कोरबा: स्वच्छ भारत अभियान को आगे बढ़ाने में जिलेवासी लगातार पिछड़ते जा रहे हैं. शहर में गील कचरा और सूखा कचरा को अलग-अलग रखने के लिए वार्डवासियों को हरे और नीले रंग के डस्टबिन बांटे गए थे, लेकिन अब तक लोग दोनों कचरों को मिला कर ही फेंक रहे हैं. इससे कचरे के निपटारे में खासी समस्या आ रही है.
शहर में अलग-अलग डस्टबिन बांटे अब साल भर से अधिक वक्त हो गया है. घर-घर जाकर कचरा मांगने वाली कम पढ़ी-लिखी दीदी रिहायशी इलाकों को पढ़े-लिखे लोगों को गीला और सूखा कचरा अलग-अलग रखने की सीख देकर-देकर थक चुकी हैं. लेकिन लोग अब भी ये समझ नहीं पा रहे हैं कि गीला और सूखा कचरा अलग-अलग रखना क्यों जरूरी है. लोगों के इस रवैये के चलते कचरा संग्रहण केंद्रों में काम करने वाली स्व-सहायता समूह की महिलाओं को कचरा अलग-अलग करने में खासी मशक्कत करनी पड़ती है.
इसलिए जरूरी है अलग-अलग करना
कोरबा नगर निगम में कुल 19 SLRM सेंटर है. यहां शहर से निकले कचरे का निपटान किया जाता है. पहले की तरह अब डंपिंग यार्ड में कचरा डंप करने की परंपरा खात्म होने को है. स्व-सहायता समूह की महिलाएं घर-घर घर जाकर कचरे का संग्रहण करती हैं और उन्हें SLRM सेंटर लाकर उनका निपटान करती है. सूखे कचरे जैसे की प्लास्टिक या कबाड़ को रिसाइकल किया जाता है. जबकि गीले कचरे को खाद में तब्दील किया जाता है.
कोरबा से रोजाना निकलता है 100 टन कचरा
नगर निगम के 8 जोन में कुल 67 वार्ड हैं. यहां से हर दिन 100 टन कचरा निकलता है. इसे स्व-सहायता समूह की महिलाओं के जरिए SLRM सेंटर तक पहुंचाया जाता है. इतने बड़े पैमाने पर कचरे का संग्रहण और उसका निपटान करना किसी चुनौती से कम नहीं होता. जब गीले और सूखे कचरे को एक साथ मिला दिया जाता है. तब काम और भी मुश्किल हो जाता है.
कार्रवाई में भी ढिलाई
निगम इलाके में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 के लागू होने के बाद से कचरे के संग्रहण में कई मापदंडों का पालन किया जा रहा है. इसके तहत खुले में कचरा फेंकने पर आम नागरिकों पर जुर्माने का भी प्रावधान है. लेकिन नगर पालिक निगम खुले में कचरा फेंकने वालों पर कड़ाई से जुर्माने की कार्रवाई नहीं करता. इसके कारण लोग खुले में भी धड़ल्ले से कचरा फेंक रहे हैं. इससे शहर की सफाई व्यवस्था पर ग्रहण लगा हुआ है.