कोरबा: जिले के रामपुर क्षेत्र के विधायक और छत्तीसगढ़ के पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में करोड़ों के बिजली बिल घोटाले की आशंका जताई है. उन्होंने कहा कि ग्राहकों को बोगस बिजली बिल देकर लोगों को चूना लगाया जा रहा है. विधायक कंवर ने बताया कि कोरबा जिला सहित पूरे प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को भारी-भरकाम राशि का बिल दिये जाने की शिकायत आम हो गयी है.
हर महीने बिजली बिल में गड़बड़ी
ननकी ने कहा कि हर महीने रीडिंग के बाद तीन अंकों में बिजली बिल देने और उसका नियमित भुगतान होने के बाद अचानक पांच अंकों का बिजली बिल दिया जा रहा है. भारी भरकम बिल मिलने की शिकायत लेकर उपभोक्ता विभागीय अधिकारियों से मिलते हैं, तो उनके बिल की राशि कम कर दी जाती है. इसके एवज में निजी स्वार्थ भी सिद्ध किया जा रहा है.
'पहले गलती फिर सुधार'
विधायक और पूर्व गृहमंत्री कंवर ने बताया कि उनके निर्वाचन क्षेत्र रामपुर के गांवों के बिजली उपभोक्ता ऐसी ही परेशानी से जूझ रहे हैं. उन्होंने बताया कि भैसमा सब स्टेशन के तिलकेजा गांव में रायसिंह को 70 हजार रुपये का बिल भेजा गया. उसने शिकायत की तो बिल सुधार कर 5 हजार 80 रुपये का बना दिया गया. इसी तरह जीतराम को 59 हजार 60 रुपये का बिल दिया गया और बाद में सुधार कर 7 हजार 710 रुपये कर दिया गया. इस तरह के कई उदाहरण हैं.
'वैक्सीन, बचाव और गाइडलाइंस का पालन तीनों जरूरी'
एकल बत्ती को भी हजारों का बिल
कंवर ने कहा कि एकल बत्ती कनेक्शन के हितग्राही को भी हजारों रुपयों का बिल भेज दिया जाता है.बिजली बिल में गड़बड़ी की ऐसी शिकायतें पूरे छत्तीसगढ़
में आ रही है. विधायक कंवर ने आरोप लगाया कि पूरे प्रदेश में सुनियोजित रूप से इस तरह की गड़बड़ी की जा रही है. बिल सुधार की आड़ में करोड़ों रुपयों की अवैध उगाही किये जाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि इस तरह होने वाली अवैध उगाही की राशि कहां जाती है, इसकी जांच की जानी चाहिये.
'सभी क्षेत्रों में बिगड़ रही कानून व्यवस्था'
ननकी ने आरोप लगाया कि पूरे प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति दिन ब दिन बिगड़ती जा रही है. अपराधियों के हौसले बुलंद पर है. मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के गृहक्षेत्र से लेकर प्रदेश की राजधानी तक लगातार गंभीर आपराधिक घटनाएं हो रही हैं. शासन और प्रशासन इन पर अंकुश लगाने में विफल साबित हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि इन आपराधिक घटनाओं में वृद्धि का कारण राजनीतिक संरक्षण भी हो सकता है. इसी तरह पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार का बोलबाला है. खुले आम आर्थिक घोटाले और अपराध किये जा रहे हैं. बड़े पैमाने पर जमीनों की हेरा-फेरी की जा रही है. ये अपराध राजनीतिक- प्रशासनिक संरक्षण के बिना संभव नहीं है.