ETV Bharat / state

कोरबा में संयुक्त टीम ने रुकवाया बाल विवाह - Women and Child Development Department Officer Deepti Patel

कोरबा में महिला एवं बाल विकास विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम ने साढ़े 17 साल की नाबालिग लड़की का बाल विवाह होने से रोका. किशोरी के परिजनों से उसके कानूनन वयस्क होने के बाद ही शादी करवाने का शपथ पत्र भी भरवाया गया.

joint team stopped child marriage
संयुक्त टीम ने रुकवाया बाल विवाह
author img

By

Published : Apr 28, 2021, 2:29 PM IST

कोरबा: महिला एवं बाल विकास विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम की सक्रियता से एक नाबालिग का बाल विवाह रुक गया. लॉकडाउन के दौरान परिजन साढ़े 17 साल की नाबालिग लड़की की शादी करा रहे थे. इसकी सूचना मिलते ही महिला एवं बाल विकास विभाग, चाइल्ड लाइन और पुलिस की संयुक्त टीम मौके पर पहुंची और बाल विवाह को रुकवाया. टीम ने परिजनों से 18 वर्ष की निर्धारित आयु पूरी होने के बाद ही लड़की की शादी करने का शपथ पत्र भरवाया, साथ ही नियम तोड़ने पर कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी.

पूरा मामला पाली थाना अंतर्गत ग्राम उड़ता का है. जहां नाबालिग की शादी कराई जा रही थी. उसकी शादी कसाइपाली के युवक से शादी तय की गई थी. महिला एवं बाल विकास विभाग पाली के परियोजना अधिकारी दीप्ति पटेल को इसकी सूचना मिली. उन्होंने तत्काल मामले में गंभीरता दिखाते हुए सेक्टर पर्यवेक्षक अनुपमा अग्रवाल को चाइल्ड लाइन के कर्मचारियों उमा प्रजापति, अनिल पोर्ते और पुलिस के साथ कार्रवाई के लिए भेजा. संयुक्त टीम आरक्षक प्रवीण नरडे, संजय साहू देर शाम शादी वाली जगह पर पहुंचे और बाल विवाह रुकवाया.

कोरबा: महिला एवं बाल विकास विभाग ने रुकवाया बाल विवाह

किशोरी 18 साल की आयु से 5 माह कम पाई गई

पुलिस के साथ संयुक्त टीम को देखकर परिजन हक्के-बक्के रह गए. कार्रवाई में सेक्टर पर्यवेक्षक ने परिजनों को लड़की की छोटी उम्र पर संदेह जताते हुए आयु प्रमाणित करने के लिए अंकसूची दिखाने को कहा. जिसमें उसकी जन्मतिथि 23 नवंबर 2003 दर्ज थी. इसके आधार पर लड़की निर्धारित 18 साल की आयु से 5 माह कम पाई गई.

टीम ने तत्काल इसे बाल विवाह करार देते हुए इसे रोकने की बात कही. इससे परिजनों में हड़कंप मच गया, लेकिन विवाद बढ़ता उससे पहले ही पर्यवेक्षक और पुलिस ने बाल विवाह कराने पर निर्धारित कानूनन सजा के बारे में परिजनों को बताया. इसके बाद परिवारवाले शादी रोकने के लिए राजी हो गए.

परिजनों से भरवाया गया शपथपत्र

टीम ने किशोरी को कानूनन वयस्क होने के बाद ही शादी करने की सहमति का परिजनों से शपथ पत्र भरवाया. परिजनों ने भी टीम की समझाइश मान ली है. आदेश की अवहेलना करने पर सम्बन्धितों पर कानूनी कार्रवाई किए जाने की भी चेतावनी दी गई है. इस तरह तीनों विभागों के संयुक्त प्रयास से जिला प्रशासन लॉकडाउन के कठिन दौर में बाल विवाह रोकने में सफल रहा.

बाल विवाह पर 2 साल की जेल का प्रावधान

देश में बाल विवाह रोकने के लिए कड़े कानून बनाए गए हैं. पूरे देश में बाल विवाह निषेध अधिनियम (2006) लागू है. जिसके तहत लड़के की 21 साल और लड़की की 18 साल से पहले शादी करवाना कानूनन अपराध है. इसे बाल विवाह की श्रेणी में रखा गया है. तय उम्र से कम आयु में शादी करने और करवाने वालों पर 2 साल की जेल या 1 लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है. परिस्थितियों के आधार पर सजा का प्रावधान है. यह सजा सभी धर्मों को मानने वालों के लिए सम्पूर्ण देश में लागू है. समय-समय पर बाल विवाह को लेकर विभाग जागरूकता अभियान भी चलाती है.

कोरबा: महिला एवं बाल विकास विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम की सक्रियता से एक नाबालिग का बाल विवाह रुक गया. लॉकडाउन के दौरान परिजन साढ़े 17 साल की नाबालिग लड़की की शादी करा रहे थे. इसकी सूचना मिलते ही महिला एवं बाल विकास विभाग, चाइल्ड लाइन और पुलिस की संयुक्त टीम मौके पर पहुंची और बाल विवाह को रुकवाया. टीम ने परिजनों से 18 वर्ष की निर्धारित आयु पूरी होने के बाद ही लड़की की शादी करने का शपथ पत्र भरवाया, साथ ही नियम तोड़ने पर कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी.

पूरा मामला पाली थाना अंतर्गत ग्राम उड़ता का है. जहां नाबालिग की शादी कराई जा रही थी. उसकी शादी कसाइपाली के युवक से शादी तय की गई थी. महिला एवं बाल विकास विभाग पाली के परियोजना अधिकारी दीप्ति पटेल को इसकी सूचना मिली. उन्होंने तत्काल मामले में गंभीरता दिखाते हुए सेक्टर पर्यवेक्षक अनुपमा अग्रवाल को चाइल्ड लाइन के कर्मचारियों उमा प्रजापति, अनिल पोर्ते और पुलिस के साथ कार्रवाई के लिए भेजा. संयुक्त टीम आरक्षक प्रवीण नरडे, संजय साहू देर शाम शादी वाली जगह पर पहुंचे और बाल विवाह रुकवाया.

कोरबा: महिला एवं बाल विकास विभाग ने रुकवाया बाल विवाह

किशोरी 18 साल की आयु से 5 माह कम पाई गई

पुलिस के साथ संयुक्त टीम को देखकर परिजन हक्के-बक्के रह गए. कार्रवाई में सेक्टर पर्यवेक्षक ने परिजनों को लड़की की छोटी उम्र पर संदेह जताते हुए आयु प्रमाणित करने के लिए अंकसूची दिखाने को कहा. जिसमें उसकी जन्मतिथि 23 नवंबर 2003 दर्ज थी. इसके आधार पर लड़की निर्धारित 18 साल की आयु से 5 माह कम पाई गई.

टीम ने तत्काल इसे बाल विवाह करार देते हुए इसे रोकने की बात कही. इससे परिजनों में हड़कंप मच गया, लेकिन विवाद बढ़ता उससे पहले ही पर्यवेक्षक और पुलिस ने बाल विवाह कराने पर निर्धारित कानूनन सजा के बारे में परिजनों को बताया. इसके बाद परिवारवाले शादी रोकने के लिए राजी हो गए.

परिजनों से भरवाया गया शपथपत्र

टीम ने किशोरी को कानूनन वयस्क होने के बाद ही शादी करने की सहमति का परिजनों से शपथ पत्र भरवाया. परिजनों ने भी टीम की समझाइश मान ली है. आदेश की अवहेलना करने पर सम्बन्धितों पर कानूनी कार्रवाई किए जाने की भी चेतावनी दी गई है. इस तरह तीनों विभागों के संयुक्त प्रयास से जिला प्रशासन लॉकडाउन के कठिन दौर में बाल विवाह रोकने में सफल रहा.

बाल विवाह पर 2 साल की जेल का प्रावधान

देश में बाल विवाह रोकने के लिए कड़े कानून बनाए गए हैं. पूरे देश में बाल विवाह निषेध अधिनियम (2006) लागू है. जिसके तहत लड़के की 21 साल और लड़की की 18 साल से पहले शादी करवाना कानूनन अपराध है. इसे बाल विवाह की श्रेणी में रखा गया है. तय उम्र से कम आयु में शादी करने और करवाने वालों पर 2 साल की जेल या 1 लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है. परिस्थितियों के आधार पर सजा का प्रावधान है. यह सजा सभी धर्मों को मानने वालों के लिए सम्पूर्ण देश में लागू है. समय-समय पर बाल विवाह को लेकर विभाग जागरूकता अभियान भी चलाती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.