कोरबा: शिक्षा विभाग के क्लर्क के घर गणवेश (School dress) मिलने के मामले में ETV भारत की खबर का बड़ा असर हुआ है. जांच में दोषी पाए गए क्लर्क को सस्पेंड कर दिया गया है. जांच के बाद शिक्षा विभाग (education department korba) ने कार्रवाई की है. जिला शिक्षा अधिकारी ने निलंबन का आदेश जारी किया है. ETV भारत ने 10 जून को आप तक ये खबर सबसे पहले पहुंचाई थी कि शिक्षा विभाग में पदस्थ क्लर्क के घर गणवेश मिले हैं.
विकास खंडशिक्षा अधिकारी के कार्यालय में पदस्थ बाबू धीरज आर्य (Dheeraj Arya) के निर्माणाधीन मकान में बच्चों के गणवेश, टाटपट्टी, विज्ञान किट, अनाजपेटी आदि पाए जाने की खबर का खुलासा ETV भारत ने किया था. ये वही स्कूल ड्रेस थी, जो शहर से लगे गांव नकटीखार के नाले में बहते हुए मिली थीं. ETV भारत ने ये भी खबर सबसे पहले आपको दी थी. ETV भारत ने इन खबरों का लगातार प्रकाशन किया और शिक्षा विभाग की लापरवाही को उजागर कियाय. जिसके बाद कलेक्टर के निर्देश के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारी हरकत में आए. 14 जून को दोपहर के बाद आदेश जारी कर जिला शिक्षा अधिकारी सतीश पांडे ने इसके लिए दोषी बाबू धीरज कुमार आर्य को सस्पेंड कर दिया है.
क्या लिखा है विभाग के आदेश में ?
इस पूरे प्रकरण के लिए शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर लिखा है कि समाचार के माध्यम से धीरज आर्य के मकान में स्कूल ड्रेस, टाटपट्टी, विज्ञान किट, छात्रावास का गद्दा और संविधान बुक प्राप्त होने की जानकारी मिलने के बाद संजय अग्रवाल विकासखंड शिक्षा अधिकारी को जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा गया था. जिसके आधार पर 11 जून को जांच टीम ने दोपहर में 1:30 पर मौके पर पहुंचकर मकान मालिक के संबंध में जानकारी ली तो वह मकान धीरज का होना पाया गया.
नाले में बहते मिले थे गणवेश
वीडियो फुटेज के आधार पर शासकीय गणवेश भारतीय जानकारी नहीं मिली अगले दिन गणवेश मौके पर नहीं मिली, जिसे हटा दिया गया. अगले दिन गणवेश नकटीखार नाले में बहते हुए मिले, जिससे धीरज पर संदेह व्यक्त किया गया. जांच दल को 850 नग शर्ट और 50 नग पैंट इस तरह कुल 900 नग गणवेश नकटीखाना नाला से प्राप्त हुआय जांच दल द्वारा जांच प्रतिवेदन में दिए गए निष्कर्ष के आधार पर और समाचार के वीडियो फुटेज में दिख रही दिखाई दे सामग्री एक जैसी प्रतीत हो रही थी. जिससे धीरज की इस कार्य मे संलिप्तता प्रतीत होती है.
2015 का गणवेश बताया
जांच दल ने यह पाया कि गणवेश वर्ष 2015 के पूर्व का है. तब स्व सहायता समूह के माध्यम से गणवेश सिलाया जाता था. जिसके स्टोर के प्रभारी भी धीरज ही थे. इससे स्पष्ट होता है कि गणवेश की जानकारी धीरज को थी. गणवेश उसके मकान में थे, जिसकी पुष्टि वीडियो फुटेज में होती है. जिसकी जिम्मेदेरी धीरज आर्य की है. इस लापरवाही और अनुशासनहीनता के कारण धीरज आर्य को निलंबित किया जाता है. निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय कार्यालय विकासखंड शिक्षा अधिकारी करतला होगा.
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गणवेश के 5 साल पुराना होने की बात पर संदेह
जांच प्रतिवेदन में गणवेश को 5 वर्ष पुराना बताया गया है, जबकि देखने पर यह 5 साल पुराना प्रतीत नहीं होता. यह हाल फिलहाल का ही मालूम पड़ता है. ईटीवी के पास इसके वीडियो फुटेज अब भी मौजूद हैं. 5 साल पहले गणवेश का निर्माण महिला स्व सहायता समूह के माध्यम से कराया जाता था. समूह गणवेश की सिलाई कर, इसे स्कूलों में प्रदान करने के लिए शिक्षा विभाग को सौंपते थे. जिससे अब उनकी जवाबदेही तय की जा रही है. जबकि पिछले कुछ सालों में व्यवस्था बदल गई है और गणवेश राज्य हथकरघा निगम से सीधे शिक्षा विभाग को सुपुर्द किया जाता है. सांसद को भी शिक्षा विभाग ने गणवेश का वितरण पूर्ण होने की जानकारी दी थी. अनाज कोठी, टाटपट्टी और अन्य सामग्रियां भी वीडियो में दिख रही हैं लेकिन उनका कोई जिक्र जांच प्रतिवेदन में नहीं है. ऐसे में सवाल फिर से उठ रहे हैं.
बीईओ ने ETV भारत से कही थी जांच की बात
कोरबा में गरीब बच्चों को शत-प्रतिशत गणवेश का वितरण बताया गया था. लेकिन शहर के दादर स्थित विकास खंड शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में पदस्थ बाबू धीरज आर्या के मकान में सैकड़ों की तादाद में गरीब बच्चों के गणवेश कचरे की तरह डंप किए मिले थे. मामला उजागर होते ही क्लर्क ने कहा था कि उसे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने जांच की बात कही थी.
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निर्माणाधीन मकान में मिले थे गणवेश
विकासखंड शिक्षा अधिकारी, कोरबा के कार्यालय में धीरज आर्य बाबू के पद पर पदस्थ है. शहर से लगे हुए दादर में उनके मकान का निर्माण चल रहा है. इसी निर्माणाधीन मकान में सैकड़ों की तादात में गणवेश कचरे की तरह डंप किए मिले थे. सिर्फ गणवेश ही नहीं स्कूल शिक्षा विभाग की किताबें, प्राइमरी और मिडिल स्कूल में बच्चों को बैठने के लिए प्रदान की जाने वाली टाटपट्टी, स्कूलों में चावल रखने के लिए कुछ समय पहले विभाग द्वारा खरीदे हए स्टील के डिब्बे भी मौजूद थे.
क्लर्क ने क्या कहा था ?
बीईओ कार्यालय में पदस्थ बाबू धीरज आर्य से ETV भारत ने फोन पर चर्चा की थी और पूछा था कि आपके निर्माणाधीन मकान में गणवेश और अन्य सामान कैसे पहुंचे? बाबू ने जवाब दिया था कि 'मुझे बिल्कुल भी नहीं मालूम कि मेरे मकान में गणवेश व किताब कहां से पहुंचे. इनका मैं क्या करूंगा? मेरा मकान फिलहाल निर्माणाधीन है. जहां चौकीदार तैनात रहता है. मुझे चौकीदार से जानकारी लेनी होगी कि यह समान मेरे मकान में कहां से पहुंचे. इस विषय में मुझे कोई जानकारी नहीं है.'
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DEO ने कही थी कार्रवाई की बात
विकासखंड शिक्षा अधिकारी संजय अग्रवाल का कहना था कि पिछले सत्र में जितने भी गणवेश हमें प्राप्त हुए थे, सभी को स्कूलों में वितरित कर दिया गया है. बाबू के मकान में गणवेश और किताबों का मौजूद होना गंभीर विषय है. यह सरकारी सामग्री है. यदि ऐसा है तो इसकी जांच कराएंगे और उचित कार्रवाई होगी. जांच में क्लर्क दोषी पाया गया है और उसे सस्पेंड कर दिया गया है.