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कचरे वाली दीदी हैं परेशान, पढ़े-लिखों को भी गीला-सूखा कचरा अलग रखने का नहीं है ज्ञान

कोरबा में स्व-सहायता समूह की महिलाओं के लिए कचरा कलेक्शन और उसके निपटारे में सबसे बड़ा दर्द गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग करने में सामने आ रहा है. शहरवासियों द्वारा कचरे को अलग-अलग कर न फेंकना इसका एक बड़ा कारण है.

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Published : Dec 18, 2019, 7:49 AM IST

गीले-सूखे कचरे को अलग करती महिलाएं.
गीले-सूखे कचरे को अलग करती महिलाएं.

कोरबा: स्वच्छ भारत अभियान को आगे बढ़ाने में जिलेवासी लगातार पिछड़ते जा रहे हैं. शहर में गील कचरा और सूखा कचरा को अलग-अलग रखने के लिए वार्डवासियों को हरे और नीले रंग के डस्टबिन बांटे गए थे, लेकिन अब तक लोग दोनों कचरों को मिला कर ही फेंक रहे हैं. इससे कचरे के निपटारे में खासी समस्या आ रही है.

शहर में अलग-अलग डस्टबिन बांटे अब साल भर से अधिक वक्त हो गया है. घर-घर जाकर कचरा मांगने वाली कम पढ़ी-लिखी दीदी रिहायशी इलाकों को पढ़े-लिखे लोगों को गीला और सूखा कचरा अलग-अलग रखने की सीख देकर-देकर थक चुकी हैं. लेकिन लोग अब भी ये समझ नहीं पा रहे हैं कि गीला और सूखा कचरा अलग-अलग रखना क्यों जरूरी है. लोगों के इस रवैये के चलते कचरा संग्रहण केंद्रों में काम करने वाली स्व-सहायता समूह की महिलाओं को कचरा अलग-अलग करने में खासी मशक्कत करनी पड़ती है.

कचरे वाली दीदी है परेशान!

इसलिए जरूरी है अलग-अलग करना

कोरबा नगर निगम में कुल 19 SLRM सेंटर है. यहां शहर से निकले कचरे का निपटान किया जाता है. पहले की तरह अब डंपिंग यार्ड में कचरा डंप करने की परंपरा खात्म होने को है. स्व-सहायता समूह की महिलाएं घर-घर घर जाकर कचरे का संग्रहण करती हैं और उन्हें SLRM सेंटर लाकर उनका निपटान करती है. सूखे कचरे जैसे की प्लास्टिक या कबाड़ को रिसाइकल किया जाता है. जबकि गीले कचरे को खाद में तब्दील किया जाता है.

कोरबा से रोजाना निकलता है 100 टन कचरा

नगर निगम के 8 जोन में कुल 67 वार्ड हैं. यहां से हर दिन 100 टन कचरा निकलता है. इसे स्व-सहायता समूह की महिलाओं के जरिए SLRM सेंटर तक पहुंचाया जाता है. इतने बड़े पैमाने पर कचरे का संग्रहण और उसका निपटान करना किसी चुनौती से कम नहीं होता. जब गीले और सूखे कचरे को एक साथ मिला दिया जाता है. तब काम और भी मुश्किल हो जाता है.

कार्रवाई में भी ढिलाई

निगम इलाके में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 के लागू होने के बाद से कचरे के संग्रहण में कई मापदंडों का पालन किया जा रहा है. इसके तहत खुले में कचरा फेंकने पर आम नागरिकों पर जुर्माने का भी प्रावधान है. लेकिन नगर पालिक निगम खुले में कचरा फेंकने वालों पर कड़ाई से जुर्माने की कार्रवाई नहीं करता. इसके कारण लोग खुले में भी धड़ल्ले से कचरा फेंक रहे हैं. इससे शहर की सफाई व्यवस्था पर ग्रहण लगा हुआ है.

कोरबा: स्वच्छ भारत अभियान को आगे बढ़ाने में जिलेवासी लगातार पिछड़ते जा रहे हैं. शहर में गील कचरा और सूखा कचरा को अलग-अलग रखने के लिए वार्डवासियों को हरे और नीले रंग के डस्टबिन बांटे गए थे, लेकिन अब तक लोग दोनों कचरों को मिला कर ही फेंक रहे हैं. इससे कचरे के निपटारे में खासी समस्या आ रही है.

शहर में अलग-अलग डस्टबिन बांटे अब साल भर से अधिक वक्त हो गया है. घर-घर जाकर कचरा मांगने वाली कम पढ़ी-लिखी दीदी रिहायशी इलाकों को पढ़े-लिखे लोगों को गीला और सूखा कचरा अलग-अलग रखने की सीख देकर-देकर थक चुकी हैं. लेकिन लोग अब भी ये समझ नहीं पा रहे हैं कि गीला और सूखा कचरा अलग-अलग रखना क्यों जरूरी है. लोगों के इस रवैये के चलते कचरा संग्रहण केंद्रों में काम करने वाली स्व-सहायता समूह की महिलाओं को कचरा अलग-अलग करने में खासी मशक्कत करनी पड़ती है.

कचरे वाली दीदी है परेशान!

इसलिए जरूरी है अलग-अलग करना

कोरबा नगर निगम में कुल 19 SLRM सेंटर है. यहां शहर से निकले कचरे का निपटान किया जाता है. पहले की तरह अब डंपिंग यार्ड में कचरा डंप करने की परंपरा खात्म होने को है. स्व-सहायता समूह की महिलाएं घर-घर घर जाकर कचरे का संग्रहण करती हैं और उन्हें SLRM सेंटर लाकर उनका निपटान करती है. सूखे कचरे जैसे की प्लास्टिक या कबाड़ को रिसाइकल किया जाता है. जबकि गीले कचरे को खाद में तब्दील किया जाता है.

कोरबा से रोजाना निकलता है 100 टन कचरा

नगर निगम के 8 जोन में कुल 67 वार्ड हैं. यहां से हर दिन 100 टन कचरा निकलता है. इसे स्व-सहायता समूह की महिलाओं के जरिए SLRM सेंटर तक पहुंचाया जाता है. इतने बड़े पैमाने पर कचरे का संग्रहण और उसका निपटान करना किसी चुनौती से कम नहीं होता. जब गीले और सूखे कचरे को एक साथ मिला दिया जाता है. तब काम और भी मुश्किल हो जाता है.

कार्रवाई में भी ढिलाई

निगम इलाके में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 के लागू होने के बाद से कचरे के संग्रहण में कई मापदंडों का पालन किया जा रहा है. इसके तहत खुले में कचरा फेंकने पर आम नागरिकों पर जुर्माने का भी प्रावधान है. लेकिन नगर पालिक निगम खुले में कचरा फेंकने वालों पर कड़ाई से जुर्माने की कार्रवाई नहीं करता. इसके कारण लोग खुले में भी धड़ल्ले से कचरा फेंक रहे हैं. इससे शहर की सफाई व्यवस्था पर ग्रहण लगा हुआ है.

Intro:कोरबा। स्वच्छ भारत अभियान को आगे बढ़ाने में जिलेवासी पिछड़ रहे हैं। शहर में गीला, कचरा सूखा कचरा अलग-अलग रखने के लिए वार्डवासियों को हरे और नीले रंग के डस्टबिन वितरित किये गए थे।
बात को अब 1 साल से भी ज्यादा समय बीत चुका है। घर-घर जाकर कचरा मांगने वाली कम पढ़ी-लिखी दीदी रिहायशी इलाकों के पढ़े-लिखे लोगों को गीला और सूखा कचरा अलग-अलग रखने की सीख देकर थक चुकी है। लोग अब भी यह समझ नहीं पा रहे हैं कि गीला कचरा और सूखा कचरा अलग-अलग रखना क्यों जरूरी है? इस दिशा में अब भी व्यापक जागरूकता नहीं आ सकी है। इसके कारण स्वच्छ भारत अभियान को पलीता तो लग ही रहा है। साथ ही साथ कचरा संग्रहण केंद्रों में काम करने वाली स्व सहायता समूह की महिलाओं को गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग करने में खासी मशक्कत करनी पड़ती है।


Body:इसलिए जरूरी है अलग-अलग करना
नगर निगम क्षेत्र में कुल 19 एसएलआरएम सेंटर है। जहां शहर से निकले कचरे का निपटान किया जाता है। पूर्व की तरह अब डंपिंग यार्ड में कचरा डंप करने की परंपरा लगभग समाप्ति की ओर है। स्व सहायता समूह की महिलाएं घर-घर घर जाकर कचरे का संग्रहण करती हैं। जिन्हें ऐसा एसएलआरएम सेंटर में लाकर अलग-अलग किया जाता है। प्लास्टिक और कबाड़ जैसे सूखे कचरे को रीसायकल किया जाता है। जबकि खाने पीने की वस्तुओं से उपजे गीले कचरे से खाद तैयार किया जाता है। इन दोनों ही प्रक्रियाओं के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण बात है वह यह है कि गीला और सूखा कचरा को अलग-अलग रखा जाए।

100 टन कचरा रोज होता है उत्सर्जित
नगर निगम के 8 जोन में कुल 67 वार्ड हैं। यहां से हर दिन 100 टन कचरा उत्सर्जित होता है। जिसे स्व सहायता समूह की महिलाओं के माध्यम से एसएलआरएम सेंटर में पहुंचाया जाता है। इतने बड़े पैमाने पर कचरे का संग्रहण और उसका निपटान करना किसी चुनौती से कम नहीं होता। जब गीले और सूखे कचरे को एक साथ मिला दिया जाता है। तब काम और भी मुश्किल हो जाता है।


Conclusion:जमाने के कार्रवाई में भी ढिलाई
निगम क्षेत्र में सॉलि़ड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 के लागू होने के बाद से कचरे के संग्रहण में कई मापदंडों का पालन किया जा रहा है। इसके तहत खुले में कचरा फेंकने पर आम नागरिकों पर जुर्माने का भी प्रावधान है। लेकिन नगर पालिक निगम खुले में कचरा फेंकने वालों पर कड़ाई से जुर्माने की कार्रवाई नहीं करता। जिसके कारण लोग खुले में भी धड़ल्ले से कचरा फेंक रहे हैं। इससे शहर की स्वच्छता पर ग्रहण लगा हुआ है।

बाइट।
1.सुमन महंत, गमछा उड़े हुए
2. मीना टंडन नीले कोट में

3. अशोक शर्मा, अपर आयुक्त, नगर पालिक निगम कोरबा नीली शर्ट पहने हुए
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