कोरबा : रिसदी में संचालित बाल संप्रेषण गृह से चार लड़के फरार हुए हैं. बताया जा रहा है कि साल भर के अंदर लड़कों के फरार होने की ये दूसरी घटना है.जिसके बाद बाल संप्रेषण गृह की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं. रविवार के दिन संप्रेषण गृह से चार लड़के फरार हुए. जिसके बाद इस मामले को गंभीरता से लेते हुए विभाग ने सुरक्षा में तैनात नगर सैनिक को सस्पेंड कर दिया है. वहीं संप्रेषण गृह प्रबंधन को भी नोटिस जारी कर 5 दिनों के भीतर जवाब देने को कहा है.
दो अलग-अलग घटनाओं में बच्चे 6 बच्चे भागे : बाल संप्रेषण गृह से भागने वाले बच्चे चोरी की घटनाओं में संलिप्त थे. फरार 4 लड़कों में से एक को वापस पुलिस ने पकड़ा है. जबकि तीन अब भी फरार हैं.आपको बता दें कि एक साल पहले भी इसी बाल संप्रेषण गृह की सुरक्षा की खामियों का फायदा उठाकर 2 लड़के भागे थे.जिसमें से एक की गिरफ्तारी हुई है. जबकि एक अब भी फरार है.कुल मिलाकर 4 लड़कों की तलाश पुलिस कर रही है.
बदबूदार और जर्जर भवन में संचालित संप्रेषण गृह : जिले में साल 2017 में बाल संप्रेषण की शुरुआत की गई थी. जहां 14 से 18 साल के चोरी या अन्य अपराधों में शामिल गिरफ्तार लड़कों को रखा जाता है. अपराध में सम्मिलित नाबालिग लड़कों के साथ जेल की कैदियों जैसा बर्ताव नहीं किया जाता. यही वजह है कि संप्रेषण गृह में लड़कों को रखकर उनकी मानसिकता को बदलने का प्रयास किया जाता है.लेकिन रिसदी का बाल संप्रेषण गृह इन उद्देश्यों को पूरा करता नहीं दिखता.भवन बेहद जर्जर हालत में है. दीवारों पर सीलन है. बदबूदार कमरों के कारण ही नगर सैनिक दरवाजा खोलकर बैठते थे. जिसके कारण लड़के फरार होने में कामयाब रहे.
नए भवन में शिफ्ट करने के लिए लिखा है पत्र : इस विषय में किशोर न्यायालय बोर्ड के सदस्य रवि खूंटे के मुताबिक वर्तमान संप्रेषण गृह जिस भवन में संचालित है. उसकी हालत बेहद खराब है. इसलिए हमने नए भवन में संचालित करने का प्रस्ताव नगर निगम और जिला प्रशासन को भेजा है.
'' एक भवन कोहड़िया में बनाया भी गया है, लेकिन वह काफी पहुंचविहीन है. इसलिए हम शहर के आसपास ही भवन तलाश कर रहे हैं. मौजूदा मामले में नगर सैनिक को सस्पेंड किया गया है. संप्रेषण गृह प्रबंधन से भी जवाब मांगा गया है.'' रवि खूंटे, सदस्य,किशोर न्यायालय बोर्ड
नाबालिग लड़कों को सुधारने के लिए कानून ने अलग व्यवस्था की है. जिसमें उन्हें जेल के बजाए बाल संप्रेषण गृह भेजा जाता है.जहां पर वे अपनी गलतियों की सजा पाते हैं.साथ ही साथ ऐसे बाल आरोपियों को जीवन में कुछ नया करने के गुर सिखाए जाते हैं. बाल संप्रेषण गृह में ये भी समझाया जाता है कि अपराध के कारण उनके जीवन में कितना बदलाव आ सकता है.इसलिए अपराध की दुनिया से निकलकर एक लक्ष्य लेकर आगे बढ़ें.लेकिन कई लड़कों के ऊपर इन बातों का असर नहीं होता.वो अपराध को ही अपना सबकुछ मानते हैं.लिहाजा वो बाल संप्रेषण गृह से भी आजाद होने के तरीके ढूंढने लगते हैं.