कोरबा: प्रदेश की ऊर्जाधानी और मजदूर बाहुल्य जिले के मजदूरों को बीते 4 वर्षों से मजदूर अस्पताल का इंतजार (ESIC Hospital freed from acquisition in Korba) है. वर्ष 2019 में ही 55 करोड़ 31 लाख की लागत से 100 बिस्तर वाले ईएसआईसी अस्पताल का निर्माण शहर में रामपुर स्थित राजस्व कॉलोनी के पास किया गया था. लेकिन इसका संचालन अब तक शुरू नहीं हो सका है. कोरोनाकाल में महामारी की पहली और दूसरी लहर में जिला प्रशासन ने इस अस्पताल का अधिग्रहण कर इसे कोविड अस्पताल बना दिया था. लेकिन अब कोरोना की लहर कमजोर पड़ने के बाद प्रशासन इसे अधिग्रहण मुक्त कर चुकी है. जिसके बाद अब एक बार फिर से मजदूरों के अस्पताल में व्यवस्थाएं दुरुस्त कर इसका संचालन शुरू करने की उम्मीद जाग गई है.
जिले में 65 हजार से अधिक कर्मचारी: जिले में सार्वजनिक उपक्रम और अन्य कंपनियों में मिलाकर 65 हजार से भी अधिक कर्मचारी और उनके परिजन ईएसआईसी के तहत पंजीकृत हैं. ऐसे में ईएसआईसी का अस्पताल शुरू होते ही मजदूरों को इसका लाभ मिलेगा. कल-कारखानों के जमीनी स्तर पर काम करने वाले कर्मचारियों को ही ईएसआईसी से इलाज की सुविधा दी जाती है. वर्तमान में कर्मचारियों और उनके परिवार को गंभीर बीमारी होने पर अतिरिक्त खर्च का वहन करना पड़ता है. उन्हें ईएसआईसी से पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पाती. वर्ष 2016 में रायपुर और भिलाई में खुलने वाले 100-100 बिस्तर के अस्पताल का भूमि पूजन किया गया था. कोरबा में तत्कालीन सांसद स्व. डॉ बंशीलाल महतो ने इसका भूमि पूजन किया था.
यह भी पढ़ें: ETV BHARAT IMPACT : रेफरल रैकेट की होगी निगरानी, कोरवा मरीजों के लिए मेडिकल अस्पताल में बना विशेष हेल्प डेस्क
डिस्पेंसरी से नहीं मिल पाती सुविधा: ईएसआईसी से लाभ प्राप्त करने के लिए पंजीकृत मजदूरों को रेफरल बनवाना पड़ता है. रेफर किये गए अस्पताल से उन्हें कैशलेस इलाज की सुविधा मिलती है. यह सुविधा पिछले कई सालों से बंद है, जिसके कारण मजदूरों को बेहतर इलाज नहीं मिल पा रहा है. उन्हें जेब से भी पैसे खर्च करने पड़ते हैं. वर्तमान में कोरबा जिले के बालको, जमनीपाली, कोरबा और पताढी में ईएसआईसी की डिस्पेंसरी चल रही है. यहां डॉक्टर और दवाइयां उपलब्ध है. बुनियादी बीमारियों का इलाज किया जाता है. बीमारी थोड़ी भी जटिल होने पर यहां इलाज नहीं मिल पाता.
आदेश जारी कर कलेक्टर ने किया अधिग्रहण मुक्त : ईएसआईसी में संबंधित विभागों द्वारा कार्य किया जाता है, जिसके लिए कोरबा कलेक्टर रानू साहू ने आदेश जारी कर अस्पताल को अधिग्रहण मुक्त कर दिया है. उन्होंने बताया कि तत्कालीन कलेक्टर द्वारा 17 अप्रैल 2020 को आगामी आदेश तक ईएसआईसी अस्पताल का अधिग्रहण किया था. चूंकि अब संक्रमित मरीजों की संख्या बेहद कम है, फरवरी 2022 से एक भी मरीज भर्ती नहीं हुए हैं, इसलिए अस्पताल को जिला प्रशासन की ओर से अधिग्रहण मुक्त किया गया है.