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EXCLUSIVE: पिता के आदर्शों पर चलना और गांव से शहर तक सड़क निर्माण प्राथमिकता : पुरुषोत्तम कंवर - पुरुषोत्तम कंवर का रिपोर्ट कार्ड

कटघोरा विधायक पुरुषोत्तम कंवर ने 2 साल में किए गए कामों को लेकर ETV भारत से खास बातचीत की. कंवर के मुताबिक वे अपने पिता के आदर्शों पर चलकर काम करना चाहते हैं. उनकी प्राथमकिता शहर से लेकर गांव तक का सड़क निर्माण है.

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कटघोरा विधायक पुरुषोत्तम कंवर
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Published : Dec 16, 2020, 11:00 PM IST

Updated : Dec 17, 2020, 9:19 AM IST

कोरबा : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के 2 साल पूरे हो गए हैं. ईटीवी भारत ने कटघोरा विधायक पुरुषोत्तम कंवर से खास बातचीत की. पुरुषोत्तम कंवर ने बतौर विधायक और सरकार के 2 साल के कामकाज को लेकर चर्चा की. पुरुषोत्तम विधायक बनने के बाद पहली बार राज्यमंत्री का दर्जा पाने वाले शख्स हैं. पुरुषोत्तम कंवर के पिता वरिष्ठ आदिवासी नेता बोधराम कंवर 7 बार के विधायक रह चुके हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने पुरुषोत्तम को टिकट दिया और वह चुनाव जीते. पुरुषोत्तम ने आने वाले सालों में सड़क पुनर्वास और मूलभूत आवश्यकताओं को अपनी प्राथमिकता बताया है.

कटघोरा विधायक पुरुषोत्तम कंवर
सवाल- एक विधायक के तौर पर आपके 2 साल का कार्यकाल कैसा रहा, क्या उपलब्धियां रही?

जवाब- 2 सालों के दौरान मेरा पूरा ध्यान मूलभूत आवश्यकताओं को दुरुस्त करने पर था. फिर चाहे वह पेयजल की समस्या हो, शिक्षा या फिर स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार दिलाने का काम हो. प्रयास यही रहा कि मूलभूत समस्याओं को दूर किया जाए.

सवाल- 2 साल में कोरबा की सड़कें बद से बदतर हुईं ?

जवाब- कोरबा जिला आदिवासी जिला होने के साथ ही साथ औद्योगिक जिला भी है. यहां भारी वाहनों का भी दबाव होता है. यहां बड़े पैमाने पर भारी वाहन कोयला लेकर परिवहन करते हैं. सड़कों की हालत खराब हुई है, लेकिन उनके मरम्मत और जीर्णोद्धार का कार्य भी शुरू हो चुका है.

सवाल- कई सड़कें NHI को चली गई, क्या सड़कें राज्य और केंद्र की राजनीति में फंस गई हैं?

जवाब- सड़कों को लेकर राजनीति हो रही है, इसे मैं सही नहीं मानता. सभी की अपनी जिम्मेदारी होती है. अगर सड़क NHI को चली गई हैं तो केंद्र सरकार को इसकी मरम्मत करनी चाहिए. यदि सड़क राज्य सरकार की है तो राज्य सरकार के अधिकारियों को इसकी मरम्मत करनी चाहिए. जल्दी सड़कों की स्थिति सुधरेगी.

सवाल- सड़कों के वर्तमान हालात के लिए आप किसे दोषी मानते हैं?

जवाब- मैं किसी पर दोषारोपण नहीं करना चाहता. सड़कों के निर्माण में समय लगता है. बड़ी परियोजनाओं में सालों लग जाते हैं. कई बार अधिग्रहण की समस्या आती है और कई तरह की समस्याएं होती हैं. इसलिए बड़े काम में समय तो लगता है.

सवाल- मूल निवासियों के लिए पुनर्वास दशकों पुरानी समस्या है, कब समाधान होगा?

जवाब- पुनर्वास लंबे समय से बड़ी समस्या बनी हुई है. मेरा प्रयास है कि चाहे वह स्थानीय SECL के अधिकारी हों या फिर प्रशासन, उनसे बातचीत करके उचित मुआवजा नौकरी और पुनर्वास की व्यवस्था की जाए. खदान प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास से जुड़ी समस्याएं लगातार बनी रहती हैं.

सवाल- खदानों में उत्खनन और ब्लास्टिंग से कई हादसे हुए ?

जवाब- खदान से लगे गांव में इस तरह की समस्या रहती है. उत्खनन के लिए जब ब्लास्टिंग किया जाता है, तब जो खदान के बेहद समीप वाले गांव होते वहां इसका असर होता है. प्रबंधन भी चाहता है कि ग्रामीण पुनर्वास वाले स्थल पर चले जाएं. इसलिए यदि ग्रामीण जल्द से जल्द पुनर्वास वाले स्थान पर शिफ्ट हो जाएंगे तो ये समस्या खत्म हो जाएगी.


सवाल- ग्रामीण और SECL अधिकारियों के बीच सामंजस्य बनाने में आपकी भूमिका ?

जवाब- ऐसा नहीं है कि एसईसीएल के अधिकारी बात नहीं सुनते हैं. यदि सही ढंग से और सही अवसर पर उन्हें समस्या से अवगत कराया जाए, तब वह बात सुनते भी हैं और समस्याओं का निराकरण करते हैं.

सवाल- भूस्खलन पर लोगों के बीच चौपाल लगाई थी, वहां आप काफी आक्रोशित हो गए थे?

जवाब- स्वभाविक सी बात है. जब काम नहीं होगा तो दिक्कत होती है. समस्याओं का समाधान भी दोनों तरफ से होता है. सिर्फ और सिर्फ दबाव बनाने से काम नहीं होता. ग्रामीणों को भी एसईसीएल का साथ देना होगा. कई मुद्दों पर दोनों तरफ से बैठकर समस्याओं का समाधान करना होता है, तभी हल निकलता है.

सवाल- आपके पिता लंबे समय तक विधायक और आदिवासियों के चिंतक रहे हैं, कितना फायदा मिलता है इसका?

जवाब- मेरे पिता मेरे पैदा होने के पहले से भी विधायक रहे हैं. मैं खुशकिस्मत हूं कि मुझे टिकट मिला और पहली बार चुनाव जीतकर मैं आदिवासी विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बना और राज्यमंत्री का दर्जा मिला. कोशिश यही है कि अपने पिता के आदर्शों पर चलकर कामों को पूरा कर सकूं.

सवाल- विधायक और राज्य मंत्री का पदभार एक साथ, कितना लाभ मिलेगा लोगों को?

जवाब- राज्य मंत्री और विधायक होने के साथ ही मुझे प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाकर जो जिम्मेदारी सौंपी गई है, मैं उसे पूरा करने में लगा हुआ हूं. प्राधिकरण का गठन ही इसलिए हुआ है कि जो छोटी-छोटी समस्याएं हैं, जिनके लिए फंड की व्यवस्था नहीं हो पाती. इस तरह के कार्यों को पूरा कराया जाए. आदिवासी विधायकों को ही इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसलिए जिम्मेदारियों को पूरा करने का प्रयास करता हूं.


सवाल- खनिज न्यास मद जब से अस्तित्व में आया है, तभी से विवादों में रहा. कितनी चुनौतियां हैं ?

जवाब- दो साल पहले की व्यवस्थाएं और थी. इन 2 सालों में व्यवस्था में परिवर्तन हुआ है. 2 साल पहले की बातें भूल जाइए और वर्तमान में आप खनिज न्यास मद की समीक्षा करिए. आप मेरे क्षेत्र में आकर खुद ही मेरे कार्यों का आकलन करिए.

सवाल- आने वाले 3 वर्षों में आपके पास विकास का क्या रोडमैप है?

जवाब- किसी भी क्षेत्र, गांव या शहर के लिए सबसे जरूरी बात होती है अच्छी सड़कों का निर्माण. इसलिए आने वाले सालों में मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता मेरे विधानसभा के साथ ही आसपास के क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण है.

कोरबा : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के 2 साल पूरे हो गए हैं. ईटीवी भारत ने कटघोरा विधायक पुरुषोत्तम कंवर से खास बातचीत की. पुरुषोत्तम कंवर ने बतौर विधायक और सरकार के 2 साल के कामकाज को लेकर चर्चा की. पुरुषोत्तम विधायक बनने के बाद पहली बार राज्यमंत्री का दर्जा पाने वाले शख्स हैं. पुरुषोत्तम कंवर के पिता वरिष्ठ आदिवासी नेता बोधराम कंवर 7 बार के विधायक रह चुके हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने पुरुषोत्तम को टिकट दिया और वह चुनाव जीते. पुरुषोत्तम ने आने वाले सालों में सड़क पुनर्वास और मूलभूत आवश्यकताओं को अपनी प्राथमिकता बताया है.

कटघोरा विधायक पुरुषोत्तम कंवर
सवाल- एक विधायक के तौर पर आपके 2 साल का कार्यकाल कैसा रहा, क्या उपलब्धियां रही?

जवाब- 2 सालों के दौरान मेरा पूरा ध्यान मूलभूत आवश्यकताओं को दुरुस्त करने पर था. फिर चाहे वह पेयजल की समस्या हो, शिक्षा या फिर स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार दिलाने का काम हो. प्रयास यही रहा कि मूलभूत समस्याओं को दूर किया जाए.

सवाल- 2 साल में कोरबा की सड़कें बद से बदतर हुईं ?

जवाब- कोरबा जिला आदिवासी जिला होने के साथ ही साथ औद्योगिक जिला भी है. यहां भारी वाहनों का भी दबाव होता है. यहां बड़े पैमाने पर भारी वाहन कोयला लेकर परिवहन करते हैं. सड़कों की हालत खराब हुई है, लेकिन उनके मरम्मत और जीर्णोद्धार का कार्य भी शुरू हो चुका है.

सवाल- कई सड़कें NHI को चली गई, क्या सड़कें राज्य और केंद्र की राजनीति में फंस गई हैं?

जवाब- सड़कों को लेकर राजनीति हो रही है, इसे मैं सही नहीं मानता. सभी की अपनी जिम्मेदारी होती है. अगर सड़क NHI को चली गई हैं तो केंद्र सरकार को इसकी मरम्मत करनी चाहिए. यदि सड़क राज्य सरकार की है तो राज्य सरकार के अधिकारियों को इसकी मरम्मत करनी चाहिए. जल्दी सड़कों की स्थिति सुधरेगी.

सवाल- सड़कों के वर्तमान हालात के लिए आप किसे दोषी मानते हैं?

जवाब- मैं किसी पर दोषारोपण नहीं करना चाहता. सड़कों के निर्माण में समय लगता है. बड़ी परियोजनाओं में सालों लग जाते हैं. कई बार अधिग्रहण की समस्या आती है और कई तरह की समस्याएं होती हैं. इसलिए बड़े काम में समय तो लगता है.

सवाल- मूल निवासियों के लिए पुनर्वास दशकों पुरानी समस्या है, कब समाधान होगा?

जवाब- पुनर्वास लंबे समय से बड़ी समस्या बनी हुई है. मेरा प्रयास है कि चाहे वह स्थानीय SECL के अधिकारी हों या फिर प्रशासन, उनसे बातचीत करके उचित मुआवजा नौकरी और पुनर्वास की व्यवस्था की जाए. खदान प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास से जुड़ी समस्याएं लगातार बनी रहती हैं.

सवाल- खदानों में उत्खनन और ब्लास्टिंग से कई हादसे हुए ?

जवाब- खदान से लगे गांव में इस तरह की समस्या रहती है. उत्खनन के लिए जब ब्लास्टिंग किया जाता है, तब जो खदान के बेहद समीप वाले गांव होते वहां इसका असर होता है. प्रबंधन भी चाहता है कि ग्रामीण पुनर्वास वाले स्थल पर चले जाएं. इसलिए यदि ग्रामीण जल्द से जल्द पुनर्वास वाले स्थान पर शिफ्ट हो जाएंगे तो ये समस्या खत्म हो जाएगी.


सवाल- ग्रामीण और SECL अधिकारियों के बीच सामंजस्य बनाने में आपकी भूमिका ?

जवाब- ऐसा नहीं है कि एसईसीएल के अधिकारी बात नहीं सुनते हैं. यदि सही ढंग से और सही अवसर पर उन्हें समस्या से अवगत कराया जाए, तब वह बात सुनते भी हैं और समस्याओं का निराकरण करते हैं.

सवाल- भूस्खलन पर लोगों के बीच चौपाल लगाई थी, वहां आप काफी आक्रोशित हो गए थे?

जवाब- स्वभाविक सी बात है. जब काम नहीं होगा तो दिक्कत होती है. समस्याओं का समाधान भी दोनों तरफ से होता है. सिर्फ और सिर्फ दबाव बनाने से काम नहीं होता. ग्रामीणों को भी एसईसीएल का साथ देना होगा. कई मुद्दों पर दोनों तरफ से बैठकर समस्याओं का समाधान करना होता है, तभी हल निकलता है.

सवाल- आपके पिता लंबे समय तक विधायक और आदिवासियों के चिंतक रहे हैं, कितना फायदा मिलता है इसका?

जवाब- मेरे पिता मेरे पैदा होने के पहले से भी विधायक रहे हैं. मैं खुशकिस्मत हूं कि मुझे टिकट मिला और पहली बार चुनाव जीतकर मैं आदिवासी विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बना और राज्यमंत्री का दर्जा मिला. कोशिश यही है कि अपने पिता के आदर्शों पर चलकर कामों को पूरा कर सकूं.

सवाल- विधायक और राज्य मंत्री का पदभार एक साथ, कितना लाभ मिलेगा लोगों को?

जवाब- राज्य मंत्री और विधायक होने के साथ ही मुझे प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाकर जो जिम्मेदारी सौंपी गई है, मैं उसे पूरा करने में लगा हुआ हूं. प्राधिकरण का गठन ही इसलिए हुआ है कि जो छोटी-छोटी समस्याएं हैं, जिनके लिए फंड की व्यवस्था नहीं हो पाती. इस तरह के कार्यों को पूरा कराया जाए. आदिवासी विधायकों को ही इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसलिए जिम्मेदारियों को पूरा करने का प्रयास करता हूं.


सवाल- खनिज न्यास मद जब से अस्तित्व में आया है, तभी से विवादों में रहा. कितनी चुनौतियां हैं ?

जवाब- दो साल पहले की व्यवस्थाएं और थी. इन 2 सालों में व्यवस्था में परिवर्तन हुआ है. 2 साल पहले की बातें भूल जाइए और वर्तमान में आप खनिज न्यास मद की समीक्षा करिए. आप मेरे क्षेत्र में आकर खुद ही मेरे कार्यों का आकलन करिए.

सवाल- आने वाले 3 वर्षों में आपके पास विकास का क्या रोडमैप है?

जवाब- किसी भी क्षेत्र, गांव या शहर के लिए सबसे जरूरी बात होती है अच्छी सड़कों का निर्माण. इसलिए आने वाले सालों में मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता मेरे विधानसभा के साथ ही आसपास के क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण है.

Last Updated : Dec 17, 2020, 9:19 AM IST
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