कोरबाः छत्तीसगढ़ का कोरबा प्रदेश का ऐसा इकलौता नगर निगम है, जिसके पास विकास कार्यों के साथ साफाई-व्यवस्था के लिए फंड भी आता है.साफ- सफाई के लिए राज्य सरकार के फंड के अलावा एनटीपीसी, एसईसीएल, सीएसईबी और बालको जैसे सार्वजनिक उपक्रमों का फंड और संसाधन भी मौजूद है. इतने विकल्पों के बावजूद यहां सफाई का काम नहीं हो रहा है. कुछ वार्ड तो कन्फ्यूजन की स्थिति में हैं कि यहां सफाई कार्य कौन कराएगा? निगम अपने फण्ड से सफाई कार्यों के लिए सालाना 8 करोड़ रुपये खर्च करता है. बावजूद इसके सफाई व्यवस्था पटरी पर नहीं लौट रही है. टीपी नगर स्थित इंदिरा गांधी स्टेडियम में निगम का जोन कार्यालय संचालित है. लेकिन ठीक इसके पीछे अघोषित डंपिंग यार्ड बना दिया गया है. जहां कचरे का अंबार लगा हुआ ( Garbage piled up in Korba) है. जबकि एसईसीएल की कालोनियों में एसईसीएल की ओर से सफाई व्यवस्था का ठेका समाप्त हो चुका है, अब यहां नालियां भी गंदगी से बजबजा रही हैं. ऐसी परिस्थितियों में नगर निगम को गार्बेज फ्री सिटी का अवार्ड दिया जाना, व्यवस्थाओं पर कई सवालिया निशान खड़े कर रहा है.
निगम ने डस्टबिन हटाए डंपिंग यार्ड भी किया बंद
डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के लिए स्वच्छता दीदियों को मानदेय पर रखने के बाद गीला कचरा, सूखा कचरा अलग-अलग कलेक्ट किया जाता है. इससे वर्मी कंपोस्ट तैयार भी किया जा रहा है. यह व्यवस्था लागू होने के बाद नगर निगम ने डस्टबिन की संस्कृति को समाप्त कर दिया.बरबसपुर में मौजूद कचरे के लिए बनाए गए डंपिंग यार्ड को भी बंद कर दिया गया. लेकिन इन सब के बावजूद अधिकारियों की आंखों में धूल झोंक कर शहर के कई स्थानों पर अघोषित डंपिंग यार्ड बना हुआ है.जहां बड़े पैमाने पर कचरा डंप किया जा रहा है.
स्टेडियम के पीछे दूर-दूर तक गंदगी
इसका जीता जागता उदाहरण टीपी नगर स्थित इंदिरा गांधी स्टेडियम परिसर है. स्टेडियम के पीछे दूर-दूर तक गंदगी फैली हुई है, एक तरह से इसे अघोषित डंपिंग यार्ड की तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. जहां शहर का कचरा बड़े पैमाने पर डंप है. इसका उचित निपटान नहीं किया जा सका है. हैरानी वाली बात यह है कि इसके ठीक सामने की आप मौजूद जोन कार्यालय के अधिकारियों तक को इसकी जानकारी नहीं है. जबकि यहां लगातार कचरा डंप कर कचरे का बड़ा ढेर लगा दिया गया है.
मानिकपुर के पार्षद खुद करा रहे सफाई
नगर निगम के 67 में से 8 वार्ड ऐसे हैं, जो कि पूरी तरह से सार्वजनिक उपक्रमों के अधीन हैं. सार्वजनिक उपक्रमों की आवासीय कालोनियां हैं. इनकी जिम्मेदारी पूरी तरह से उपक्रमों की है. इसके अलावा छह वार्ड ऐसे हैं जहां 50 फीसद सार्वजनिक उपक्रमों के कालोनिया है. और 50फीसद हिस्सा नगर निगम के अधीन है. एसईसीएल कोरबा एरिया में मौजूद मानिकपुर हो या इस तरह की अन्य कालोनियां यहां भी सफाई व्यवस्था का बुरा हाल है. एसईसीएल मानिकपुर क्षेत्र के पार्षद फूलचंद का कहना है कि एसईसीएल की ओर से जानकारी दी जा रही है कि कालोनी में सफाई का ठेका समाप्त हो चुका है. चूंकि यह कॉलोनी निगम के अधीन नहीं है, इसलिए यहां निगम भी काम नहीं करता.
मेयर ने कही चेतावनी की बात
इस विषय में नगर पालिक निगम कोरबा के मेयर राजकिशोर प्रसाद का कहना है कि सार्वजनिक उपक्रमों के अधीन आने वाले वार्ड खासतौर पर एसईसीएल में गंदगी तो रहती है. जानकारी मिली है कि उनका ठेका समाप्त हो चुका है. इसी वजह से पिछले बार स्वच्छता रैंकिंग में कोरबा नगर पालिक निगम की स्थिति कुछ बिगड़ी थी. हमनें उन्हें चेतावनी दी है कि स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें. आने वाले समय में तैयारी की जा रही है. सफाई और पेयजल की व्यवस्था नगर पालिक निगम की ओर से संचालित हो, मीटिंग हो चुकी है. आने वाले समय में जल्द ही इस व्यवस्था को लागू करेंगे, इस वर्ष तो हमे स्वच्छता के लिए अवार्ड भी मिला है. प्रयास यही है कि सफाई व्यवस्था का सुचारू रूप से क्रियान्वयन हो.
सालाना 8 करोड सिर्फ सफाई पर खर्च
नगर पालिक निगम क्षेत्रफल के लिहाज से प्रदेश का सबसे बड़ा नगर निगम है. सफाई के लिए सार्वजनिक उपक्रमों के विकल्प भी मौजूद हैं, लेकिन इसके बाद भी सफाई उस स्तर की नहीं है. जैसी की होनी चाहिए, सार्वजनिक उपक्रमों के वार्डों को छोड़कर शेष क्षेत्रों में नगर पालिका निगम अपने संसाधनों से सफाई कराता है. यहां या तो प्लेसमेंट के कर्मचारी होते हैं या स्वच्छता दीदियां, सिर्फ सफाई व्यवस्था पर नगर निगम सालाना 8 करोड रुपए की भारी-भरकम राशि खर्च करता है. बावजूद इसके सफाई के मामले में नगर निगम पिछड़ रहा है. हाल ही में शहर को केंद्र सरकार द्वारा जारी स्वच्छता रैंकिंग में थ्री स्टार का पुरस्कार भी मिला (Chhattisgarh gets cleanliness award) है.
ये है फैक्ट फाइल (आंकड़े जनगणना 2011 के अनुसार)
- क्षेत्रफल 215 वर्ग किलोमीटर
- कुल जनसंख्या 3 लाख 65 हजार 73
- वार्डों की संख्या 67
- गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार 33 हजार 963
- अधिसूचित मलिन बस्तियों की संख्या 62
- अघोषित मलिन बस्तियां 41
- मलिन बस्तियों की आबादी का प्रतिशत 46.5%
- सड़कों की कुल लंबाई 791.44 किमी
- एसईसीएल, सीएसईबी, एनटीपीसी और बालको जैसे सार्वजनिक उपक्रम निगम क्षेत्र में