले साल की तुलना में पिछड़ चुकी है. बीते साल की अपेक्षा 296.5 मिमी वर्षा कम हुई है. खेती के लिए वर्तमान में सामान्य 2945.89 मिमी बारिश की जरूरत है. रोपा खेती के अनुरूप वर्षा नहीं होने से जिन किसानों ने थरहा तैयार किया था.वो सभी अब परेशान है. रुक-रुक हो रही बारिश से खेतों में तो पानी भर गया है.लेकिन सिंचाई के संसाधन छोटे तालाबों में अभी तक भराव नहीं हुआ है. पिछड़ती खेती से जारी खरीफ फसल में अधिकांश किसानों ने खेतों में सूखा बोआई की है.

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कितनी हुई है बारिश : अब तक हुई वर्षा का तहसीलवार आकलन करें तो सबसे अधिक वर्षा 364.4 मिलीमीटर दर्री में हुई है. वहीं सबसे कम 167.0 मिमी वर्षा हरदीबजार में दर्ज किया गया है. जिला कृषि विभाग ने जारी खरीफ वर्ष में 1 लाख 34 हजार 9490 हेक्टेयर में धान फसल का लक्ष्य रखा है. इसमे 73 हजार, मतलब 55 प्रतिशत किसानों ने बोआई या रोपा कर लिया है.

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