कोरबा: कोरबा- चांपा मार्ग में कोथारी गांव केपास स्थापित कोल वाशरी मां मड़वारानी कोल बेनीफिकेशन लिमिटेड को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सील कर दिया है. यह वाशरी कोयला कारोबारी राजकुमार अग्रवाल की थी. बाद में इसे कोल लेवी स्कैम के मास्टरमाइंड सूर्यकांत तिवारी के भाईयों को बेच दिया गया था. ईडी की जांच शुरू होने के बाद से कोल वाशरी को फिर से अन्य व्यक्ति के नाम पर स्थानांतरितकर दिया गया था. इस कोल वाशरी को घोटाले के पैसों से कई टुकड़ों में खरीदा और बेचा गया था. जिसमें हाईप्रोफाइल लोगों की भी संलिप्तता की बात सामने आयी थी.
कोल वाशरी से कोयले की अफरा-तफरी : कोयला परिवहन में लेवी वसूली के मामले में ईडी ने मां सर्वमंगला कोल बेनिफिकेशन लिमिटेड की कोल वाशरी को अटैच करने की कार्रवाई पहले ही की थी. इसका संचालन संतोष इंडा नाम के व्यक्ति के द्वारा अपने सहयोगियों के साथ मिलकर करने की सूचना थी. यहां बाल्को संयंत्र को एसईसीएल से मिलने वाला लिकेंज का कोयला पहुंचता था. जिसे वापस बाल्को को ही आपूर्ति की जाती थी. अब ईडी ने कार्रवाई करते हुए कोलवाशरी को पूरी तरह से सील कर दिया है. जिसके बाद इस कोल वाशरी से कोयले का कारोबार पूरी तरह से बंद हो गया है.
बिलासपुर की कोल वाशरी को भी किया सील : कोरबा में कोल वाशरी में की गई कार्रवाई की तरह ही सुनील अग्रवाल की बिलासपुर में संचालित कोलवाशरी को भी ईडी ने सील किया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार इस मामले में ईडी ने कोयला कारोबार से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी के बाद उनकी संपत्ति को पहले अटैच किया था. इसके बाद एक जून को ईडी के दिल्ली स्थित मुख्यालय से आदेश आने के बाद कोल वाशरी को अपने कब्जे में लेते हुए सील किया गया है.
1 साल से चर्चा में है कोल लेवी स्कैम : कोल परिवहन पर अवैध लेवी वसूली के मामले में पिछले लगभग 1 साल से ईडी छत्तीसगढ़ में सक्रिय है. प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी लगातार कार्रवाई कर रहे हैं. इस मामले में प्रदेश के आईएएस अधिकारी, कोल कारोबारी सहित हाई प्रोफाइल लोगों को ईडी पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड सूर्यकांत तिवारी को बताया गया था. जिसमें कई अधिकारियों की भी संलिप्तता है. कोरबा जिला इस पूरे घोटाले का केंद्र बिंदु रहा है.