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कोरबा: प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए पर्यावरण प्रेमी ने छेड़ी मुहिम - Migratory birds in kanaki

कोरबा में मई महीने से प्रवासी पक्षियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो चुका था. विदेशी प्रवासी पक्षियों का आगमन हुआ है, जो कनकेश्वर मंदिर प्रांगण के वृक्षों में अपना घोंसला बनाकर रह रहे हैं और वंश बढ़ाने की तैयारी में हैं. वहीं इन पक्षियों के संरक्षण के लिए पर्यावरण प्रेमी संजय जोशी आगे आए हैं.

Protection of migratory birds
प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा
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Published : Aug 7, 2020, 1:27 PM IST

कोरबा: कनकी में हर साल प्रवासी पक्षी एशियन ओपन बिल स्टार्क सात समंदर पार कर भारी संख्या में मानसून का पैगाम लेकर आते हैं. इस साल भी श्रीलंका, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों से विदेशी प्रवासी पक्षियों का आगमन हुआ है, जो कनकेश्वर मंदिर प्रांगण के वृक्षों में अपना घोंसला बनाकर रह रहे हैं और वंश बढ़ाने की तैयारी में हैं.

प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए पर्यावरण प्रेमी ने छेड़ी मुहिम

प्रवासी पक्षियों में नर-मादा दोनों शामिल हैं. अगस्त से सितंबर महीने में अंडों से इन पक्षियों के बच्चे निकलते हैं. नर-मादा पक्षी मिलकर बच्चो का पालन-पोषण करते हैं और उन्हें बड़ा करते हैं. बारिश के दिनों में आंधी, तूफान और बारिश होने पर इनके बच्चे घोंसलों से कई बार नीचे गिर जाते हैं और उनकी मौत हो जाती है.

पढ़ें- कोरबा: मीलों दूर से मानसून का संदेश लेकर कनकी पहुंचे खूबसूरत साइबेरियन पक्षी

जिसे देखते हुए पर्यावरण प्रेमी संजय जोशी आगे आए और ग्राम कनकी के लोगों के साथ प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए एक मुहिम शुरू की. उन्होंने स्वयं के खर्चे से मंदिर प्रांगण के सभी वृक्षों में जाल लगवाएं हैं, जिसमें जाल में गिरकर घायल हुए पक्षी के बच्चों को मंदिर के पास मंच में जाली लगाकर रखने की व्यवस्था की गई है. ताकि उनका इलाज कर सकें. उनके ठीक हो जाने के बाद उन्हें फिर घोसले में छोड़ दिया जाता है. उन्होंने कहा है कि पक्षियों की चहचहाहट और कलरव से उनके दिल को सुकून मिलता है.

प्रवासी पक्षियों की संख्या में बढ़ोतरी

प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के लिए आवश्यक इंतजाम करने से बेवजह उनकी मौत नहीं होगी और आने वाले साल में उनकी संख्या में बढ़ोतरी होगी. उन्होंने कहा कि इन बेजुबान पक्षी का सहारा बनकर उनकी सुरक्षा में सदैव तत्पर रहेंगे.

कोरबा: कनकी में हर साल प्रवासी पक्षी एशियन ओपन बिल स्टार्क सात समंदर पार कर भारी संख्या में मानसून का पैगाम लेकर आते हैं. इस साल भी श्रीलंका, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों से विदेशी प्रवासी पक्षियों का आगमन हुआ है, जो कनकेश्वर मंदिर प्रांगण के वृक्षों में अपना घोंसला बनाकर रह रहे हैं और वंश बढ़ाने की तैयारी में हैं.

प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए पर्यावरण प्रेमी ने छेड़ी मुहिम

प्रवासी पक्षियों में नर-मादा दोनों शामिल हैं. अगस्त से सितंबर महीने में अंडों से इन पक्षियों के बच्चे निकलते हैं. नर-मादा पक्षी मिलकर बच्चो का पालन-पोषण करते हैं और उन्हें बड़ा करते हैं. बारिश के दिनों में आंधी, तूफान और बारिश होने पर इनके बच्चे घोंसलों से कई बार नीचे गिर जाते हैं और उनकी मौत हो जाती है.

पढ़ें- कोरबा: मीलों दूर से मानसून का संदेश लेकर कनकी पहुंचे खूबसूरत साइबेरियन पक्षी

जिसे देखते हुए पर्यावरण प्रेमी संजय जोशी आगे आए और ग्राम कनकी के लोगों के साथ प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए एक मुहिम शुरू की. उन्होंने स्वयं के खर्चे से मंदिर प्रांगण के सभी वृक्षों में जाल लगवाएं हैं, जिसमें जाल में गिरकर घायल हुए पक्षी के बच्चों को मंदिर के पास मंच में जाली लगाकर रखने की व्यवस्था की गई है. ताकि उनका इलाज कर सकें. उनके ठीक हो जाने के बाद उन्हें फिर घोसले में छोड़ दिया जाता है. उन्होंने कहा है कि पक्षियों की चहचहाहट और कलरव से उनके दिल को सुकून मिलता है.

प्रवासी पक्षियों की संख्या में बढ़ोतरी

प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के लिए आवश्यक इंतजाम करने से बेवजह उनकी मौत नहीं होगी और आने वाले साल में उनकी संख्या में बढ़ोतरी होगी. उन्होंने कहा कि इन बेजुबान पक्षी का सहारा बनकर उनकी सुरक्षा में सदैव तत्पर रहेंगे.

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