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गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के संस्थापक हीरा सिंह मरकाम की याद में बनाया जाएगा विशेष स्मारक - कोरबा में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के कार्यकर्ता और पदाधिकारियों के साथ ही आसपास के सैकड़ों गांव से लोग हीरा सिंह मरकाम की अंतिम झलक पाने पहुंचे थे. तिवरता गांव में हीरा सिंह के खेत में ही उन्हें दफनाया गया, जहां उनका विशेष स्मारक बनाया जाएगा.

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गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के संस्थापक हीरा सिंह मरकाम
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Published : Oct 30, 2020, 8:17 AM IST

Updated : Oct 30, 2020, 9:22 AM IST

कोरबा: गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के संस्थापक प्रदेश के कद्दावर आदिवासी नेता हीरा सिंह मरकाम गुरुवार की शाम पंचतत्व में विलीन हो गए. उनके अंतिम दर्शन के लिए जिले के कोने-कोने से लोग आए हुए थे. मध्यप्रदेश के कुछ विधायक भी मरकाम की अंत्येष्टि में पहुंचे थे. दीपका के पास स्थित पैतृक गांव तिवरता में नम आंखों से हीरा सिंह मरकाम को अंतिम विदाई दी गई. आदिवासी रीति-रिवाज से मरकाम को उन्हीं के खेत में दफनाया गया, जहां उनका स्मारक भी बनाया जाएगा, ताकि समय-समय पर इस स्मारक के माध्यम से उन्हें याद किया जाता रहे.

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के संस्थापक हीरा सिंह मरकाम

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के कार्यकर्ता और पदाधिकारियों के साथ ही आसपास के सैकड़ों गांव से लोग हीरा सिंह मरकाम की अंतिम झलक पाने पहुंचे थे. जिससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि मरकाम के आदिवासी समाज में गहरी पैठ थी. वह न सिर्फ एक राजनेता थे, बल्कि एक समाज सुधारक के तौर पर सदैव याद किए जाएंगे.

समर्थकों के लिए यह बेहद भावुक क्षण था. लाल बहादुर सिंह जो हीरा सिंह मरकाम के साथ बचपन से जुड़े हुए थे, उनका कहना है कि हीरा ने रोटी-बेटी की परंपरा को आगे बढ़ाया, समाज को जगाया. जो समाज बिखरा हुआ था, कमजोर था, उसे उन्होंने एकजुट करने का काम किया. आज जो हम आपके सामने खड़े होकर बोल पा रहे हैं, यह दादा की ही देन है. उनका जाना समाज के लिए अपूरणीय क्षति है. उनके जाने से ऐसा लग रहा है, मानों हमारे सिर से पिता का साया उठ गया हो.

किसी पार्टी तक सीमित नहीं मरकाम का कद

मध्यप्रदेश के मंडला जिले से विधायक डॉ अशोक मस्कुलर हीरा सिंह मरकाम की अंत्येष्टि में पहुंचे हुए थे, उनका कहना है कि, 'हीरा सिंह मरकाम सिर्फ छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के ही नहीं हैं, उनकी ख्याति पूरे देश में है. गोंडवाना सिर्फ एक शब्द नहीं है, एक आंदोलन है, जिसे हीरा सिंह मरकाम ने शुरू किया और आगे बढ़ाया. उन्होंने कहा कि भले ही मैं कांग्रेस का विधायक हूं, लेकिन एक समाज का बेटा होने के नाते मैं हीरा सिंह मरकाम के साथ काफी समय से जुड़ा रहा. उनसे गहरा जुड़ाव रहा है. उनकी क्षति समाज के लिए अपूरणीय है, जिसे भर पाना असंभव है.'

युवाओं के कंधे पर बड़ी जिम्मेदारी

छत्तीसगढ़ में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के अतिरिक्त प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह कमरों हीरा सिंह मरकाम की अंत्येष्टि में शामिल होने पहुंचे हुए थे. जिनका कहना है कि हीरा सिंह मरकाम समाज में युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं. उनका जुझारू व्यक्तित्व हमें हमेशा प्रेरणा देता रहेगा. हमें यह मिलकर सोचना होगा कि उनके जाने के बाद जो नेतृत्व खाली हो गया है, उसकी भरपाई कैसे की जाए. हम युवाओं पर बड़ी जिम्मेदारी है. हमारा प्रयास होगा कि उनके दिखाए गए रास्ते पर चलकर समाज को नई दिशा दी जाए समाज को आगे बढ़ाया जाए.

कोरोना काल में भी अंतिम दर्शन पाने उमड़े लोग

कोरोना0 काल में ज्यादातर आवागमन के सार्वजनिक संसाधन बंद हैं, लेकिन हीरा सिंह मरकाम की अंतिम बार एक झलक पाने के लिए लोग मीलों का सफर पैदल चलकर तिवरता तक पहुंचे थे. आस-पास के गांव से ऐसे स्थान भी है, जहां से तिवरता तक पहुंचने के लिए कोई सार्वजनिक वाहन नहीं चलती है. लेकिन लोग नंगे पांव पैदल चलकर हीरा की अंतिम झलक पाने पहुंचे थे.

पढ़ें- कोरबा के तिवरता गांव में हीरा सिंह मरकाम को अंतिम विदाई

हीरा सिंह ने बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली. वहां मौजूद समर्थकों ने बाइक रैली निकालकर हीरा सिंह के पार्थिव शरीर को उनके गांव तक लाया. रास्ते में उनके शव वाहन को कई बार रोककर लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस वजह से पैतृक गांव पहुंचने के लिए देर हो गई. पैतृक गांव में हीरा सिंह को दफनाया गया, जहां उनकी याद में एक स्मारक बनाया जाएगा.

कोरबा: गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के संस्थापक प्रदेश के कद्दावर आदिवासी नेता हीरा सिंह मरकाम गुरुवार की शाम पंचतत्व में विलीन हो गए. उनके अंतिम दर्शन के लिए जिले के कोने-कोने से लोग आए हुए थे. मध्यप्रदेश के कुछ विधायक भी मरकाम की अंत्येष्टि में पहुंचे थे. दीपका के पास स्थित पैतृक गांव तिवरता में नम आंखों से हीरा सिंह मरकाम को अंतिम विदाई दी गई. आदिवासी रीति-रिवाज से मरकाम को उन्हीं के खेत में दफनाया गया, जहां उनका स्मारक भी बनाया जाएगा, ताकि समय-समय पर इस स्मारक के माध्यम से उन्हें याद किया जाता रहे.

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के संस्थापक हीरा सिंह मरकाम

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के कार्यकर्ता और पदाधिकारियों के साथ ही आसपास के सैकड़ों गांव से लोग हीरा सिंह मरकाम की अंतिम झलक पाने पहुंचे थे. जिससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि मरकाम के आदिवासी समाज में गहरी पैठ थी. वह न सिर्फ एक राजनेता थे, बल्कि एक समाज सुधारक के तौर पर सदैव याद किए जाएंगे.

समर्थकों के लिए यह बेहद भावुक क्षण था. लाल बहादुर सिंह जो हीरा सिंह मरकाम के साथ बचपन से जुड़े हुए थे, उनका कहना है कि हीरा ने रोटी-बेटी की परंपरा को आगे बढ़ाया, समाज को जगाया. जो समाज बिखरा हुआ था, कमजोर था, उसे उन्होंने एकजुट करने का काम किया. आज जो हम आपके सामने खड़े होकर बोल पा रहे हैं, यह दादा की ही देन है. उनका जाना समाज के लिए अपूरणीय क्षति है. उनके जाने से ऐसा लग रहा है, मानों हमारे सिर से पिता का साया उठ गया हो.

किसी पार्टी तक सीमित नहीं मरकाम का कद

मध्यप्रदेश के मंडला जिले से विधायक डॉ अशोक मस्कुलर हीरा सिंह मरकाम की अंत्येष्टि में पहुंचे हुए थे, उनका कहना है कि, 'हीरा सिंह मरकाम सिर्फ छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के ही नहीं हैं, उनकी ख्याति पूरे देश में है. गोंडवाना सिर्फ एक शब्द नहीं है, एक आंदोलन है, जिसे हीरा सिंह मरकाम ने शुरू किया और आगे बढ़ाया. उन्होंने कहा कि भले ही मैं कांग्रेस का विधायक हूं, लेकिन एक समाज का बेटा होने के नाते मैं हीरा सिंह मरकाम के साथ काफी समय से जुड़ा रहा. उनसे गहरा जुड़ाव रहा है. उनकी क्षति समाज के लिए अपूरणीय है, जिसे भर पाना असंभव है.'

युवाओं के कंधे पर बड़ी जिम्मेदारी

छत्तीसगढ़ में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के अतिरिक्त प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह कमरों हीरा सिंह मरकाम की अंत्येष्टि में शामिल होने पहुंचे हुए थे. जिनका कहना है कि हीरा सिंह मरकाम समाज में युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं. उनका जुझारू व्यक्तित्व हमें हमेशा प्रेरणा देता रहेगा. हमें यह मिलकर सोचना होगा कि उनके जाने के बाद जो नेतृत्व खाली हो गया है, उसकी भरपाई कैसे की जाए. हम युवाओं पर बड़ी जिम्मेदारी है. हमारा प्रयास होगा कि उनके दिखाए गए रास्ते पर चलकर समाज को नई दिशा दी जाए समाज को आगे बढ़ाया जाए.

कोरोना काल में भी अंतिम दर्शन पाने उमड़े लोग

कोरोना0 काल में ज्यादातर आवागमन के सार्वजनिक संसाधन बंद हैं, लेकिन हीरा सिंह मरकाम की अंतिम बार एक झलक पाने के लिए लोग मीलों का सफर पैदल चलकर तिवरता तक पहुंचे थे. आस-पास के गांव से ऐसे स्थान भी है, जहां से तिवरता तक पहुंचने के लिए कोई सार्वजनिक वाहन नहीं चलती है. लेकिन लोग नंगे पांव पैदल चलकर हीरा की अंतिम झलक पाने पहुंचे थे.

पढ़ें- कोरबा के तिवरता गांव में हीरा सिंह मरकाम को अंतिम विदाई

हीरा सिंह ने बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली. वहां मौजूद समर्थकों ने बाइक रैली निकालकर हीरा सिंह के पार्थिव शरीर को उनके गांव तक लाया. रास्ते में उनके शव वाहन को कई बार रोककर लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस वजह से पैतृक गांव पहुंचने के लिए देर हो गई. पैतृक गांव में हीरा सिंह को दफनाया गया, जहां उनकी याद में एक स्मारक बनाया जाएगा.

Last Updated : Oct 30, 2020, 9:22 AM IST
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