कोरबा: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एक ऐसे राम भक्त हैं, जिन्होंने रामचरितमानस का छत्तीसगढ़ी भाषा में अनुवाद किया है. जिसे 'छत्तीसगढ़ी लोक रमायन' नाम दिया गया है. एकलव्य विद्यालय छुरी में प्राचार्य के तौर पर पदस्थ गणेश राम राजपूत ने इसकी रचना की है. उनकी साहित्य में गहरी रूचि है. वे ना सिर्फ लेखन बल्कि गायन और वादन में भी पारंगत हैं. गणेश राम ने न सिर्फ 'छत्तीसगढ़ी लोक रमायन' की रचना की है, बल्कि रामचरितमानस पर आधारित कई दोहे, छंद और चौपाइयों का भी छत्तीसगढ़ी में अनुवाद किया है. गणेश राम राजपूत की अबतक 2 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं.
रुपांतरण में लगे 26 साल
केवल कविताओं और गायन पर आधारित उनकी पहली पुस्तक 2010 में प्रकाशित हुई थी. इसके बाद उनकी महत्वाकांक्षी रचना, जिसे लिखने में उन्हें करीब 26 साल लगे, उस 'छत्तीसगढ़ी लोक रमायन' को छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग ने 2016 में प्रकाशित किया था. गणेश राम कहते हैं कि उन्होंने 3-4 साल की उम्र से ही रामचरितमानस को पढ़ना शुरू कर दिया था. उनके माता-पिता ने उनके व्यक्तित्व में इसकी नींव रखी थी. जो कहते थे कि 'या तो पढ़ाई वाली किताबें पढ़ो या फिर रामायण.'
![Chhattisgarhi Lok Ramayan](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-krb-01-cgramayan-av121-spl-7208587_04082020140639_0408f_01098_1013.jpg)
राम मंदिर भूमि पूजन: कांग्रेस विधायक ने बांटे दीये, लोगों से घर पर दिवाली मनाने की अपील
'माता-पिता ने सिखाया रामायण पढ़ना'
गणेश राम कहते हैं कि उनके माता-पिता ने ना सिर्फ उन्हें रामायण पढ़ना सिखाया बल्कि ऐसा कहना ज्यादा उचित होगा कि रामायण पढ़ने के लिए एक तरह से बाध्य कर दिया. उन्होंने बताया कि वे राम मंडली के साथ गाना भी गाते थे. जिसकी प्रेरणा से उन्होंने रामायण के दोहे और चौपाइयों का छत्तीसगढ़ी में गीत भी बनाया. यह तैयारी लगातार चलती रही. शासकीय सेवा में रहते हुए इस पर भी काम चलता रहा. जब कभी भी समय मिलता या छुट्टी का दिन होता, तब पूरा समय वे अपनी इस रूचि में बिताते थे और आखिरकार 2010 में दोहे और चौपाइयों पर आधारित उनकी एक किताब का प्रकाशन हुआ. जिसके बाद 2016 में छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग ने 'छत्तीसगढ़ी लोक रमायन' का प्रकाशन किया.
![Chhattisgarhi Lok Ramayan](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8289830_img-4.jpg)
800 गीतों का संकलन
गणेश राम ने बताया कि उनके पास रामायण पर आधारित करीब 800 गीतों का संकलन है. सभी छत्तीसगढ़ी में है. उन्होनें प्रभु श्रीराम के जन्म से लेकर उनके राजा बनने तक राज्य अभिषेक के बाद तक के जीवन को गीतों में पिरोया है. इतना ही नहीं उन्हें जब भी समय मिलता है, वे नियमित तौर पर उन गीतों का अभ्यास भी करते हैं.
![Chhattisgarhi Lok Ramayan](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8289830_img-1.jpg)
दूसरा संस्करण तैयार
गणेश राम ने बताया कि उन्होंने 'छत्तीसगढ़ी लोक रमायन' का दूसरा संस्करण भी तैयार कर लिया है. जल्द ही वे इसे छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग को प्रेषित करेंगे. ताकि एक और किताब छप कर तैयार हो जाए. गणेश राम कहते हैं कि रामचरितमानस इतना वृहद है कि किसी भी एक प्रसंग को लेकर किताब लिखी जा सकती है. मेरी यह किताब पहले संस्करण से अलग होगी. पहली किताब में धाराप्रवाह छंदों की रचना की गई थी. जबकि दूसरे में उन्होंने विस्तार से रामायण के बारे में लिखा है.
![Chhattisgarhi Lok Ramayan](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8289830_image.jpg)