कोरबा: शासन की रोक के बावजूद रेत उत्खनन का कार्य धड़ल्ले से चल रहा है. देर रात नदी-नालों के किनारे से अवैध रेत उत्खनन कर अगले दिन सुबह उसे पुरानी रेत बताकर बेचा जाता है.
जिले में शासन के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. कोल माफियाओं की कालाबाजारी अभी थमी भी नहीं थी कि जिले में रेत माफिया अवैध उत्खनन में जुट गया है. रेत घाटों में उत्खनन पर लगे 3 माह के प्रतिबंध के बावजूद रेत माफिया सक्रिय रूप से अवैध उत्खनन करने से बाज नहीं आ रहा.
सरकार ने लगाई थी रोक
दरअसल NGT के निर्देश पर सरकार ने 16 जून से 15 अक्टूबर तक रेत उत्खनन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद भी हसदेव नदी में सीतामणी, गेरवाघाट, बरमपुर, बालको, बेलगरी रेत घाट से उत्खनन और परिवहन हो रहा है.
अवैध उत्खनन कर बेचते हैं रेत
रेत माफिया देर रात इन घाटों पर पहुंचकर पोकलेन मशीन लगाकर अवैध उत्खनन करते हैं. इसके साथ ही ट्रैक्टर और हाइवा के जरिए शहर के तमाम अलग-अलग जगहों पर रेत अनलोड कर स्टॉक करते हैं. इसके बाद अगले दिन इसे पुरानी रेत बता कर मनचाहे दाम में बेचते हैं.
कांग्रेस नेताओं पर अवैध उत्खनन के आरोप
ऐसे आरोप लग रहे हैं कि, अवैध उत्खनन के सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के नेताओं का हाथ है. कुछ दिन पहले रामपुर विधायक और वरिष्ठ भाजपा नेता ननकीराम कंवर ने भी अवैध रेत उत्खनन और परिवहन में कांग्रेस पार्टी की भूमिका बताई थी.
अफसरों के जवाब में विरोधाभास
माइनिंग अफसर खुद दो तरह की बातें कर रहे हैं. एक बार कह रहे हैं कि कुछ घाट सेमी मैकेनाइज्ड हैं, जहां उत्खनन की परमिशन है. लेकिन जब उनसे रेत घाट बंद होने पर सवाल किया गया तो, वो ये कहते नजर आए कि 'हां सभी रेत घाट बंद हैं, इससे साफ जाहिर होता है कि प्रशासन इस मामले में कितना गंभीर है.