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एक साल पहले खोले गए उपार्जन केंद्र में लगा ताला, 12 गांव के 109 किसानों पर खेती से बेदखल होने का खतरा

कोरबा में दर्री तहसील के सुमेधा गांव (Sumedha village of Korba) में पिछले साल ठीक धान खरीदी के पहले नए उपार्जन केंद्र की शुरुआत की गई थी. धान खरीदी के बाद से ही इस उपार्जन केंद्र को बंद कर दिया गया. वर्तमान में ठीक खरीफ फसल की बुवाई के पहले किसान जब नए उपार्जन केंद्र में पहुंचे, तब उन्हें पता चला कि उनका डाटा अपडेट नहीं किया गया है. (Farmers are upset )

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एक साल पहले खोले गए उपार्जन केंद्र में लगा ताला
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Published : Jun 10, 2021, 8:29 PM IST

Updated : Jun 11, 2021, 10:09 AM IST

कोरबा: पिछले वर्ष धान खरीदी के लिए तामझाम के साथ कोरबा में जिस उपार्जन केंद्र की शुरुआत हुई थी, अब वहां ताला लटका हुआ है. धान खरीदी के बाद से ही इस उपार्जन केंद्र को बंद कर दिया गया. वर्तमान में ठीक खरीफ फसल की बुवाई के पहले किसान जब नए उपार्जन केंद्र में पहुंचे, तब उन्हें पता चला कि उनका डाटा अपडेट नहीं किया गया है. उन्हें खेती के लिए खाद बीज के साथ ही लोन भी नहीं मिल पा रहा है.(Sumedha village of Korba) यहीं हाल रहा तो 12 गांव के 109 किसान किसानी से वंचित हो सकते हैं. (paddy procurement center sumedha )

एक साल पहले खोले गए उपार्जन केंद्र में लगा ताला

धान खरीदी के बाद से ही केंद्र है बंद

कोरबा जिले के दर्री तहसील के सुमेधा गांव में पिछले वर्ष ठीक धान खरीदी के पहले नए उपार्जन केंद्र की शुरुआत की गई थी. सरकार ने नए उपार्जन केंद्रों की शुरुआत करते समय कहा था कि जो किसान 20 या 25 किलोमीटर दूर धान बेचने जाते थे, अब उन्हें इससे निजात मिलेगी. उनके गांव में ही उपार्जन केंद्र खोल दिया गया है.(Farmers are upset )

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किसान हो रहे परेशान

सुमेधा के साथ मड़वाढोढा, बांकीमोंगरा और आसपास के 12 गांव के 109 किसानों को सुमेधा के उपार्जन केंद्र से अटैच किया गया था. नए केंद्र से किसानों को सरकार की ओर से मिलने वाले सभी सुविधाएं मिले इसकी व्यवस्था बनाई गई, लेकिन 1 साल बाद भी किसानों का डाटा यहां अपडेट नहीं किया गया है.

'माल्या और मोदी कर्ज लेकर भाग सकते हैं लेकिन किसान कहां जाएगा ?'

किसानी से वंचित न रह जाएं किसान

अब खरीफ फसल की तैयारी कर रहे किसान मुश्किल में फंस गए हैं. उन्हें कहा जा रहा है कि डाटा अपडेट नहीं होने की वजह से फिलहाल उन्हें कोई भी सरकारी सुविधा नहीं मिल पाएगी. अब किसान बेहद चिंतित हैं, उसे डर सता रहा है कि वह इस वर्ष की खरीफ फसल की खेती से वह वंचित ना हो जाएं.

कनबेरी से डाटा ट्रांसफर, लेकिन सुमेधा में भी नहीं जुड़े

किसान सुमेधा में उपार्जन केंद्र खोले जाने के पहले गांव कनबेरी स्थित उपार्जन केंद्र में धान बेचने जाते थे. यहीं से उन्हें खाद, बीज और लोन संबंधी तमाम सुविधाएं मिलती थी. जिसकी दूरी सुमेधा और आसपास के गांव से लगभग 20 से 25 किलोमीटर है. अब किसान कह रहे हैं कि वर्तमान में जब वे सुमेधा से लोन आदि लेना चाह रहे हैं, तब डाटा ट्रांसफर नहीं होने की बात कही जा रही है.

कमल की खेती कर राजिम के किसान बन रहे आत्मनिर्भर

कहीं नहीं है किसानों का डाटा

केंद्र में भी ताला लटका हुआ है. जब वह पुराने केंद्र कनबेरी पहुंचे, तो बताया गया कि डाटा कनबेरी से कोरबा के मुख्यालय स्थित सहकारी बैंक को ट्रांसफर कर दिया गया है. जहां से इसे अपडेट कर किसानों की जानकारी को सुमेधा में अपडेट किया जाएगा. विभाग की इस लापरवाही के कारण फिलहाल किसानों का डाटा न तो कनबेरी में मौजूद है और न ही नए उपार्जन केंद्र सुमेधा में उसे फीड किया जा सका है.

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उपार्जन केंद्र में ताला

रियायती दर पर किसानों को मिलते हैं खाद-बीज

सहकारिता विभाग के उपार्जन केंद्र से किसानों को पंजीयन से लेकर धान खरीदी, खाद और बीज के वितरण की सुविधा मिलती है. सहकारिता विभाग के तहत आने वाले इन्हीं केंद्रों से किसानों को रियायती दरों पर खाद-बीज के साथ ही 0% ब्याज पर लोन उपलब्ध कराया जाता है.

भू-विस्थापित किसान कल्याण संघ ने खोला SECL प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा

मुश्किल में पड़ सकते हैं किसान

किसानों के पास उपलब्ध खेती के रकबे के अनुसार उन्हें पहले ही लोन सेंक्शन कर दिया जाता है. जिससें उन्हें खेती में सुविधा मिलती है. उपार्जन केंद्रों से यह सुविधा नहीं मिलने की स्थिति में किसान मार्केट पर निर्भर हो जाएंगे. रियायती दरों पर इसे नहीं खरीद पाने वाले किसान पूरी तरह से किसानी से वंचित हो सकते हैं. जो डीएपी खाद उपार्जन केंद्र से किसान को 200 रुपये किलो में प्राप्त हो सकता है, मार्केट में वह 400 से 500 रुपये किलो में लेना होगा.

कलेक्टर और सहकारिता विभाग से शिकायत

इस संबंध में किसान सभा के जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर का कहना है कि किसानों का डाटा कहीं भी नहीं दिख रहा है. पुराने केंद्र से उन्हें वापस लौटाया जा रहा है. नया केंद्र सुमेधा में उनका डाटा भेजा ही नहीं गया है. किसान परेशान हैं, उनके सिर पर किसानी से वंचित होने का खतरा मंडरा रहा है. उन्हेंने जब इसकी शिकायत कलेक्टर से लेकर सहकारिता विभाग से की है. जहां से समस्या के समाधान का आश्वासन मिला है, लेकिन किसान अब भी बेहद परेशान हैं.

तकनीकी खामी के कारण नहीं हुआ डाटा अपडेट

इस संबंध में सहकारिता विभाग के नोडल प्रबंधक एसके जोशी का कहना है कि तकनीकी त्रुटि के कारण किसानों का डेटा अपडेट नहीं हो सका है. जल्द ही इसे अपडेट कर लिया जाएगा, किसानों को शासन की ओर से मिलने वाली सभी सुविधाओं का लाभ मिलेगा.

कोरबा: पिछले वर्ष धान खरीदी के लिए तामझाम के साथ कोरबा में जिस उपार्जन केंद्र की शुरुआत हुई थी, अब वहां ताला लटका हुआ है. धान खरीदी के बाद से ही इस उपार्जन केंद्र को बंद कर दिया गया. वर्तमान में ठीक खरीफ फसल की बुवाई के पहले किसान जब नए उपार्जन केंद्र में पहुंचे, तब उन्हें पता चला कि उनका डाटा अपडेट नहीं किया गया है. उन्हें खेती के लिए खाद बीज के साथ ही लोन भी नहीं मिल पा रहा है.(Sumedha village of Korba) यहीं हाल रहा तो 12 गांव के 109 किसान किसानी से वंचित हो सकते हैं. (paddy procurement center sumedha )

एक साल पहले खोले गए उपार्जन केंद्र में लगा ताला

धान खरीदी के बाद से ही केंद्र है बंद

कोरबा जिले के दर्री तहसील के सुमेधा गांव में पिछले वर्ष ठीक धान खरीदी के पहले नए उपार्जन केंद्र की शुरुआत की गई थी. सरकार ने नए उपार्जन केंद्रों की शुरुआत करते समय कहा था कि जो किसान 20 या 25 किलोमीटर दूर धान बेचने जाते थे, अब उन्हें इससे निजात मिलेगी. उनके गांव में ही उपार्जन केंद्र खोल दिया गया है.(Farmers are upset )

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किसान हो रहे परेशान

सुमेधा के साथ मड़वाढोढा, बांकीमोंगरा और आसपास के 12 गांव के 109 किसानों को सुमेधा के उपार्जन केंद्र से अटैच किया गया था. नए केंद्र से किसानों को सरकार की ओर से मिलने वाले सभी सुविधाएं मिले इसकी व्यवस्था बनाई गई, लेकिन 1 साल बाद भी किसानों का डाटा यहां अपडेट नहीं किया गया है.

'माल्या और मोदी कर्ज लेकर भाग सकते हैं लेकिन किसान कहां जाएगा ?'

किसानी से वंचित न रह जाएं किसान

अब खरीफ फसल की तैयारी कर रहे किसान मुश्किल में फंस गए हैं. उन्हें कहा जा रहा है कि डाटा अपडेट नहीं होने की वजह से फिलहाल उन्हें कोई भी सरकारी सुविधा नहीं मिल पाएगी. अब किसान बेहद चिंतित हैं, उसे डर सता रहा है कि वह इस वर्ष की खरीफ फसल की खेती से वह वंचित ना हो जाएं.

कनबेरी से डाटा ट्रांसफर, लेकिन सुमेधा में भी नहीं जुड़े

किसान सुमेधा में उपार्जन केंद्र खोले जाने के पहले गांव कनबेरी स्थित उपार्जन केंद्र में धान बेचने जाते थे. यहीं से उन्हें खाद, बीज और लोन संबंधी तमाम सुविधाएं मिलती थी. जिसकी दूरी सुमेधा और आसपास के गांव से लगभग 20 से 25 किलोमीटर है. अब किसान कह रहे हैं कि वर्तमान में जब वे सुमेधा से लोन आदि लेना चाह रहे हैं, तब डाटा ट्रांसफर नहीं होने की बात कही जा रही है.

कमल की खेती कर राजिम के किसान बन रहे आत्मनिर्भर

कहीं नहीं है किसानों का डाटा

केंद्र में भी ताला लटका हुआ है. जब वह पुराने केंद्र कनबेरी पहुंचे, तो बताया गया कि डाटा कनबेरी से कोरबा के मुख्यालय स्थित सहकारी बैंक को ट्रांसफर कर दिया गया है. जहां से इसे अपडेट कर किसानों की जानकारी को सुमेधा में अपडेट किया जाएगा. विभाग की इस लापरवाही के कारण फिलहाल किसानों का डाटा न तो कनबेरी में मौजूद है और न ही नए उपार्जन केंद्र सुमेधा में उसे फीड किया जा सका है.

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उपार्जन केंद्र में ताला

रियायती दर पर किसानों को मिलते हैं खाद-बीज

सहकारिता विभाग के उपार्जन केंद्र से किसानों को पंजीयन से लेकर धान खरीदी, खाद और बीज के वितरण की सुविधा मिलती है. सहकारिता विभाग के तहत आने वाले इन्हीं केंद्रों से किसानों को रियायती दरों पर खाद-बीज के साथ ही 0% ब्याज पर लोन उपलब्ध कराया जाता है.

भू-विस्थापित किसान कल्याण संघ ने खोला SECL प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा

मुश्किल में पड़ सकते हैं किसान

किसानों के पास उपलब्ध खेती के रकबे के अनुसार उन्हें पहले ही लोन सेंक्शन कर दिया जाता है. जिससें उन्हें खेती में सुविधा मिलती है. उपार्जन केंद्रों से यह सुविधा नहीं मिलने की स्थिति में किसान मार्केट पर निर्भर हो जाएंगे. रियायती दरों पर इसे नहीं खरीद पाने वाले किसान पूरी तरह से किसानी से वंचित हो सकते हैं. जो डीएपी खाद उपार्जन केंद्र से किसान को 200 रुपये किलो में प्राप्त हो सकता है, मार्केट में वह 400 से 500 रुपये किलो में लेना होगा.

कलेक्टर और सहकारिता विभाग से शिकायत

इस संबंध में किसान सभा के जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर का कहना है कि किसानों का डाटा कहीं भी नहीं दिख रहा है. पुराने केंद्र से उन्हें वापस लौटाया जा रहा है. नया केंद्र सुमेधा में उनका डाटा भेजा ही नहीं गया है. किसान परेशान हैं, उनके सिर पर किसानी से वंचित होने का खतरा मंडरा रहा है. उन्हेंने जब इसकी शिकायत कलेक्टर से लेकर सहकारिता विभाग से की है. जहां से समस्या के समाधान का आश्वासन मिला है, लेकिन किसान अब भी बेहद परेशान हैं.

तकनीकी खामी के कारण नहीं हुआ डाटा अपडेट

इस संबंध में सहकारिता विभाग के नोडल प्रबंधक एसके जोशी का कहना है कि तकनीकी त्रुटि के कारण किसानों का डेटा अपडेट नहीं हो सका है. जल्द ही इसे अपडेट कर लिया जाएगा, किसानों को शासन की ओर से मिलने वाली सभी सुविधाओं का लाभ मिलेगा.

Last Updated : Jun 11, 2021, 10:09 AM IST
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