कोरबा : छत्तीसगढ़ सरकार ने भगवान श्रीराम के वनगमन पथ को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने का फैसला लिया है. हर कोई सरकार के इस फैसले की तारीफ कर रहा है तो स्थान चयन को लेकर सवाल भी खड़े हो रहे हैं. जिले के पुरातत्व विभाग के संग्रहालय में नियुक्त मार्गदर्शक हरि सिंह क्षत्रिय ने राम वनगमन पथ से कोरबा को विलोपित किए जाने पर आपत्ति जताई है.
कोरबा जिले के विषय में ऐसे कुछ शोध मौजूद हैं, जिनमें जिक्र किया गया है यहां भगवान राम ने वनवास के दौरान काफी समय बिताए थे. जिले में इस बात के प्रमाण भी मौजूद हैं, लेकिन फिर भी सूची में कोरबा को कोई स्थल शामिल नहीं है. खासतौर पर कोरबा के रामपुर विधानसभा में प्रभु श्रीराम के गुजरने के प्रमाण हैं. इस क्षेत्र का नाम भी श्री राम के नाम पर ही रखा गया.
वनवास के दौरान पहुंचे थे राम
शहर के सीतामढ़ी में प्राचीन राम गुफा है. इस विषय में भी ऐसी मान्यता है कि यहां श्रीराम वनवास के दौरान पहुंचे थे. जिले के पिकनिक स्पॉट देवपहरी को भी राम भगवान के पदचिन्ह मौजूद होने के लिए जाना जाता है. यहां भी प्रभु श्रीराम के निशान मौजूद हैं. इसके अलावा करतला विकासखंड के सूअरलोट में दूल्हा-दुल्ही शैलाश्रय, शैलचित्र व शिलालेख मौजूद हैं.
कई तरह के शोध किए गए
इसके अलावा पहाड़ों पर प्राचीनकाल के ऐसे कई चित्र हैं, जिन्हें श्रीराम से जोड़कर देखा जाता है. वर्ष 2013 में भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग के अधिकारियों ने भी इसका जायजा लिया था, जिसे प्रारंभिक इतिहास काल का माना था. सूअरलोट में एक ज्यामितीय चित्रण भी मिला है, जिसके बारे में एक शोध में लिखा गया है कि पहली बार एक वायुयान की अवधारणा को स्वीकार किया गया है. इसमें सीताहरण की कहानी छिपी है. एक शोध में इस तरह की संभावना भी व्यक्त की गई है कि सीताहरण इसी क्षेत्र से हुआ था.
8 स्थानों को विकसित करेगी सरकार
फिलहाल वनगमन पथ के ऐसे 8 स्थानों को सरकार संरक्षित कर वृहद तौर पर विकसित करने का निर्णय लिया है. अब इस वनगमन मार्ग पर सवाल तो उठ रहे हैं, लेकिन जवाब किसी के पास भी नहीं है.
ये है प्लानिंग
राज्य की भूपेश सरकार ने राम वनगमन पथ के महत्वपूर्ण स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का फैसला लिया है. राम वनगमन पथ से जुड़े विभिन्न शोध के अनुसार श्रीराम छत्तीसगढ़ में वनगमन के दौरान लगभग 75 स्थानों से होकर गुजरे थे. इनमे 51 स्थान ऐसे हैं, जहां श्री राम ने वनवास के दौरान ठहर कर कुछ समय बिताया था. प्रथम चरण में प्रदेश के 8 स्थलों का पर्यटन की दृष्टि से विकास के लिए चयन किया गया है.
इन स्थानों के बीच कोरबा
चिन्हित 8 स्थलों में कोरिया जिले के सीतामढ़ी-हरचैका, सरगुजा जिले के रामगढ़ को शामिल किया गया है. शासन के प्रस्तावित नक्शे में इन्हीं दो स्थानों के बीच एक लंबा रिक्त स्थान निर्मित हो रहा है. जिसके बीच कोरबा को शामिल नहीं किये जाने पर सवाल उठ रहे हैं. कोरबा के पर्यटन स्थल देवपहरी, सुवरलोट और सीतामढ़ी में राम के प्रमाण हैं. यहां श्रीराम के पदचिन्ह, शिलालेख और अन्य प्रमाण अब भी मौजूद हैं.
इन स्थानों को विकसित करेगी सरकार
जांजगीर-चांपा जिले के शिवरीनारायण, बलौदा बाजार-भाटापारा जिले के तुरतुरिया, रायपुर जिले के चंद्रखुरी, गरियाबंद जिले का राजिम, धमतरी जिले के सिहावा (सप्त ऋषि आश्रम) और बस्तर जिले के जगदलपुर अन्य स्थान हैं, जिन्हें पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया जाएगा.
टीम करेगी सर्वे
प्रस्तावित 8 स्थलों पर विभागीय सदस्यों की टीम बनाकर सर्वे कराया जाएगा. आवश्यकता के अनुसार वहां पहुंच मार्ग का उन्नयन, पर्यटक सुविधा, वैदिक विलेज आदि का विकास होगा.
शोधकर्ताओं के शोध किताबों से प्राप्त जानकारी के अनुसार भगवान राम ने अपने वनवास काल के 14 वर्षों में से लगभग 10 वर्ष से अधिक समय छत्तीसगढ़ में व्यतीत किया था. छत्तीसगढ़ के लोकगीत में देवी सीता की बैठक दंडकारण्य की भौगोलिक और वनस्पतियों के वर्णन भी मिलते हैं.
क्रेडिट के फेर में कोरबा की उपेक्षा
इस विषय पर हेमू यदु के द्वारा छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग के लिए राम वनगमन पथ के नाम से पुस्तक का प्रकाशन किया गया था. इसी पुस्तक के आधार पर राम के वनगमन मार्ग का विकास किया जा रहा है. जिस पर हरि सिंह क्षत्रिय ने सवाल खड़े किए हैं. हरि सिंह ने कहा है कि जब यदु यह किताब लिख रहे थे, तब उन्होंने फोन करके कोरबा में राम वनगमन मार्ग के विषय में उपलब्ध साक्ष्य सौंपने की बात कही, लेकिन हरि ने अपना नाम उस किताब में शामिल करने की बात रखी. यदु इस बात पर तैयार नहीं हुए. हरि सिंह की मानें तो इसी कारण पूरे कोरबा को राम वन गमन पथ से विलोपित कर दिया गया.